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Bihar Assembly Elections 2020 : अपने ही गढ़ में एक सीट के लिए तरह रहा राजद

Bihar Assembly Elections 2020 2010 में किशनगंज के कोचाधामन सीट पर राजद को आखिरी जीत मिली थी। 90 में एक साथ जिले की तीनों सीट पर जनता दल जीते थे। राजद के गढ़ में आज एक सीट इसके कार्यकर्ता तरस रहे हैं।

By Dilip ShuklaEdited By: Published: Fri, 25 Sep 2020 09:30 AM (IST)Updated: Fri, 25 Sep 2020 09:30 AM (IST)
Bihar Assembly Elections 2020 : अपने ही गढ़ में एक सीट के लिए तरह रहा राजद
2010 के विधानसभा चुनाव में राजद की आखिरी जीत हुई थी।

किशनगंज [अमितेष]। Bihar Assembly Elections 2020 : एक दशक पूर्व तक राजद का गढ़ कहे जाने वाले किशगनंज में राजद एक सीट के लिए तरस रहा है। पूर्व केंद्रीय मंत्री तस्लीमउद्दीन के जमाने में इस इलाके में राजद की मजबूत किलेबंदी थी। अब परिस्थितयां बदल गई हैं। अब न तो सीमांचल के गांधी मु. तस्लीमउद्दीन हैं और न ही राष्ट्रीय जनता दल में वैसे समर्पित कार्यकर्ता दिख रहे हैं। 2010 के विधानसभा चुनाव में कोचाधामन सीट पर आखिरी जीत मिली थी। राजद के टिकट पर चुने गए अख्तरूल ईमान 2014 में जदयू का तीर थाम लोकसभा उम्मीदवार बन गए। उपचुनाव में यह सीट जदयू के खाते में चली गई। इस बार के चुनाव में पार्टी किस सीट पर चुनाव लड़ेगी, यह भी जिला संगठन अब तक तय नहीं कर पाया है। हालांकि पार्टी के जिला उपाध्यक्ष देवेन यादव बताते हैं कि कोचाधामन व ठाकुरगंज सीट पर चुनाव लडऩा तय है। इसके अलावा किशगनंज सीट पर राजद चुनाव लड़ेगी, इसके लिए भी रणनीति तय की जा रही है।

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अल्पसंख्यक बहुल इस किशगनंज जिले को राजद का मजबूत गढ़ माना जाता था। सीमांचल के गांधी कहे जाने वाले मु. तस्लीमउद्दीन की यहां मजबूत पकड़ थी। कार्यकर्ता से लेकर आमजनों तक उनका जुड़ाव रहा। यही वजह रहा कि किशनगंज से 96, 98 व 2004 में यानी तीन बार लोकसभा चुनाव जीतकर किशनगंज सीट पर राजद का पताका लहराते रहे। 1999 में भाजपा के हाथों मिली शिकस्त के बाद 2000 के विधानसभा चुनाव में वे किशगनंज सीट से ही विधानसभा पहुंचे थे। तब उन्हें राजद सरकार में भवन निर्माण मंत्री बनाया गया था। इसके बाद 2005 में राजद के टिकट पर अख्तरूल ईमान किशगनंज सीट से जीतकर विधानसभा पहुंचे। 2005 के फरवरी व नवंबर के चुनाव में लगातार दो बार अख्तरूल ईमान को किशनगंज सीट पर जीत मिली। इसके बाद 2010 में अस्तित्व में आई कोचाधामन सीट से जीतकर अख्तरूल ईमान ने हैट्रिक बनाया। 2014 में अख्तरूल ईमान के राजद छोडऩे के बाद जिले में अब तक पार्टी का खाता नहीं खुल सका है। 2015 में महागठबंधन में उम्मीद थी कि लेकिन सिङ्क्षटग विधायक होने के नाते किशनगंज व बहादुरगंज कांग्रेस के खाते में और ठाकुरगंज व कोचाधमन जदयू के खाते में चला गया। लेकिन इस दफे महागठबंधन के प्रमुख घटक दल होने के नाते कम से कम दो सीट पर राजद के चुनाव लडऩे की गंजाईश बनती दिख रही है।  

1990 के विधानसभा चुनाव में जिले के तीनों सीट पर जनता दल का कब्जा रहा। किशगनंज सीट पर मुन्ना मुश्ताक तो बहादुरगंज से इस्लामुद्दीन बागी और ठाकुरगंज से मो. सुलेमान चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे थे। लेकिन अगले ही चुनाव में यानी 1995 में किशनगंज से तीनों सीट जनता दल के हाथ से फिसल गया। किशगनंज सीट पर कांग्रेस व ठाकुरगंज और बहादुरगंज से भाजपा ने जनता दल को बाहर का रास्ता दिखा दिया था।


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