Bihar Assembly Election 2020: तब पार्टी दफ्तर में हर रोज होती थी सत्तू पार्टी, प्रचार में जाने से पहले नेता-कार्यकर्ता होते थे शामिल
बलवा निवासी चन्द्र मोहन मिश्र 1970 के दौरान प्रचार का तरीका याद करते हुए बताते हैं कि तब भोपू लगाकर साइकिल व रिक्शा गांव की गलियों व मुहल्लों में घूमा करते थे। पार्टियों के कार्यकर्ता घर-घर जाकर पेपर बांटा करते थे। स्टीकर चस्पां किया करते थे।
सहरसा [राजेश राय पप्पू]। आधुनिकता के दौर में प्रत्याशियों ने चुनाव प्रचार का तरीका ही बदल दिया। पुराने जमाने के तौर-तरीके घर-घर संपर्क कर वोट मांगने का स्थान सोशल मीडिया के फेसबुक, व्हाट््सएप, इंस्टाग्राम आदि ने ले लिया है। महिषी विधानसभा के गठन के बाद 1969 के चुनाव प्रचार से जुड़े नवहट्टा पश्चिम पंचायत के बलवा निवासी चन्द्र मोहन मिश्र न पहले के चुनाव प्रचार के बारे में बताया। कहा भोपू लगाकर साइकिल व रिक्शा गांव की गलियों व मुहल्लों में घूमा करता था। पार्टियों के कार्यकर्ता घर-घर जाकर पेपर बांटा करते थे। स्टीकर चस्पां किया करते थे। घर के मुख्य द्वारा दरवाजे पर पार्टी का झंडा गाड़ते थे । अब तो झंडा कहीं दिखता ही नहीं है ।
लहटन की बैठक के लिए परमेश्वर कुमर ने जलायी थी लाइट
1969 के चुनाव में लहटन चौधरी एवं परमेश्वर कुमर आमने-सामने थे। बलवा में पेड़ के नीचे बने चबूतरे पर देर शाम लहटन चौधरी ग्रामीणों के साथ बैठ कर चुनावी चर्चा कर रहे थे। बिजली का कहीं नामोनिशान नहीं था। दो-तीन पेट्रोमेक्स जल रहे थे। अचानक तेज हवा में पेट्रोमेक्स का मेंटल टूट कर गिर गया और अंधेरा छा गया। उसी समय बांध होकर परमेश्वर कुमर गुजर रहे थे। पेड़ के नीचे ग्रामीणों को जमा देख रुके उन्हें पता था कि बलवा कांग्रेसियों का गढ़ है फिर भी बैठक खत्म होने तक जीप की लाइट जलाए रखा ।
प्रचार के दौरान कुमर जी के घर चौधरी जी ने खाया था खाना
तटबंध के अंदर चुनाव प्रचार में एक दिन शाम हो गया । कोसी नदी पार करने के दौरान नाव भटक गई और तरही के पास किनारा लगा। रात के खाने का बंदोबस्त बलवा में ही किया गया था। नदी के इस पार आना मुश्किल हो गया। लहटन चौधरी के साथ लगभग दो दर्जन कार्यकर्ता थे। तरही के समीप कोसी किनारे नाव से बाहर होकर हम लोग खड़े थे। उसी समय परमेश्वर कुमर का एक कार्यकर्ता कुमर जी का संवाद लेकर आया और अपने घर ले जाकर सभी को मकई की रोटी और साग खिलाया। रात वहीं गुजारने के बाद सुबह हम लोग फिर चुनाव प्रचार के लिए निकले।
पार्टी कार्यालय में रहता था सत्तू
पार्टी का कार्यालय किसी समर्थक के घर व दरवाजे पर खोला जाता था। जहां बैनर पोस्टर झंडा रहता था। खाने-पीने के नाम पर केवल सत्तू मिलता था। मुद्दे पर आधारित चुनाव प्रचार होता था। मुद्दाविहीन जात-पात, धर्म मजहब के नाम पर वोट नहीं मांगा जाता था। बड़े-छोटे का कोई भेदभाव नहीं था। प्रत्याशी और कार्यकर्ता सभी सुबह सत्तू पीकर चुनाव प्रचार में जुट जाते थे।