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जब पंजाब में रेल रोक रहे थे प्रदर्शनकारी तब बिहार में हल चला रहे थे किसान

कोसी सीमांचल और पूर्व बिहार में भारत बंद भारत बंद को लेकर पूरे देश में भले ही दिनभर गहमा-गहमी रहा हो पर किसान आंदोलन से बेपरवाह अपने खेतों में काम करते नजर आए। किसानों का कहना था कि राजनीतिक रोटियां सेंकने वाले आंदोलन के नाम पर बरगला रहे हैं।

By Abhishek KumarEdited By: Published: Tue, 08 Dec 2020 08:41 PM (IST)Updated: Tue, 08 Dec 2020 08:41 PM (IST)
जब पंजाब में रेल रोक रहे थे प्रदर्शनकारी तब बिहार में हल चला रहे थे किसान
कहलगांव में आंदोलन से बेपरवाह अपने खेत में हल चलाते किसान।

भागलपुर [आनंद कुमार सिंह]। जिस समय किसान आंदोलन के नाम पर पंजाब में ट्रैक पर बैठकर आंदोलनकारी रेल यातायात को प्रभावित कर रहे थे, ठीक उसी समय मधेपुरा के रामचंद्र यादव व जयप्रकाश यादव खेतों में काम कर रहे थे। इन्होंने कहा कि आंदोलन करेंगे तो खेतों में काम कौन करेगा। अभी खेती-किसानी का समय है। पूर्व बिहार, कोसी और सीमांचल के विभिन्न इलाकों में राजनीतिक दलों के कार्यकर्ता सड़कों पर दिखे तो किसान खेतों में।

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बांका जिले के बेलहर के किसान चंद्रकिशोर झा मंगलवार को चने की फसल के बीच से खर-पतवार हटा रहे थे। इन्होंने बताया कि राजनीतिक रोटियां सेंकने वाले आंदोलन के नाम पर किसानों को बरगला रहे हैं। हमारे जिले और राज्य के किसान इन झांसों में नहीं आने वाले हैं। बांका के किसान राघवेंद्र सिंह परेशान रहे। इन्हें काम करने के लिए मजदूर ही नहीं मिला। इन्होंने बताया कि आजकल खेती-किसानी का समय है। इस कारण हर खेत में इतना काम है कि आसानी से मजदूर ही नहीं मिलते हैं।

कटिहार के ललित चौधरी मक्का तो अमित कुमार सब्जियों की खेती करते हैं। इन्होंने बताया कि नए कृषि कानून से किसानों को काफी फायदा है। इसका विरोध वही लोग कर रहे हैं, जो किसानों का हित नहीं चाहते हैं। कई बिचौलिए भी अपनी कमाई बंद होती देखकर आंदोलन में कूदे हैं, लेकिन सच्चे किसानों पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ा। किसान अगर आंदोलन में इतना समय देंगे तो खेती कौन करेगा। यदि ढंग से खेती नहीं हो तो किसानों को पूरे साल एक-एक रुपये के लिए परेशान होना पड़ेगा। एक राजनीतिक दल की महिला प्रकोष्ठ की राष्ट्रीय अध्यक्ष ने अपनी फेसबुक प्रोफाइल पर किसान आंदोलन के समर्थन में पोस्ट डाली। जवाब भी आए। अनीश कुमार ने लिखा-सैनिकों और महिलाओं पर भी पत्थर चलाता हूं, अगर मिलें 500 रुपये तो किसान भी बन जाता हूं। प्रिंस और अभिजीत ने इसी पोस्ट पर लिखा है-इस नौटंकी से देश और देशवासियों पर कोई फर्क नहीं पडऩे वाला। 


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