छोड़ेगें ना हम तेरा साथ... पति के शव के पास पहुंची, माथ चूमा, हाथ में हाथ थामे त्याग दिए प्राण
छोड़ेगें न हम तेरा साथ पति के प्रति समर्पण और श्रद्धा का एक और प्रमाण आज भागलपुर में देखने को मिला। 85 वर्षीय एक वृद्ध की मौत के उनकी 80 वर्षीया पत्नी इतनी विह्वल हो गई कि उसने भी अपने प्राण त्याग दिए।
भागलपुर [मिथिलेश कुमार]। छोड़ेगें ना हम तेरा साथ ओ साथी मरते दम तक। यह फिल्मी गीत भले ही हो, लेकिन आज यहां एक बुजुर्ग दंपति ने यह सच साबित कर दिया। हालांकि यह पहली घटना नहीं है। इससे पहले भी पति और पत्नी के बीच के समर्पण, श्रद्धा और प्रेम कई उदाहरण देखने को मिले हैं। यह घटना इस मामले में काफी चर्चित है कि 80 वर्ष बीत जाने के बाद भी दोनों का रिश्ता अद्भुत था। गरीबी में जीने और आठ बच्चों को पालने के दौरान भले ही दोनों के कमर झूक गये हो, लेकिन दोनों हमेशा एक-दूसरे के प्रति जान न्यौछावर करते थे। 21 जनवरी 2021 को भागलपुर के नवगछिया इलाके के बिहपुर प्रखंड का मीराचक गांव इस बात का गवाह बन गया।
मीराचक गांव में 85 वर्षीय वृद्ध नरेश शर्मा की मौत हो गई। वह स्वस्थ था। जिस समय उसकी मृत्यु हुई उस समय उसकी पत्नी 80 वर्षीया शोभा देवी 'शाबो' बाजार गई थी। बाजार में उसे ग्रामीणों ने मौत की सूचना दी।
खबर सुनते ही उसके आंखों में आंसू छा गए। वह तेजी से घर आई। पति के शव के पास पहुंची। पति के सर को चूमा। चेहरे को सहलाया। शांत चित होकर काफी देर तक देखा। फिर अपने हाथ में पति के हाथ को पकड़ा। और त्याग दिए अपने प्राण।
60-62 वर्ष पहले दोनों की शादी हुई थी। अग्नि के सात फेरे लेकर दोनों ने एक-साथ जीने मरने का संकल्प लिया था। दोनों ने इस संकल्प को आज पूरा कर दिया। मजदूर और किसान पृष्ठभूमि से संबंध रखने वाले इस दंपतिके निधन की आज हर ओर चर्चा हो रही है।
ग्रामीणों ने बताया कि दोनों पति-पत्नी बहुत ही मृदुभाषी और उदार स्वभाव के थे। मृतक नरेश के छोटे भाई सुदामा शर्मा ने बताया कि 25 दिसंबर 2020 को मां जानकी देवी का निधन हुआ था। 25 दिन पूर्व मां की हुई मौत के सदमे से अभी उबर भी नहीं पाया था कि आज उसी परिवार में पति और पत्नी की मौत हो गई। स्वजनों के आंखों से बह रहे आंसू को देख पूरा परिवार शोक में डूबा है। नरेश शर्मा और शोभा देवी के निधन से उनके संतान राजकुमार शर्मा, रोशन शर्मा, लालू कुमार शर्मा, रमेश कुमार शर्मा, सुनीता देवी, लता देवी, भरको देवी और सरोजनी देवी मर्माहत हैं।
इस खबर को सुनने के बाद दोनों के अंतिम दर्शन करने लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी। सभी की आंखें नम हैं। दिवंगत पति-पत्नी अपने चार पुत्र व चार पुत्रियाेंं को अपने पीछे छोड़ गई हैंं । इधर 22 जनवरी को गांंव स्वजन सहित ग्रामीणों ने उनकी शवयात्रा निकाली। काफी संख्या में लोग शवयात्रा में शामिल हुए। घर से एक ही चिता पर दोनों को ले जाया गया। गंगा घाट एक चिता सजायी गइ। जिसपर दोनों का अंतिम संस्कार किया गया। उनके पुत्र ने मुखाग्नि दी। हर लोगों की जुबान पर बस एक ही चर्चा थी कि इस मौत ने पति पत्नी के प्रेम को सच साबित कर दिया। अग्नि के साथ फेरे लेने के बाद एक दूजे के प्रति प्रेम, समर्पण और श्रद्धा की अनूठी मिशाल यहां सच साबित हुआ।