Move to Jagran APP

बिहार विधानसभा उपचुनाव 2021: तारापुर की राजनीति में भीष्म पितामह हो गए शकुनी चौधरी, चिराग पासवान को झटका

बिहार विधानसभा उपचुनाव 2021 चिराग पासवान के लिए भी बड़ी चुनौती रहा तारापुर का उपचुनाव। शकुनी चौधरी के पुत्र रोहित को क्या भविष्य में मिल पाएगा राजनीतिक लाभ? बड़े पुत्र सम्राट चौधरी भाजपा से विधान पार्षद और मंत्री हैं।

By Dilip Kumar ShuklaEdited By: Published: Sun, 07 Nov 2021 08:03 PM (IST)Updated: Sun, 07 Nov 2021 08:03 PM (IST)
बिहार विधानसभा उपचुनाव 2021: तारापुर की राजनीति में भीष्म पितामह हो गए शकुनी चौधरी, चिराग पासवान को झटका
तारापुर विधानसभा उपचुनाव: शकुनी चौधरी और चिराग पासवान।

भागलपुर [संजय सिंह]। तारापुर विधानसभा क्षेत्र के उप चुनाव का परिणाम कई मामलों में चौंकाने वाला रहा। इस चुनाव में तारापुर से पांच बार विधायक रहे शकुनी चौधरी भीष्म पितामह की भूमिका में रहे। लोजपा (रामविलास) प्रत्याशी को कम वोट आने की वजह से चिराग पासवान को झटका लगा। इस झटके से नाराज चिराग अब संगठन में फेरबदल की बात सोचने लगे हैं। भविष्य में राजनीतिक फायदा के लिए शकुनी चौधरी के पुत्र रोहित चौधरी ने जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह के कहने पर पार्टी की सदस्यता स्वीकार कर ली।

loksabha election banner

राजनीतिक रूप से सशक्त चौधरी के बड़े पुत्र सम्राट चौधरी भाजपा से विधान पार्षद और मंत्री हैं। इनकी मां पार्वती देवी भी तारापुर से विधायक रह चुकी हैं। लेकिन, पूरे चुनाव में शकुनी चौधरी कहीं भी सक्रिय भूमिका में नजर नहीं आए। वे जीत का आशीर्वाद हर प्रत्याशी को देते रहे।

यह क्षेत्र जमुई लोकसभा क्षेत्र के अधीन है। यहां के सांसद चिराग पासवान हैं। लोजपा रामविलास के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान लोकसभा चुनाव के दौरान राजद गठबंधन से रालोसपा प्रत्याशी भूदेव चौधरी को बड़े मतों के अंतर से हराया था। चिराग पासवान को पांच लाख 29 हजार मत मिले थे, जबकि रालोसपा उम्मीदवार भूदेव चौधरी को 2 लाख 88 हजार मतों से ही संतोष करना पड़ा था। तारापुर विधानसभा क्षेत्र से भी चिराग को बड़ी बढ़त मिली थी। इस बार के उपचुनाव में लोजपा (रामविलास) प्रत्याशी चंदन कुमार सिंह को मात्र पांच हजार से कुछ अधिक मतों से ही संतोष करना पड़ा। चिराग के लिए यह मंथन का विषय है कि उनके प्रत्याशी को इस उप चुनाव में इतने कम मत कैसे मिले।

बीते विधानसभा चुनाव में लोजपा प्रत्याशी मीणा देवी को लगभग दस हजार मत मिले थे। राजद प्रत्याशी अरुण साह के लिए सबसे बड़ी चुनौती पहचान की थी। भले ही उनका पैतृक आवास असरगंज में रहा है, लेकिन राजद नेता के रूप में तारापुर में उनकी कोई पहचान नहीं थी। वे सब दिन भागलपुर की राजनीति में सक्रिय रहे। हाल के दिनों में तारापुर, खडग़पुर, संग्रामपुर, टेटिया बम्बर और असरगंज के इलाके में राजद सांगठनिक रूप से भी कमजोर हुआ है।

