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बिहार विधानसभा चुनाव 2020 : अपने-अपने तौर पर समीकरण गढ़ गई कई सीटें, जदयू की सीटों पर लोजपा का पेच

Bihar Assembly Elections 2020पूर्व बिहार के पांच जिलों के 16 सीटों पर मतदान को लेकर गजब का उत्साह रहा। शहरी इलाकों के मुकाबले ग्रामीण इलाकों के बूथों पर शाम तक मतदाताओं की लंबी-लंबी कतारें दिखी। लोगों में उत्साह चरम पर था।

By Dilip Kumar ShuklaEdited By: Published: Wed, 28 Oct 2020 04:50 PM (IST)Updated: Wed, 28 Oct 2020 04:50 PM (IST)
बिहार विधानसभा चुनाव 2020 : अपने-अपने तौर पर समीकरण गढ़ गई कई सीटें, जदयू की सीटों पर लोजपा का पेच
बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान गंगा में सुरक्षा के इंतजाम थे।

भागलपुर [शंकर दयाल मिश्रा]। कोरोना को लेकर तमाम आशंकाएं निर्मूल साबित हुई। वोटर बेझिझक बाहर निकले। पूर्व बिहार के पांच जिलों के 16 सीटों पर मतदान को लेकर गजब का उत्साह रहा। शहरी इलाकों के मुकाबले ग्रामीण इलाकों के बूथों पर शाम तक मतदाताओं की लंबी-लंबी कतारें दिखी। इन 16 सीटों के लिए 237 उम्मीदवारों की किस्मत ईवीएम में कैद हो गई है।

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प्रथम चरण के मतदान में युवाओं और महिलाओं की भीड़ अच्छी खासी दिखी। इसपर राजनीतिक विशेषज्ञ अपने-अपने हिसाब से आकलन करने में जुट गए हैं। इससे इतर जमीनी हकीकत यह कि वोटरों ऊपरी नेतृत्व और अपना प्रतिनिधित्व के द्वंद्व में भी फंसे। नतीजा, कई सीटें अपने-अपने तौर पर समीकरण गढ़ती नजर आई। कुछ सीटों पर भाजपा ने माई में सेंध लगाई तो जदयू की अधिकतर सीटों पर लोजपा का पेच भी काम करता दिखा।

भागलपुर जिला

यहां की दो विधानसभा सीटों कहलगांव एवं सुल्तानगंज के लिए मतदान हुआ। दो दशक से अधिक समय से चल रहे गठबंधन की राजनीति के दौर में कहलगांव सीट पहली बार एनडीए से भाजपा के खाते में आई। भाजपा ने यहां से उम्मीदवार बनाया पवन यादव को। उनके सामने थे महागठबंधन से कांग्रेस के शुभानंद मुकेश। शुभानंद कांग्रेस के कद्दावर नेता सदानंद सिंह के पुत्र हैं। रिकार्ड नौ बार विधायक रह चुके सदानंद सिंह की 'विरासत की सियासतÓ को जनता ने स्वीकार किया या नकारा यह तो 10 नवंबर को ही स्पष्ट होगा। फिलहाल दोनों उम्मीदवार के समर्थकों को अपनी पार्टी के बेस वोटरों पर भरोसा है। साथ ही वे जात-जमात पर भी विरोधी के वोटबैंक में सेंध लगाने की बात कह रहे हैं। जातीय आधार पर देखें तो भाजपा के पवन यादव हैं और महागठबंधन का नेतृत्व कर रहे तेजस्वी उनके स्वजातीय। ऐसे ही शुभानंद और एनडीए का नेतृत्व कर रहे नीतीश कुमार स्वजातीय हैं। स्वजातीय वोटरों में द्वंद्व रहा कि वे अपने प्रत्याशी को देखें या ऊपर नेतृत्व को। यहां पैसों का भी खूब खेल हुआ। सुल्तानगंज सीट पर वोटों के बिखराव के बीच से पटना की राह बन रही है। यहां मुख्य मुकाबला महागठबंधन से कांग्रेस के ललन कुमार और जदयू के प्रो. ललित मंडल के बीच ही है। ग्राउंड रिपोर्ट के मुताबिक लोजपा की नगर परिषद अध्यक्ष नीलम देवी शहरी वोटों में सेंधमारी करती दिखीं और रालोसपा के हिमांशु पटेल भी स्वजातीय कुशवाहा वोटरों की पसंद बनते दिखे।

