सेना में बहाली का गिरोह चला रहा भागलपुर पुलिस का जवान, जानिए... मामला कैसे हुआ उजागर
भागलपुर में रुपये लेकर सेना में बहाली कराने वाले गिरोह का पर्दाफाश हुआ है। इस गिरोह में कई भागलपुर पुलिस भी शामिल हैं।
भागलपुर [कौशल किशोर मिश्र]। सेना में बहाली कराने वाले गिरोह का पर्दाफाश हुआ है। इसका संचालन भागलपुर पुलिस मुख्यालय में तैनात सिपाही निरंजन कुमार यादव कर रहा था। उसने गृह रक्षक योगेंद्र मंडल से उसके बेटे को अर्धसैनिक बल में बहाल कराने के एवज में 93 हजार रुपये लिए थे।
रुपये की निकासी पुलिस केंद्र भागलपुर के एसबीआइ की एटीएम से की गई थी। उस समय योगेंद्र के साथ निरंजन भी था। जब भी निकासी हुई दोनों साथ-साथ थे। पूर्णिया में बहाली होनी थी। परीक्षा में जब योगेंद्र अपने बेटे को लेकर जाने की तैयारी कर रहा था तो निरंजन ने उससे कहा कि आठ मार्च 2019 की शाम सात बजे गाड़ी है जाएंगे। फिर निरंजन का कोई पता नहीं चला। दूसरे दिन नौ मार्च को जब निरंजन मिला तो योगेंद्र ने बेटे की परीक्षा छूटने की शिकायत की। निरंजन ने आश्वस्त किया कि उसने रुपये के बल पर सेटिंग कर ली है। नौकरी मिल जाएगी।
ठगे जाने का अहसास होने पर गृह रक्षक ने डीआइजी विकास वैभव को इसकी जानकारी दी तो उन्होंने इशाकचक थानाध्यक्ष को केस दर्ज करने कहा। हद तो तब हो गई कि डीआइजी के आदेश को दबाकर इशाकचक थानाध्यक्ष ने आरोपित सिपाही निरंजन से मिलकर उक्त फाइल ही दबा दी। इसके बाद पीडि़त गृह रक्षक ने रकम वापसी के लिए पुलिस केंद्र में तैनात प्रारक्ष डीएसपी संजीव कांत से गुहार लगाई।
मामले की जांच जब बढ़ी तो सच उजागर होता चला गया। पता चला कि निरंजन सेना में बहाली का बाकायदा एक गिरोह चलाता है। महकमे में हालांकि पुलिस पदाधिकारियों का एक धड़ा पूरे मामले को दबाने में लगा है। इस सिलसिले में पहली बानगी इशाकचक थाने में डीआइजी के निर्देश के बावजूद मामले में प्राथमिकी दर्ज नहीं होना है। अंदरखाने में यह खेल हो रहा है कि किसी तरह जिन लोगों के रुपये निरंजन ने ले रखे हैं उसकी वापसी हो जाए और आगे की कार्रवाई पर विराम लगा दी जाए। दूसरी ओर उक्त सिपाही की करतूतों को देखते हुए उसकी बर्खास्त संबंधी चेतावनी पत्र डीएसपी (प्रारक्ष) संजीव कांत ने जारी कर दिया है। यही नहीं चेतावनी पत्र की जानकारी एसएसपी आशीष भारती को भी दे दी है। इससे दबाए जा रहे मामले में नया मोड़ आ गया है।
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