तारापुर ही ऐसा क्षेत्र था जहां से नीतीश मंत्रिमंडल में एक साथ दो-दो मंत्री बने थे। भाजपा कोटे से सम्राट चौधरी और जदयू कोटे से मेवालाल। हालांकि, जदयू के मेवालाल को कुछ ही घंटे बाद अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा था। मेवालाल चौधरी के निधन के बाद उनके परिवार का कोई भी सदस्य चुनाव लडऩे के लिए तैयार नहीं हुआ, तो जदयू ने अपने पुराने कार्यकर्ता राजीव सिंह को उम्मीदवार बनाया। राजीव की उम्मीदवारी से लेकर चुनाव जिताने तक की जिम्मेवारी जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने स्वयं संभाल रखी थी। अपनी राजनीतिक कार्यकुशलता के दम पर उन्होंने शकुनी चौधरी के पुत्र रोहित को जदयू में शामिल करवा लिया।

  • - बूथ संख्या एक से 54 तक असरगंज अरुण कुमार साह को 14 हजार 136 मत मिले
  • - जदयू उम्मीदवार राजीव कुमार सिंह को 11 हजार 136 मत मिले। राजद 36 सौ मतों से आगे रहा
  • - 55 से 135 तक तारापुर से अरुण कुमार साह को 18 हजार 727 और जदयू उम्मीदवार राजीव सिंह को 19 हजार 165 मत मिले। राजद उम्मीदवार 438 मत से आगे रहे
  • - बूथ संख्या 136 से 189 तक टेटिया बम्बर : राजद उम्मीदवार को 10 हजार 732 और जदयू उम्मीदवार को 12 हजार 524 मत मिले। जदयू
  • 1792 मत से आगे रहा
  • - बूथ संख्या 190 से 264 तक हवेली खडग़पुर : राजद उम्मीदवार को 15 हजार 991 और जदयू उम्मीदवार को 18 हजार 69 मत मिले।
  • जदयू उम्मीदवार 2078 मत से आगे रहे
  • - बूथ संख्या 265 से 338 तक संग्रामपुर : राजद उम्मीदवार अरुण साह को 14 हजार 959 और जदयू उम्मीदवार राजीव कुमार को 18 हजार 72 मत मिले।
  • जदयू उम्मीदवार तीन हजार 821 मत से विजयी रहे।

विकास कार्यों की उपेक्षा को लेकर जब मतदाताओं ने राष्ट्रीय अध्यक्ष से सवाल जबाव करना शुरू किया, तो उन्हें कहना पड़ा कि तारापुर के विकास की जिम्मेवारी उनके माथे होगी। मंत्री अशोक चौधरी ने भी जदयू के पक्ष में मतदाताओं को गोलबंद करने का भरपूर प्रयास किया। वे लगातार तारापुर और जमुई में कैंप करते रहे। राजनीतिक गलियारे में इस बात की भी चर्चा है कि भविष्य में जमुई संसदीय क्षेत्र से अशोक चौधरी भी चुनाव लड़ सकते हैं।

स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने जदयू से नाराज वोटरों को मनाने में अहम भूमिका निभाई। कांग्रेस प्रत्याशी राजेश मिश्रा के आ जाने से जदयू को इस बात का भय सता रहा था कि कहीं उनके स्वजातीय का वोट कांग्रेस प्रत्याशी को न चला जाए। मंगल पांडेय इस कार्य में सफल रहे। भारत सरकार हाउसिंग सोसाइटी बोर्ड के अध्यक्ष विजय सिंह ने संग्रामपुर प्रखंड में जीतोड़ परिश्रम कर जदयू प्रत्याशी को बढ़त दिलाने में अपनी भूमिका निभाई। इसके अलावा जदयू और भाजपा के मंत्री, विधायक, विधान परिषद सदस्य की फिल्डिंग इस कदर सजाई गई थी कि राजद को छोड़ अन्य प्रत्याशियों की जमानत तक जब्त हो गई। अब नए विधायक से लोगों को विकास की विशेष उम्मीद है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.