Bihar Assembly Elections 2020 : कोसी में वर्ष 2005 में पहली बार निकला कमल
Bihar Assembly Elections 2020 2005 में पहली बार कोसी के इलाके में सहरसा सीट पर भाजपा का कमल निकला। पार्टी उम्मीदवार संजीव झा ने जीत का परचम लहराया। इसके बाद 2010 में भी भाजपा का कमल खिलता रहा। पार्टी के उम्मीदवार डॉ. आलोक रंजन ने यहां जीत दर्ज की।
कुंदन [सहरसा]। Bihar Assembly Elections 2020 : कोसी का इलाका समाजवादियों का गढ़ माना जाता रहा है। यहां से समाजवादियों और कांग्रेसियों के बीच लंबे समय तक राजनीतिक वर्चस्व की लड़ाई होती रही है। रामजन्म भूमि आंदोलन के बाद इस इलाके में भाजपा ने अपना पैर पसाराना शुरू किया। लोगों तक पार्टी पहुंचने लगी। इस दौरान भाजपा कुछ सीटों पर चुनाव भी लड़ती रही। हालांकि वह सदन में अपना प्रतिनिधि भेजने में नाकाम रही।
2005 में पहली बार कोसी के इलाके में सहरसा सीट पर भाजपा का कमल निकला। पार्टी उम्मीदवार संजीव झा ने जीत का परचम लहराया। इसके बाद 2010 में भी भाजपा का कमल खिलता रहा। पार्टी के उम्मीदवार डॉ. आलोक रंजन ने यहां जीत दर्ज की। इस दौरान भाजपा सत्ता में रही। सत्ता में आने के बाद भी भाजपा का प्रतिनिधित्व कोसी के इलाके में नहीं बढ़ सका। पार्टी सिर्फ सहरसा सीट पर सिमटी रही। 2015 में जदयू से अलग होने के बाद भाजपा अकेले चुनाव मैदान में आई। गठबंधन के दौर में पहली बार भाजपा यहां एनडीए में बड़े भाई की भूमिका में थी। प्रमंडल की 13 सीटों में से उसके हिस्से सर्वाधिक सात सीटें आई। तब कोसी में भाजपा ने पूरे दम-खम से चुनाव लड़ा। हालांकि पार्टी को एक सीट को छोड़ शेष छह सीटों मुंह की खानी पड़ी। जीत दर्ज करने वाली यह इकलौती सीट सहरसा नहीं थी। यहां से पार्टी उम्मीदवार हार गए। सिर्फ सुपौल जिले की छातापुर सीट ने इज्जत बचाई। जदयू प्रत्याशी के तौर पर छातापुर से हमेशा जीत दर्ज करने वाले नीरज कुमार बबलू इस दफे छातापुर से भाजपा के प्रत्याशी के रूप में मैदान में थे। उन्होंने ही यहां अपने दम पर कमल खिलाया।
अब सहरसा जिले में भाजपा के कई कद्दावर नेता उभरकर आए हैं। वहीं, लगातार पार्टी के शीर्ष नेता स्थानीय कार्यकर्ताओं से संपर्क बनाए हुए हैं। इस बार एनडीए में जदयू और भाजपा ही शामिल है। लोजपा एनडीए से बाहर है। हम और वीआइपी को एनडीए में जगह मिली है।