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पंचतत्‍व में विलीन हो गए किशनगंज के शहीद इंस्‍पेक्‍टर, मां का भी हुआ अंतिम संस्‍कार

किशनगंज टाउन थाना के अध्यक्ष अश्विनी एवं उनकी मां का एक साथ दाह पूर्णिया में दाह संस्‍कार कर दिया गया। शव यात्रा में काफी संख्‍या में अधिकारी व जनप्रतिनिधि मौजूद थे। एमएलसी एमएलए आईजी कमीश्नर डीएम एसपी सहित गणमान्य लोग जुलूस में हुए शामिल।

By Dilip Kumar ShuklaEdited By: Published: Sun, 11 Apr 2021 06:20 PM (IST)Updated: Sun, 11 Apr 2021 07:20 PM (IST)
पंचतत्‍व में विलीन हो गए किशनगंज के शहीद इंस्‍पेक्‍टर, मां का भी हुआ अंतिम संस्‍कार
शहीद इंस्‍पेक्‍टर को सलामी देते पुलिस अधिकारी।

जागरण टीम, पूर्णिया। रूदन और चीत्कार के बीच किशनगंज टाउन थाना के अध्यक्ष अश्विनी एवं उनकी मां उर्मिला देवी की अर्थी एक साथ जानकीनगर थाना क्षेत्र का पांचू गांव से रविवार को दोपहर निकली। किशनगंज की सीमा से सटे पश्चिम बंगाल के पांजीपाड़ा थाना क्षेत्र के पनता पाड़ा में 10 अप्रैल को अल सुबह बाइक चोरों को गिरफ्तार करने गए इंस्पेक्टर अश्विनी की अपराधियों ने हत्या कर दी थी। उनका शव जब उनके पैतृक गांव पांचू गांव पहुंचा तो उनकी 70 वर्षीय माता उर्मिला देवी बेटे की मौत का गम बर्दाश्त नहीं कर सकी और उन्होंने भी रविवार की अल सुबह दम तोड़ दिया। दोहरी त्रासदी के बीच रविवार को उमड़े जन सैलाब के साथ मां और बेटे की अर्थी एक साथ निकाली गई। हर चेहरे स्तब्ध थे, हर आंखों में आंसुओं का सैलाब था जो कभी प्रारब्ध तो कभी नियति को कोस रहे थे। इंस्पेक्टर की पत्नी, बेटे-बेटी परिजन जहां दहाड़ मार कर रो रहे थे वहीं ग्रामीण नम आंखों से अश्विनी अमर रहे, जब तक सूरज चांद रहेगा, अश्विनी तेरा नाम रहेगा नारे लगाते हुआ अर्थी को श्मसान घाट तक ले गये। शव यात्रा में पूर्णिया प्रक्षेत्र के आईजी सुरेश चौधरी, प्रमंडलीय आयुक्त राहुल महिवाल, डीएम राहुल कुमार, एसपी दयाशंकर, एमएलसी दिलीप जायसवाल, विधायक कृष्ण कुमार ऋषि सहित दर्जनों गणमान्य शामिल हुए। शव का राजकीय सम्मान के साथ अंत्येष्ठि की गई तथा अग्नि के सुपूर्द करने से पूर्व उन्हें पुलिस कर्मियों ने गार्ड ऑफ ऑनर दिया। अश्विनी के परिजन को पूर्णिया प्रक्षेत्र के सभी पुलिस कर्मियों ने एक दिन का वेतन करीब 50 लाख रुपये तथा आईजी ने 10 लाख रुपये देने की घोषणा की। साथ ही अनुकंपा पर एक व्यक्ति को नौकरी देने की भी घोषणा की गई है।

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शनिवार की शाम से ही अश्विनी के पांचू गांव में गणमान्य लोगों के आने का सिलसिला जारी था। उनकी पत्नी व बच्चे तथा एक बहन तो शनिवार को ही गांव आ गए थे। लेकिन उनकी दूसरी बहन रविवार को सुबह घर पहुंची। अश्विनी का शव शनिवार को गांव पहुंचने के बाद से ही पूरे गांव का माहौल गमगीन था। उनकी पत्नी पछाड़ खाकर शव पर गिर रही थी और बेहोश जा रही थी तो उनकी बड़ी बेटी नैन्सी उन्हें सहारा देने का प्रयास कर रही थी। एक और छोटी बेटी तथा सबसे छोटा बेटा बस सबों को मुंह निहार रहा था तथा बीच बीच में पूछ रहा था पापा उठ क्यों नहीं रहे हैं...। पूरे गांव के लोग स्तब्ध थे कि यह क्या हो गया। अश्विनी की मौत की खबर किसी को पच ही नहीं रह रही थी। दो दिनों से किसी के घर में चुल्हा नहीं जला था। रविवार को सुबह से ही अधिकारियों एवं गणमान्य लोगों के आने का सिलसिला शुरू हुआ। आईजी, कमीश्नर, डीएम, एसपी, एसडीएम, एसडीपीओ सहित प्रखंड स्तरीय अधिकारियो के अलावा पूर्णिया, कटिहार से भी पुलिसकर्मी पहुंचे थे। एमएलसी, एमएलए भी पहुंचे। सभी ने परिजनों से बातें कर उन्हे ढाढस बंधाया। इस बीच अर्थी निकाले जाने की तैयारी चल रही थी। दोपहर जब मां-बेटे की अर्थी एक साथ उठाई गई तो हर लोगों को कलेजा पसीजने लगा। रूदन और चित्कार से सभी कलेजा दहल रहा था। जैसे जैसे अर्थी आगे बढ़ती गई लोगों का सैलाब उमड़ता गया। करीब आधा किमी की दूरी पर स्थित शमसान तक पहुंचने में काफी समय लग गया। अपने जांबाज बेटे को सभी कांधा देना चाह रहे थे। अधिकारियों एवं पुलिस अधिकारियों ने भी बारी-बारी से उन्हे कांधा दिया। घाट पर चिता सजाई गई जहां पुलिस कर्मियों ने उन्हें गार्ड ऑफ ऑनर दिया जिसके बाद उर्मिला देवी को उसके छोटे बेटे गुड्डू ने तथा अश्विनी की चिता को उसके बेटे पांच वर्षीय वंश ने मुखाग्नि दी।  

विदित हो कि किशनगंज पुलिस महकमा में जांबाज इंस्पेक्टर के नाम से मशहूर किशनगंज टाउन थाना  अध्यक्ष अश्विनी अंतत: अपने ही कुछ कर्तव्यहीन विभागीय अधिकारियों की कार्यशैली के शिकार हो गए। छापेमारी में साथ गए पुलिस कर्मियों के भाग जाने के बावजूद अकेले अपराधियों से लड़ते हुए वे वीरगति को प्राप्त हो गए। हालांकि पूर्णिया प्रक्षेत्र के आइजी सुरेश प्रसाद चौधरी ने उनके साथ गए सभी पुलिस कर्मियों को निलंबित कर दिया है। अश्विनी की मौत सरकारी सिस्टम पर कई सवाल छोड़ गए हैं।


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