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BAU के कृषि वैज्ञानिकों ने लौकी की नई किस्म विकसित की, जानिए... इसके फायदे Bhagalpur News

बीआरबीजी-65 लौकी गर्मी वर्षात और अगेती शरद तीनों मौसम के लिए उपयुक्त है। बीएयू के वैज्ञानिकों ने इसके फल उच्च गुणवत्तायुक्त होने का दावा किया है।

By Dilip ShuklaEdited By: Published: Fri, 02 Aug 2019 03:10 PM (IST)Updated: Fri, 02 Aug 2019 03:10 PM (IST)
BAU के कृषि वैज्ञानिकों ने लौकी की नई किस्म विकसित की, जानिए... इसके फायदे Bhagalpur News
BAU के कृषि वैज्ञानिकों ने लौकी की नई किस्म विकसित की, जानिए... इसके फायदे Bhagalpur News

भागलपुर [ललन तिवारी]। बिहार कृषि विश्वविद्यालय ने छोटे परिवारों को ध्यान में रखते हुए लौकी की नई किस्म बीआरबीजी - 65 विकसित की है। यह किस्म बिहार की धरती के लिए उपयुक्त पाई गई है। साथ ही इसकी खेती सालों भर की जा सकेगी। बीआरबीजी-65 की लंबाई 32 से 35 सेंटीमीटर और वजन 800 ग्राम से एक किलो तक होगा। वैज्ञानिकों ने कहा कि आज छोटे परिवार की संख्या समाज में तेजी से बढ़ रही है। ऐसे में लंबी और ज्यादा वजन की लौकी छोटे परिवारों के लिए परेशानी का सबब बन जाता है।

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किसान अपनी आय कर सकते हैं दो गुणी

बीआरबीजी-65 लौकी गर्मी, वर्षात और अगेती शरद तीनों मौसम के लिए उपयुक्त है। बीएयू के वैज्ञानिकों ने इसके फल उच्च गुणवत्तायुक्त होने का दावा किया है। वैज्ञानिकों ने कहा किसान सालों भर इसकी खेती कर अपनी आय दो गुणी कर सकते हैं।

एक किलो तक होगा औसत वजन

अनुसंधान निदेशक डॉ. ईश्वर सिंह सोलंकी ने कहा बीआरबीजी-65 का फल देखने में बहुत खूबसूरत, छोटा और एक समान रूप से बेलनाकार होता है। लंबाई 32 से 35 सेंटीमीटर और फलों का औसत वजन 800 ग्राम से एक किलो तक होता है। इसका बीज देर से बनने के कारण इनके फलों की तुड़ाई तीन दिन अधिक खेतों में रखकर की जा सकती है। जिससे किसानों को बाजार भाव का उतार-चढ़ाव भी ना झेलना पड़े।

540 क्विंटल प्रति हेक्टेयर पैदावारी का दावा

बीएयू के वैज्ञानिकों ने नई किस्म की लौकी का औसत उपज 540 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होने का दावा किया है। जो अन्य किस्मों की अपेक्षा बहुत ज्यादा है। इसकी खेती वर्षात के मौसम में भी झालरी व पंडाल पद्धति से किया जा सकता है। वैज्ञानिकों ने कहा आर्थिक विश्लेषण के आधार पर पाया गया कि यदि कोई किसान इस किस्म की लौकी की खेती करता है तो एक रुपये औसत लागत पर चार माह में 2.25 रुपये शुद्ध आमदनी प्राप्त कर सकता है।

बीएयू के कुलपति डॉ. अजय कुमार सिंह लौकी की नई किस्म विकसित की गई है इसका सफलता पूर्वक मूल्यांकन किया जा रहा है। किसानों के लिए यह काफी लाभकारी होगा। बहुत जल्द रिलीज किया जाएगा।

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