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जेएलएनएमसीएच में भर्ती के लिए भटक रहे मरीज, नहीं हो रहा इलाज

भागलपुर। करोना संक्रमित गंभीर मरीजों को इलाज के लिए भटकना पड़ रहा है। जवाहर लाल नेहरू चिकित्सा महाविद

By JagranEdited By: Published: Mon, 03 May 2021 09:47 AM (IST)Updated: Mon, 03 May 2021 09:47 AM (IST)
जेएलएनएमसीएच में भर्ती के लिए भटक रहे मरीज, नहीं हो रहा इलाज
जेएलएनएमसीएच में भर्ती के लिए भटक रहे मरीज, नहीं हो रहा इलाज

भागलपुर। करोना संक्रमित गंभीर मरीजों को इलाज के लिए भटकना पड़ रहा है। जवाहर लाल नेहरू चिकित्सा महाविद्यालय में गंभीर मरीजों को भर्ती नहीं किया जा रहा है। दलालों के चक्कर में पड़कर कई मरीज प्राइवेट नर्सिग होम में भर्ती हो रहे हैं। ऐसे मरीजों से प्राइवेट नर्सिग होम वाले 12 हजार रुपये प्रति बेड प्रतिदिन का चार्ज ले रहे हैं। कोरोना के गंभीर मरीजों को चिकित्सक कहीं भी लेट जाने की सलाह दे रहे हैं। उन्हें न तो बेड बताया जा रहा है और न ही वार्ड। तारापुर के एक मरीज को शनिवार जेएलएनएमसीएच में भर्ती कराने के लिए लाया गया था। मरीज को कहीं भी लेटा देने की बात पर परिजन उन्हें टीटीसी ले गए। लेकिन वहां भी भर्ती नहीं किया गया। इस दौरान एक दलाल आकर मरीज के परिजन को प्राइवेट नर्सिग होम में भर्ती कराने की सलाह दी। व्यवस्था से खिन्न मरीज के परिजन वापस लौट गए।

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जिला प्रशासन की यह है व्यवस्था

सामान्य मरीज के शरीर के ऑक्सीजन का स्तर 94 फीसद से अधिक रहने लेकिन मरीज को बुखार, गला सूखना, कफ, सर्दी, शरीर में दर्द रहना, स्वाद एवं सुंघने की शक्ति कम होने आदि लक्षण रहने पर मरीज को कोविड केयर सेंटर टीटीसी में भर्ती किया जाएगा। मरीज में उक्त लक्षण रहने एवं उनके शरीर के ऑक्सीजन का स्तर 90 से 94 फीसद के बीच रहने पर मरीज को डेडिकेटेड कोविड हेल्थ सेंटर (सदर अस्पताल) में भर्ती किया जाना है। मरीज में किसी प्रकार का लक्षण रहने और उनके शरीर में ऑक्सीजन का स्तर 90 फीसद से कम होने और अन्य परेशानी रहने पर मरीज को अविलंब डेडिकेटेड कोविड अस्पताल (जवाहर लाल नेहरू चिकित्सा महाविद्यालय एवं अस्पताल) में भर्ती किया जाएगा। लेकिन यह व्यवस्था फिलहाल बनती नहीं दिख रही है। केस : तारापुर के सज्जन अग्रवाल का ऑक्सीजन लेवल 80 के करीब पहुंच गया था। उनके पुत्र आनंद अपने पिता को लेकर जवाहर लाल नेहरू चिकित्सा महाविद्यालय अस्पताल पहुंचे। चिकित्सक देखने के बाद कहीं भी लिटा देने की सलाह दी। अस्पताल की व्यवस्था देखकर वे अपने मरीज को लेकर शिक्षक प्रशिक्षण केंद्र स्थित कोविड सेंटर पहुंचे। लेकिन वहां भी भर्ती नहीं लिया गया। थक-हारकर वे अपने पिता को बिना भर्ती कराए ही लौट गए।

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केस : बौंसी के एक मरीज दीपू मिश्रा का ऑक्सीजन लेवल 90 के करीब था। परिजन मरीज को लेकर जवाहर लाल नेहरू चिकित्सा महाविद्यालय अस्पताल पहुंचे। यहां मरीज को भर्ती नहीं कर सदर अस्पताल भेज दिया गया। लेकिन दलालों ने उन्हें एक प्राइवेट नर्सिग होम में भर्ती करा दिया। जहां उन्हें 12 हजार रुपये प्रतिदिन सिर्फ बेड खर्च जमा करना पड़ रहा है।


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