Bihar Assembly Election Results 2020 : पहली बार मुसहर समाज को सिकंदरा में मिली जीत
Bihar Assembly Election Results 2020 जमुई जिले के सिकंदरा विधानसभा क्षेत्र से प्रफुल्ल कुमार मांझी चुनाव जीते हैं। उन्हें जीतन राम मांझी ने अपना उम्मीदवार बनाया था। वे एनडीए गठबंधन में है। कई समस्याओं से जूझने के बाद भी जनता ने मांझी पर भरोसा जताया।
जमुई, जेएनएन। Bihar Assembly Election Results 2020 : सिकंदरा विधानसभा क्षेत्र से प्रफुल्ल कुमार मांझी के निर्वाचित होने की घोषणा के साथ ही यह मिथक टूट गया। या फिर यूं कहें कि समाज के सबसे निचले पायदान पर खड़े मुसहर समाज के एक बेटा को पहली बार सिकंदरा का प्रतिनिधित्व का अवसर प्राप्त हुआ। वैसे तो दोहरी सदस्यता के दौर में 1957 में भोला मांझी जमुई से विधायक तथा 1971 में सांसद चुने गए थे। लेकिन 1967 से सुरक्षित सिकंदरा विधानसभा क्षेत्र में कभी इस समाज के उम्मीदवारों को कामयाबी नहीं मिली।
बाद के दौर में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी की टिकट पर महादेव मांझी ने भी किस्मत आजमाया लेकिन कामयाब नहीं हुए। इसके पहले भोला मांझी भी कई दफे सिकंदरा विधानसभा क्षेत्र से चुनाव मैदान में उतरे लेकिन मतदाताओं ने उन्हें प्रतिनिधित्व का अवसर प्रधान नहीं किया। यह सब तब हुआ जब सिकंदरा विधानसभा क्षेत्र में जातिगत समीकरण के लिहाज से भी मुसहर समाज के मतदाताओं की संख्या तीसरे नंबर पर है। यादव और मुसलमान के बाद सिकंदरा में मुसहर समाज का ही वोट है।
बहरहाल नवनिर्वाचित विधायक प्रफुल्ल कुमार मांझी के सामने समाज के उत्थान को लेकर कार्य करने की बड़ी चुनौती होगी। शांत स्वभाव के प्रफुल्ल आर्थिक रूप से कमजोर जरूर हैं, लेकिन योग्यता के मामले में सिकंदरा विधानसभा क्षेत्र से भाग्य आजमा रहे कई उम्मीदवारों से बेहतर बताए जाते हैं। गौरतलब हो चुनाव प्रचार में आखिरी दिनों तक पिछड़ने वाले प्रफुल्ल कुमार मांझी सिकंदरा विधानसभा क्षेत्र से निर्वाचित हुए हैं। नया चेहरा, अल्प अवधि एवं संसाधनों की कमी की चुनौती को झेलते हुए प्रफुल्ल कुमार की कामयाबी यह साबित करने के लिए पर्याप्त है कि सिर्फ धनबल के सहारे चुनावी नैया पार नहीं लगती।
हर वर्ग के लोगों को मिला समर्थन
प्रफुल्ल कुमार मांझी को जीतन राम मांझी ने अपना उम्मीदवार बनाया है। वे हम प्रत्याशी के रूप में सिकंदरा विधानसभा से चुनाव लड़ रह थे। उन्हें भाजपा, जदयू और वीआइपी आदि पार्टियों का समर्थन था। एनडीए के सभी घटक दलों ने उन्हें सहयोग किया और वे जीत गए।