Bhagalpur Weather Forecast : दिन होगा साफ, बढ़ेगा बढ़ेगा न्यूनतम और अधिकतम पारा, जानिए
Bhagalpur Weather Forecast कोसी सीमाचंल और पूर्व बिहार में अब मौसम साफ होने लगा है। पिछले दो दिनों से आसमान में बादल छाए हुए थे लेकिन शनिवार को मौसम साफ हो गया। साथ ही आज से तापमान भी बढ़ने लगेगा।
जागरण संवाददाता, भागलपुर। कोसी, सीमांचल और पूर्व बिहार के भागलपुर, पूर्णिया, कटिहार, सहरसा, सुपौल, बांका सहित आसपास के जिले में आज से मौसम साफ होने लगा है। दिन का अधिकत और न्यूनतम पारा भी बढ़ने लगा है। शनिवार को अधिकतम तापमान करीब 26 डिग्री और न्यूनतम तापमान 13 डिग्री रहने के अनुमान हैं। बीएयू के मौसम विभाग के अनुसार आज से अधिकतम और न्यूनतम दोनो तापमान बढ़ने लगेगा। साथ ही आकास में बादल भी नहीं छाए रहेंगे। इस दौरान हल्की हवा चल सकती है।
माघ के मेघ संग बरसा लाही, संकट में सरसों
वहीं, इस बार वसंत समय पर आया। कड़ाके की आगे बढ़ी ठंड के बाद भी मौसम गर्म होते ही आम, सरसों, तीसी, चना, सहजन सब में फूल समय पर निकल आया। अधिक ठंड के कारण इस बार सरसों की हर तरफ अच्छी फसल दिख रही है। अगात सरसों में तो फलियां तैयार हो गई। मगर पिछले दो दिनों से माघ के आसमान में छाया मेघ लाही बरसा रहा है। यह पिछात सरसों पर काल बन कर टूटा है। पिछले दो दिनों से खेत में इसका तेजी से प्रसार दिख रहा है। फूल वाले सरसों खेतों में इसका प्रभाव तेजी से बढ़ रहा है। मौसम पूर्वानुमान के मुताबिक शनिवार से मेघ का प्रभाव कम होगा। आसमान में आंशिक बादल छाया रहेगा। मगर रविवार से जिला का मौसम पूरी तरह साफ हो जाएगा। मौसम विज्ञानी जुबुली साहू ने बताया कि बादल के बाद धूप खिलने पर लाही का प्रभाव तेजी से बढ़ता है। किसानों को इसके लिए सचेत रहने की जरूरत है।
इम्डाक्लीरोपिड का करें छिडकाव : डा. मुनेश्चर
कृषि विज्ञान केंद्र के समन्वयक सह वरीय विज्ञानी डा.मुनेश्वर प्रसाद ने बताया कि आसमान में बादल छाने से लाही का खतरा सरसों पर तेजी से बढ़ता है। अभी भी कई इलाकों में लाही की बात सामने आ रही है। इससे उत्पादन पूरी तरह प्रभावित हो जाता है। ऐसे में जरूरी है कि किसान खेत में इसका प्रभाव दिखते ही इम्डाक्लीरोपीड नामक दवा का छिड़काव कर दें। एक लीटर पानी में 0.5 मिली दवा को अच्छी तरह मिलाकर इसका छिड़काव करें। आम के मंजर पर भी इसका प्रभाव दिखने पर इस दवा का प्रयोग कर सकते हैं। लाही में दो तीन दिन लापरवाही पर फसल का बड़ा हिस्सा प्रभावित हो जाता है। जिसका बुरा असर उत्पादन पर पड़ता है।