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Bihar By Elections Result 2021: तारापुर विधानसभा से राजद की हार और जदयू की जीत के यह हैं प्रमुख कारण, एक विश्‍लेषण

Bihar By Elections Result 2021 तारापुर विधानसभा में कांग्रेसी हवा के झोंके से मध्यम हो गई लालटेन की लौ। राजद प्रत्याशी को रह गई नदी तट से प्यासा लौटने की कसक। जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष की प्रतिष्ठा भी लगी थी दाव पर।

By Dilip Kumar ShuklaEdited By: Published: Tue, 02 Nov 2021 07:42 PM (IST)Updated: Wed, 03 Nov 2021 05:29 AM (IST)
Bihar By Elections Result 2021: तारापुर विधानसभा से राजद की हार और जदयू की जीत के यह हैं प्रमुख कारण, एक विश्‍लेषण
तारापुर विधानसभा उपचुनाव का परिणाम। जदयू के राजीव कुमार सिंह ने राजद के अरुण कुमार को हराया।

भागलपुर [संजय सिंह]। बिहार के  तारापुर उपचुनाव में कांटे की टक्कर के बावजूद बाजी जदयू ने मारी। कांग्रेस और राजद के बीच की नूराकुश्ती में घाटा राजद को ही हुआ। लोजपा (रामविलास) प्रत्याशी भी जदयू को नुकसान पहुंचाने में सफल नहीं रहे। हालांकि, इस जीत को एकतरफा जीत नहीं कहा जा सकता। इस चुनाव में सरकार की साख और राजद का विश्वास दोनों दाव पर लगे थे। सरकार की साख बची और राजद का विश्वास बिखरा।

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यह सबको मालूम था कि तारापुर में किसी के लिए जीत आसान नहीं थी। परिणामस्वरूप सभी दलों ने अपनी पुरजोर ताकत झोंक रखी थी। जदयू ने मुख्यमंत्री, राष्ट्रीय अध्यक्ष, सांसद, मंत्री, विधायकों को मैदान में उतारा था। एक-एक पंचायत की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। कमोवेश, यही काम राजद ने भी किया था। तारापुर विधानसभा सीट पिछड़ा बहुल रहा है। इस सीट पर लगातार कुशवाहा जाति के लोग ही विधायक बनते रहे हैं। शकुनी चौधरी लगातार छह बार यहां के विधायक रहे।

इन्होंने पहली बार निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में जीत दर्ज कराई थी। 2010 के चुनाव में शकुनी चौधरी जदयू की नीता चौधरी से पराजित हुए थे। शकुनी के पूर्व कुशवाहा जाति के ही तारिणी प्रसाद सिंह ने इस विधानसभा क्षेत्र का दो बार प्रतिनिधित्व किया था। नीता चौधरी के पति मेवालाल चौधरी 2015 में जदयू के उम्मीदवार बने। इन्होंने 66,411 वोट लाकर विजय हासिल की। इनके प्रतिद्वंद्वी के रूप में हम से शकुनी चौधरी चुनाव मैदान में थे। इन्हें मात्र 54,464 वोट मिले। 2020 के चुनाव में भी कांटे की टक्कर हुई।

पिछले चुनाव की तुलना में डा मेवालाल चौधरी को 2000 वोट मिले। इन्हें 64,468 मत मिले, जबकि राजद के कद्दावर नेता जयप्रकाश यादव की पुत्री को 57,243 मत मिले। जीत मेवालाल चौधरी की हुई। मेवालाल चौधरी के आकस्मिक निधन के बाद यह उपचुनाव हुआ। जदयू ने राजीव सिंह को उम्मीदवार बनाया। इन्हें पार्टी ने 2005 में भी उम्मीदवार बनाया था। तब ये शकुनी चौधरी के हाथों पराजित हो गए थे।

इस बार के उपचुनाव में लगभग 52 फीसद मतदाताओं ने अपने-अपने मताधिकार का प्रयोग किया था। पिछले चुनाव मं 53 प्रतिशत मतदाताओं ने मताधिकार का प्रयोग किया था। इस बार के चुनाव की दिलचस्प बात यह है कि जदयू प्रत्याशी को 78,966 मत मिले। उधर, राजद प्रत्याशी अरुण कुमार साह 75,145 मत ही ला सके। लोजपा के चंदन कुमार को 5,350 और कांग्रेस के राजेश मिश्रा को 3570 वोट मिले। जदयू प्रत्याशी को पिछले चुनाव के मुकाबले 10,000 से अधिक मत इस बार मिले।

राजद प्रत्याशी को पिछले चुनाव की अपेक्षा 19,000 वोट अधिक मिले। चौंकाने वाला तथ्य यह है कि 2566 लोगों ने नोटा का प्रयोग किया। कांटे की इस टक्कर में जदयू प्रत्याशी राजीव कुमार सिंह 3821 वोटों से जीते। लालू प्रसाद की राजनीति यहां भी काम नहीं आई। स्थानीय स्तर पर तो वे गठबंधन तोड़कर चुनाव लड़े, लेकिन सोनिया की तारीफ करते रहे। राजद को भी इस चुनाव में नदी तट से प्यासा लौटने की कसक रह गई।


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