बांका जिला

यहां की पांचों सीटों पर मुकाबला दिलचस्प है। बांका विधानसभा सीट पर मंत्री रामनारायण मंडल की प्रतिष्ठा फंसी है। उनके मुकाबले राजद की ओर से पूर्व मंत्री जावेद इकबाल अंसारी हैं। यहां दोनों संगठनों के बीच सीधी लड़ाई है। यहां से रालोसपा के कौशल सिंह को मिलने वाला वोट तय करेगा कि पलड़ा किसका भारी! धोरैया, बेलहर और कटोरिया में राजद समर्थक अपनी जीत का दावा कर रहे हैं। धोरौया और बेलहर में जदयू मुकाबले में है। जीत का दावा इनका भी है। कटोरिया में भाजपाई भी खुद को कमजोर नहीं मान रही। जिले की अमरपुर विधानसभा सीट पर महागठबंधन से कांग्रेस के जितेंद्र सिंह और जदयू से जयंत राज उम्मीदवार रहे। लोजपा ने भाजपाई मृणाल शेखर को मैदान में उतारा। ग्राउंड रिपोर्ट के मुताबिक आस-पड़ोस की अन्य सीटों के मुकाबले लोजपा यहां काफी मजबूत स्थिति में दिख रही है।

मुंगेर जिला

मुंगेर जिले में तीन सीटें हैं। तारापुर, मुंगेर और जमालपुर। दुर्गा प्रतिमा विर्सजन के दौरान गोलीबारी, एक युवक की मौत और श्रद्धालुओं की पुलिस द्वारा बेरहमी से की गई पिटाई का असर रहा। आम लोगों का आक्रोश पुलिस और व्यवस्था के खिलाफ दिखा। खासकर मुंगेर के शहरी इलाके में शुरुआती समय में मतदान स्लो रहा। इसको लेकर भाजपाई खेमा परेशान दिखा। जमालपुर में जदयू उम्मीदवार के तौर पर ग्रामीण कार्य मंत्री शैलेश कुमार हैं। इनके मुकाबले में महागठबंधन से कांग्रेस ने अजय कुमार सिंह को उतारा। यहां भी लोजपा के दुर्गेश कुमार को मिलने वाले वोट से जीत-हार की दिशा तय होगी। तारापुर में राजद प्रत्याशी दिव्या प्रकाश के समर्थक अपने बेस वोट और युवा वोटों के सहारे मैदान मार लेने का दावा करते हैं। यहां से जदयू उम्मीदवार मेवालाल चौधरी के खिलाफ लोजपा ने भी अपना प्रत्याशी उतारा, लेकिन निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर राजेश मिश्रा के समर्थक भी अपनी जीत के प्रति आश्वस्त हैं।

लखीसराय जिला

यहां दोनों सीटों लखीसराय और सूर्यगढ़ा में युवाओं का जोश नजर आया। लखीसराय से मंत्री विजय कुमार सिन्हा और सूर्यगढ़ा से विधायक प्रह्लाद यादव की किस्मत वोटरों ने फिर से लिख दी है। बालगुदर में सड़क नहीं होने और खेल मैदान पर म्यूजियम बनाने के विरोध ग्रामीणों ने वोट बहिष्कार कर रखा था। ग्रामीणों को समझाने के लिए डीएम-एसपी गए, फ्लैग मार्च कराया, लेकिन ग्रामीण नहीं माने। इसके बाद भाजपा प्रत्याशी विजय कुमार सिन्हा पहुंचे तो उन्हें भारी विरोध का सामना करना पड़ा। ग्रामीणों ने उन्हें खदेड़ दिया। बाकी सुबह से ही अधिकतर बूथों पर वोटरों की कतार नजर आ रही थी। यहां बेस वोटर दुबारा अपने-अपने प्रत्याशियों की ओर इंटैक्ट नजर आए।

जमुई जिला

यहां कुल चार सीटें हैं। इसमें से जमुई और चकाई पर सभी की विशेष नजर रही। जमुई से भाजपा को अपने संगठन और अपनी प्रत्याशी अर्जुन पुरस्कार विजेता श्रेयसी सिंह की अंतरराष्ट्रीय छवि और युवाओं पर भरोसा है। श्रेयसी को खुलकर साथ देने की अपील लोजपा सुप्रीमो चिराग पासवान ने भी कर रखी थी। चिराग जमुई के सांसद हैं। यह भी श्रेयसी को मजबूती दे रही है। महगठबंधन से राजद के प्रत्याशी विजय प्रकाश के समर्थकों को वोट बंटवारे के बीच से उनकी जीत की राह नजर आ रही है। जाहिर है कि इसी सीट से जमुई के कद्दावर नेता पूर्व मंत्री नरेंद्र सिंह के पुत्र अजय प्रताप भी रालोसपा से उम्मीदवार रहे। उनके समर्थक खुद को कमजोर नहीं आंक रहे। चकाई में भी नरेंद्र सिंह के दूसरे पुत्र सुमित कुमार निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर ही मैदान मार लेने का दावा करते हैं। सुमित जदयू में थे। यहां से जदयू के उम्मीदवार रहे विधान पार्षद संजय प्रसाद। लोजपा ने भी उम्मीदवार दिया है। इन उम्मीदवारों को महागठबंधन के रणनीतिकार एनडीए के वोटों में बिखराव के रूप में देख रहे हैं और राजद प्रत्याशी सावित्री देवी के पुन: विधायक चुने जाने के प्रति आश्वस्त हैं। लोजपा की पेच के बीच झाझा में मुख्य मुकाबला जदयू और राजद में कांटे का संघर्ष माना जा रहा है। सिकंदरा में यही हाल रहा।


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