गोदाम में संसाधन, सड़क पर गंदगी, प्रभारियों की फौज, फिर भी भागलपुर का यह हाल
मशीन की जगह झाड़ू से हो रही भागलपुर शहर के सड़कों की सफाई उड़ रही धूल। प्रभारियों की फौज फिर भी शहर नहीं दिख रहा स्वच्छ व सुंदर। गंदगी का अंबार और कूड़े-कचरे का उचित प्रबंधन नहीं होने से रैंकिंग में फिसल रहा भागलपुर।
भागलपुर [नवनीत मिश्र]। नगर निगम में संसाधन की कोई कमी नहीं है। वार्डों की सफाई के लिए पर्याप्त संख्या में कर्मी भी हैं। नगर निगम से वार्डों तक प्रभारी भी तैनात हैं। सफाई व्यवस्था की मॉनीटङ्क्षरग के लिए वार्ड पार्षद हैं। बावजूद इसके शहर सुंदर व स्वच्छ नहीं दिख रहा है। मशीन के रहते हुए भी सड़कों की सफाई झाड़ू से की जा रही है। नाले की उड़ाही मजदूर कर रहे हैं। सड़कों पर रखे कई कूड़ेदान सड़ गए हैं, पर उसे बदला नहीं जा रहा। जबकि गोदाम में सैकड़ों की संख्या में कूड़ेदान जंग खा रहे हैं।
गाडिय़ां हैं पर चालक नहीं
कई ऐसी गाडिय़ों की खरीद नगर निगम की ओर से की गई है, पर उसे चलाने वाला कोई नहीं है। कंपनी की ओर से जिन कर्मियों को प्रशिक्षित किया गया था, उनका उपयोग नहीं किया जा रहा है।
369वें स्थान पर भागलपुर
सभी संसाधन उपलब्ध रहने के बाद भी भागलपुर शहर स्वच्छता रैंकिंग में लगातार पिछड़ रहा है। स्मार्ट सिटी का तग्मा लेने के बाद यह शहर स्वच्छता के मामले में 369वें स्थान पर पहुंच चुका है। इसका मूल कारण गंदगी पसरा होना और और कूड़े-कचरों का प्रबंधन नहीं होना है। निगम के पास संसाधन रहने के बावजूद डंपिंग ग्राउंड, प्रोसेसिंग प्लांट और जैविक खाद के साथ कूड़ा निस्तारण की व्यवस्था व्यवस्थित नहीं हो पाई है।
जहां-तहां गिराया जा रहा कूड़ा
डंपिंग ग्राउंड उपलब्ध होने के बावजूद नगर निगम की ओर से जहां-तहां कूड़ा गिराया जा रहा है। दो वर्ष पूर्व जिला प्रशासन की ओर से दस एकड़ जमीन जगदीशपुर के कनकैथी में उपलब्ध कराई गई थी। प्रशासन ने इसी स्थान पर कूड़ा डंप करने के लिए कहा था। साथ ही प्रोसेसिंग प्लांट लगाने की भी हिदायत दी थी। लेकिन न तो वहां कूड़ा डंप हो रहा है और न प्रोसेसिंग प्लांट ही लगाए गए हैं। यहां तक की जमीन की घेराबंदी तक नहीं हुई है। शहर को जोडऩे वाली मुख्य सड़कों के किनारे कूड़ा गिराए जाने के कारण शहर की पहचान बदबू वाले शहर के रूप में होने लगी है।
कूड़ा उठाव के लिए ठेला नहीं
वार्डों में कूड़ा उठाव के लिए ठेला नहीं है। इसकी खरीद की योजना पूर्व नगर आयुक्त जे. प्रियदर्शनी ने बनाई थी। पर टेंडर जारी होने से पहले ही उनका स्थानांतरण हो गया। ठेला नहीं रहने की वजह से घर-घर कूड़े का उठाव नहीं हो रहा है। सड़क किनारे कूड़े को जमा कर दिया जा रहा है। वार्डों की सफाई के लिए झाडू, कुदाल, ब्लीचिंग व चूना तक की कमी है।
प्रतिदिन 250 एमटी जमा होता है कूड़ा
शहर से 250 मीट्रिक टन कूड़ा प्रतिदिन निकलता है। लगातार नई कॉलोनियां बस रही हैं। दस वर्षों में 70 से अधिक कॉलोनियां बस चुकी हैं। इसकी वजह से कूड़े की मात्रा बढ़ती जा रही है। कूड़ा उठाव के लिए 40 ट्रैक्टर की आवश्यकता है। लेकिन निगम के पास 12 ट्रैक्टर ही हैं। इसमें भी पांच छोटे ट्रैक्टर हैं। इस कारण कई दिनों तक कूड़ा पड़ा रह जाता है।
कर्मियों की भारी कमी
नगर निगम में ट्रैक्टर, कांपैक्टर, जेसीबी, ऑटो टीपर व फॉगिंग मशीन की संख्या लगभग 80 है। इन्हें चलाने के लिए 80 चालक व 140 सहायक की आवश्यकता है। लेकिन निगम के पास सौ चालक ही हैं। सहायक के रूप में सिर्फ एक कर्मी है। चालक व सहायक स्थायी नहीं है।
निगम के पास संसाधन
औटो टीपर : 48
ट्रैक्टर : 12
जेसीबी : तीन
डंफर : एक
कंपेक्टर : चार
जेटिंग वाहन : दो
स्वीपिंग वाहन : दो
हाइवा : एक
वार्डों में ठेला : 250
कूड़ादान : 900
मजदूरों की संख्या : 1200
नहीं हुई खरीदारी
ट्रैक्टर हाइड्रोलिक : 10 पीस
ऑटो टीपर : पांच
हाइवा : एक
पॉकलेन : एक
जेसीबी : एक
ठेला : प्रत्येक वार्ड के लिए पांच
कूड़ादान व ठेला का वार्डों में अभाव है। ऐसे में बेहतर सफाई की उम्मीद नहीं की जा सकती। अधिकारियों की उदासीनता के कारण शहर में सफाई व्यवस्था अच्छी नहीं है। - सीमा साहा, मेयर
शहर की सफाई व्यवस्था काफी हद तक सुधरी है। इसमें और सुधार किया जाएगा। लोगों को सफाई को लेकर जागरूक भी किया जाएगा। कूड़े-कचरे का उठाव समय पर होगा। - सत्येंद्र वर्मा, नगर आयुक्त