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बिहार विधानसभा चुनाव 2020 : घर लौटे बांका के कामगारों के वोट में दिखा प्रवासी होने का दर्द

Bihar Assembly Elections 2020 बांका में करीब एक लाख प्रवासी कामगारों का वोट पांचों सीट पर बना निर्णायक होगा। इसमें से करीब 40 हजार के करीब प्रवासी को पहली बार मतदान का मौका मिला। बांका के सभी विधानसभा क्षेत्रों में औसतन 60 फीसद मतदान हुआ।

By Dilip Kumar ShuklaEdited By: Published: Wed, 28 Oct 2020 08:16 PM (IST)Updated: Thu, 29 Oct 2020 09:54 AM (IST)
बिहार विधानसभा चुनाव 2020 : घर लौटे बांका के कामगारों के वोट में दिखा प्रवासी होने का दर्द
बांका के एक बूथ पर वोट डालने के लिए खडी महिलाएं

 

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बांका [राहुल कुमार]। बांका, बेलहर और कटोरिया विधानसभा क्षेत्र की लगी सीमा का चौबटिया पहाड़ी बहियार। पहाड़ी खेतों में धान की अच्छी फसल है। मतदान कर कई कामगार खेतों में धनकटनी में जुटे हैं। युवक अशोक मुर्मू ने पूछने बताया कि वह कोलकाता में काम करता है। लेकिन आठ महीने से घर बैठा है। कोई काम नहीं है तो अभी शुरु हुई धनकटनी में हाथ बंटा रहे हैं। वोट के बारे में पूछने पर दर्द छलक जाता है। बलियामहरा में जिलानी अंसारी और जाकिर अंसारी भी दिल्ली में काम करता है। 10 साल बाद वोट देने का मौका मिला है। कहते हैं कि उन जैसा सैकड़ों लड़का कोरोना में घर लौटने के बाद बेकार बैठा है। बिहार में केवल जाति-पाती की बाती होती है। काम धंधे की बात कोई नहीं करता है। युवा हाथों को काम नहीं मिलेगा, तो परिवार और देश कैसे चलेगा। मौजूदा सरकार ने प्रवासी के काम के लिए कुछ नहीं किया। अब बदलाव कर देखना होगा। हीरमोती के पास युवा विषो यादव ने बताया कि वह कलकत्ता में काम करता है। पहली बार मतदान में घर रहने का मौका मिला। लेकिन उसका नाम ही मतदाता सूची में नहीं मिला। मतदान के दौरान हर इलाके में प्रवासी कामगारों में पहली बार मतदान की खुशी और घर में बेकार बैठे होने का दर्द साथ-साथ दिखा।

हर विधानसभा में प्रवासियों ने दिए वोट

दरअसल, बांका की दो लाख आबादी को काम के लिए वर्षों से परदेश में रहना पड़ रहा है। इस कारण कई कभी वोट देने अपने गांव नहीं आ सके। इस बार उनकी लोकतंत्र में मजबूत भागीदारी हुई। हर सीट पर उनका 15 से 20 हजार तक वोट गिर गया है। इसने हर सीट का मतदान प्रतिशत बढ़ा दिया है। कामगारों का करीब एक लाख वोट इस बार कई सीटों पर निर्णायक साबित होने वाला है।

अभी एक तिहाई कामगार ही लौट सके बाहर

जिला के दो लाख प्रवासी कामगारों में अभी एक तिहाई से भी कम लोग वापस लौट सके हैं। कोरोना का प्रभाव बरकरार रहने तथा काम धंधा की रफ्तार गति नहीं पकडऩे के कारण वे घर बैठे हैं। दशहरा और चुनाव को लेकर भी वे घर रूके हैं। कुछ को गांव में इस बार धान की अच्छी फसल देख धनकटनी का इंतजार है।


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