भागलपुर: नैनो यूरिया का करें इस्तेमाल, बचेगा पैसा और मिट्टी की सेहत भी रहेगी बरकरार
भागलपुर के किसानों को नैनों यूरिया के इस्तेमाल के लिए प्रेरित किया जाएगा। बोरी वाली यूरिया की तुलना में इसका इस्तेमाल ज्यादा फायदेमंद है। इससे न केवल पैसा बचेगा बल्कि मिट्टी की उर्वरा शक्ति भी बरकरार रहेगी। इसके लिए...
जागरण संवाददाता, भागलपुर। नैनो यूरिया का कोटा बढ़कर एक लाख हो गया है। सभी प्रखंडों में पर्याप्त मात्रा में नैनो यूरिया उपलब्ध करा दिया गया है। धान के सीजन में पांच सौ एमएल का 15 हजार पीस आया था। अभी 30 हजार लीटर नैनो यूरिया उपलब्ध है। नैनो यूरिया के प्रचार-प्रसार के लिए जिला कृषि पदाधिकारी कृष्ण कांत झा ने सभी प्रखंड कृषि पदाधिकारी, कृषि समन्वयक, प्रखंड तकनीकी प्रबंधक, सहायक तकनीकी प्रबंधक, किसान सलाहकार को पत्र भेजा है।
इफको कंपनी का नैनो यूरिया सभी प्रखंड में संबंधित खाद विक्रेताओं को उपलब्ध कराया गया है। 500 मिली लीटर के एक बोतल नैनो यूरिया की कीमत मात्र 240 रुपये है। एक बोतल नैनो यूरिया में 40 हजार पीपीएम नाइट्रोजन होती है। यह सामान्य एक बोरी यूरिया के बराबर नाइट्रोजन पोषक तत्व प्रदान करेगी। नैनो यूरिया के छिड़काव से पौधों को संतुलित मात्रा में पोषक तत्व मिलेगी। यूरिया के अधिक प्रयोग में कमी आएगी और पर्यावरण प्रदूषण पर लगाम लगेगा।
मिट्टी के स्वास्थ्य व पौधों की बीमारी व कीट का खतरा नहीं होगा। जबकि एक बोरी यूरिया की कीमत 266 रुपये 50 पैसे है। किसानों को एक बोरी यूरिया खरीदने पर सरकार 11 सौ रुपये की सब्सिडी देती है। अगर सरकार सब्सिडी बंद कर देगी तो एक बोरी यूरिया की कीमत 1366.50 रुपये हो जाएगी। जिला कृषि पदाधिकारी ने कहा है कि रबी के मौसम में किसानों को यूरिया की अत्यंत एवं बड़े पैमाने पर आवश्यकता होती है। अधिक उपज के लिए किसान दानेदार यूरिया का प्रयोग कर रहे हैं। इससे मिट्टी व पर्यावरण पर दुष्प्रभाव पड़ता है। देश का आर्थिक बजट बढ़ रहा है।
इस तरह होगा छिड़काव
500 मिली लीटर नैनो यूरिया का प्रयोग एक एकड़ में किया जा सकेगा। 500 मिली लीटर नैनो यूरिया को 100 लीटर पानी में घोलकर खेत में छिड़काव करना होगा। इसके लिए स्पे्र मशीन कंपनी द्वारा दुकानदारों को उपयोग कराया जा रहा है। दस कार्टून लेने पर एक स्प्रे मशीन फ्री दिया जा रहा है। इसकी कीमत बाजार में पांच हजार रुपये पड़ती है। नैनो यूरिया की एक बोतल एक बोरी यूरिया के बराबर है। यह पोषक तत्व से भरपूर है। मिट्टी, जल व वायु प्रदूषण को कम करता है। इसके प्रयोग से फसलों की उपज में आठ फीसद तक बढ़ जाती है। फसलों की उपज की गुणवत्ता में सुधार के साथ खेती की लागत में कमी आएगी। यह भूमिगत जल की गुणवत्ता पर कोई असर नहीं डालती है। पौधों और मृदा में तत्काल इसकी खुराक मिल जाती है।
किसानों के लिए लाभकारी नैनो यूरिया
यूरिया खाद के लिए मारामारी हो रही है, लेकिन लाभकारी नैनो यूरिया पर किसानों की नजर नहीं है। रबी फसल में पटवन के बाद यूरिया की आवश्यकता होती है। यहां रबी की बोआई लगभग एक माह पूर्व की गई है। बोआई के बाद गेहूं और मक्का के पटवन करने के बाद यूरिया खाद का छिड़काव किया जाता है। बारिश होने से यूरिया की मांग और बढ़ गई है। स्टाक नहीं होने के कारण दुकानदारों द्वारा यूरिया का अधिक कीमत लिया जा रहा है, लेकिन किसान जानकारी के अभाव में नैनो यूरिया का प्रयोग नहीं कर रहे हैं। जिला कृषि पदाधिकारी का कहना है कि फसलों में नाइट्रोजन की कमी को पूरा करने के लिए किसान अभी तक दानेदार सफेद यूरिया का इस्तेमाल करते थे। इसके छिड़काव से आधे से भी कम हिस्सा पौधों को मिलता था। शेष जमीन और हवा में चला जाता था। इसके साथ ही इसका प्रयोग करने से पर्यावरण, जल और मिट्टी में जो प्रदूषण हो रहा है। नैनो यूरिया की पांच सौ एमएल की शीशी पूरे एक एकड़ खेत के लिए काफी है।
नैनो तकनीक से बनाई गई यूरिया खेती के लिए काफी फायदेमंद है। इससे लागत में कमी आएगी और खेतों की उर्वरा शक्ति बढ़ेगी। फसलों की उपज सामान्य यूरिया से अधिक होगा। यूरिया के लगभग 30-50 फीसद नाइट्रोजन का उपयोग पौधों द्वारा किया जाता है। शेष त्वरित रासायनिक परिवर्तन के कारण बर्बाद हो जाता है, जिससे पोषक तत्वों के उपयोग की क्षमता कम हो जाती है। नैनो यूरिया नाइट्रस आक्साइड के उत्सर्जन को कम कर देता है तथा मृदा, वायु व जल को दूषित नहीं करता है।
कृष्णकांत झा, जिला कृषि पदाधिकारी