सहरसा में बह रही भक्ति की धारा, झांसी से आए पंडित संतोषानन्द शास्त्री जी बोले- जीवन जीने की कला सिखाता है श्रीरामचित मानस
सरडीहा पंचायत में इस बार श्री श्री 1008 गोपाष्टमी मेला का नजारा इस बार बदला-बदला रहा। कोरोना के कारण लोगों की भीड़ कम थी। श्री रामचरित मानस कथा को वाचने के लिए यूपी के झांसी से संतोषानन्द शास्त्री जी महाराज आए थे।
सहरसा, जेएनएन। प्रखंड के सरडीहा पंचायत स्थित दो दिवसीय श्री श्री 1008 गोपाष्टमी मेला बुधवार को संपन्न हो गया। कोविड 19 के बढ़ते प्रकोप के मद्देनजर इस बार परंपरा के अनुरूप सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन नहीं किया गया।
पूर्व फौजी 65 वर्षीय बलभद्र प्रसाद सिंह के अनुसार जमुनियां गोपाष्टमी में अगर सच्चे मन से श्रद्धालु मन्नत मांगे तो उन के आर्शीवाद से सूनी गोद में भी किलकारी गुंजने लगती है। मेले में आयोजित दो दिवसीय श्री रामचरित मानस कथा को संबोधित करते हुए यूपी के झांसी से आए कथा वाचक पंडित संतोषानन्द शास्त्री जी महाराज ने अपने प्रवचन में कहा कि रामचरित्र मानस एक ऐसा धार्मिक ग्रंथ है जो श्रवण करने से मानव को मानव को भगवान के बताए मार्ग का अनुशरण करते हुए संपूर्ण जीवन जीने की कला सिखा देता है।
उन्होंने कहा कि श्रीरामचरित मानस में श्रीराम प्रश्नावली एक ऐसी पहेली है जिसमें मानव के हर समस्याओं का समाधान समाहित है। उन्होंने रामप्रश्नावली के संबंध में विस्तृत चर्चा कर इस के महता के बारे में लोगों को समझाया। कथा की प्रस्तुति एवं यूपी के पवन दीवाना के संगीतमय धार्मिक गीतों की प्रस्तुति से पूरा वातावरण भक्तिमय हो गया। बाबा ने कहा कि भगवान का स्मरण करने से ही शाश्वत सुख की होगी प्राप्ति।
मेले में श्रद्धालुओं की उमडती रही भीड़
कोरोना के बढ़ते प्रकोप के बीच जमुनिया गौशाला मेला में विशेष पूजा अर्चना करने को ले श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी। आयोजक लोगों को मास्क पहनने एवं मेला परिसर में शारीरिक दूरी का पालन करने की हिदायत देते रहे। मेला के दूसरे दिन कथा शुरू होने से पूर्व मुखिया सुमन कुमार सिंह ने लोगों को संबोधित कर कहा कि जमुनियां मेला सौहार्द एवं आपसी भाईचारे का प्रतीक रहा है। उन्होंने मेला आयोजन में शांति व्यवस्था बनाए रखने में आसपास के गांव के लोगों के सहयोग के लिए धन्यवाद दिया।
मेला के सफल आयोजन में मेला आयोजन समिति के अध्यक्ष दिलीप सिंह,पूर्व फौजी बलभद्र सिंह,सरोंजा के जयशंकर सिंह, मुन्ना सिंह, दुष्यंत सिंह, जीवन कुमार सिंह, रतन सिंह,चन्द्रहास सिंह, चमरू सिंह, प्रसुन सिंह, नवीन सिंह, सचिव सुमन कुमार सिंह का सक्रिय योगदान रहा। मेला में कोलकाता के प्रसिद्ध कलाकारों के द्वारा निर्मित कृष्ण भगवान एवं अन्य देवी देवताओं की प्रतिमा मेला के मुख्य आकर्षण का केन्द्र विंदु बनी रही।