Bihar Assembly Elections 2020 : सीमांचल में मुरझाए कमल में फिर से जान डालने की कोशिश में भाजपा
Bihar Assembly Elections 2020 भारतीय जनता पार्टी ने सीमांचल इलाके में अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए पूरी सक्रियता बढ़ा दी है। पिछले चुनाव में भाजपा को यहां काफी नुकसान हुआ था।
कटिहार [प्रकाश वत्स]। : Bihar Assembly Elections 2020 : बांग्लादेशी घुसपैठ से लेकर राष्ट्रवाद के मुद्दों को लेकर सीमांचल में कांग्रेस व राजद की जड़े हिलाने वाली भाजपा इस क्षेत्र में एक बार वर्ष 2010 के विधानसभा चुनाव जैसा रुतबा पाने को बेताब है। खासकर लोकसभा चुनाव में परंपरागत कटिहार व पूर्णिया जैसी सीट छोडऩे की विवशता से उबर पार्टी विधानसभा चुनाव में फिर अपने लय में लौटना चाहती है। इसके लिए तय रणनीति पर पार्टी का अभियान भी जारी है। पार्टी के प्रदेश पदाधिकारी से लेकर सांसद तक गांव की डगर नापने लगे हैं। यह मिशन कार्यकर्ताओं में जोश भरने के साथ अपने सहयोगी को खुद के मंसूबे से अवगत कराने की एक कड़ी मानी जा रही है।
सन 2010 के चुनाव में भाजपा व जदयू साथ थी। इस स्थिति में भी भाजपा सीमांचल की कुल 24 में से 17 सीटों पर चुनाव लड़ी थी। उस चुनाव में पार्टी ने 17 में 12 सीटों पर विजय पताका लहराया था। यह परिणाम लगभग 2005 के चुनाव जैसा ही था। सन 2015 के चुनाव में समीकरण बदला-बदला था और भाजपा व जदयू ने अपने-अपने सहयोगी दलों के साथ अलग-अलग चुनाव लड़ा था। उस चुनाव में भी भाजपा ने अपने कोटे में 17 सीटें रखी थी। इसमें छह सीटों पर ही पार्टी को जीत मिल सकी थी, लेकिन पार्टी अपनी हर परम्परागत सीट पर मुख्य मुकाबला में रही थी। कई सीटों पर तो जीत का अंतर भी मामूली रहा था। इसमें महज एक ही ऐसी सीट थी, जिसमें उनके वर्तमान सहयोगी जदयू ने उसे पटकनी दी थी। शेष सीटों पर राजद, कांग्रेस या फिर अन्य के हाथों उसे मुंह की खानी पड़ी थी।
भाजपा के उदय में सीमांचल की भी रही है अहम भूमिका
ऐसे में सन 2000 के चुनाव से ही बांग्लादेश व नेपाल की सीमा से सटे इस क्षेत्र में सिरमौर रही भाजपा एक बार फिर उस जमीन पर कब्जा को बेताब है। पार्टी के एक प्रदेश पदाधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि पार्टी इस चुनाव में सहयोगी दलों की हर बात मान सकती है, लेकिन सीमांचल में तय सीटों से कम पर समझौता कतई नहीं होगा। भाजपा के उदय में इस क्षेत्र की अहम भूमिका रही है। इस क्षेत्र में पार्टी का एक मजबूत सांगठनिक ढांचा तैयार है। कार्यकर्ताओं की एक बड़ी फौज पार्टी के साथ है। लोकसभा चुनाव में परंपरागत सीट कटिहार व पूर्णिया छोड़े जाने से कार्यकर्ताओं के उत्साह में जो कमी आई है, उसे विस चुनाव में सम्मानजनक सीट लेकर पूरी करने की रणनीति पूर्व से तय है।