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शहरी क्षेत्र की बोरिग तोड़ रहीं दम, 51 वार्डो में 21 से अधिक प्याऊ खराब

ाू-गर्भ के जलस्तर के 20 फीट नीचे चले जाने से शहरी क्षेत्र की ज्यादातर बोरिग दम तोड़ने लगी हैं। 51 वार्डो में 21 से अधिक प्याऊ भी किसी न किसी कारण से खराब पड़े हुए हैं।

By JagranEdited By: Published: Mon, 23 May 2022 02:21 AM (IST)Updated: Mon, 23 May 2022 02:21 AM (IST)
शहरी क्षेत्र की बोरिग तोड़ रहीं दम, 51 वार्डो में 21 से अधिक प्याऊ खराब
शहरी क्षेत्र की बोरिग तोड़ रहीं दम, 51 वार्डो में 21 से अधिक प्याऊ खराब

- निगम के पास वार्डवार प्याऊ की सूची तक नहीं, मरम्मत कार्य में भी मनमानी

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- शिकायत मिलने के बाद भी ध्यान नहीं देते संबंधित अधिकारी और कर्मी

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- 51 प्याऊ का निर्माण कार्य योजना बनने के दो वर्ष बाद भी नहीं उतर पाया है धरातल पर

- 20 फीट नीचे शहरी क्षेत्र में चला गया भू-गर्भ का जलस्तर

- 81 डीप बोरिग में से कई लगे हैं हांफने, कम पानी आने से आधे मोहल्ले की ही बुझ पाती है प्यास

- 04 साल से खराब पड़ी हुई है तिलकामांझी चौक स्थित प्याऊ की बोरिग, कोई देखने वाला नहीं

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जागरण संवाददाता, भागलपुर : भू-गर्भ के जलस्तर के 20 फीट नीचे चले जाने से शहरी क्षेत्र की ज्यादातर बोरिग दम तोड़ने लगी हैं। 51 वार्डो में 21 से अधिक प्याऊ भी किसी न किसी कारण से खराब पड़े हुए हैं। यही नहीं, योजना बनने के दो वर्ष बाद भी 51 नए प्याऊ का निर्माण कार्य शुरू तक नहीं हो पाया है। इसकी वजह से भीषण गर्मी में शहरी क्षेत्र की बड़ी आबादी को जल संकट का सामना करना पड़ रहा है।

जिन्होंने घर में निजी बोरिग करा रखा है वे तो ठीक हैं, पर जो निगम की बोरिग और प्याऊ पर निर्भर हैं, उन्हें काफी परेशानी हो रही है। ऐसे लोग पास-पड़ोस से पानी का जुगाड़ कर किसी तरह अपना काम चला रहे हैं।

निगम की कार्यशैली का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि उसके पास वार्डवार प्याऊ की सूची तक उपलब्ध नहीं है। गैरजिम्मेदार कर्मियों की काहिली का खामियाजा शहर की जनता को भुगतना पड़ रहा है। शिकायत किए जाने के बाद भी बोरिग और प्याऊ की मरम्मत पर ध्यान नहीं दिया जाता। नए नगर आयुक्त से लोगों को काफी उम्मीदें हैं। लोगों का कहना है हम भुगतान करने को तैयार हैं पर निगम सुविधा देने की गारंटी तो दे।

खराब प्याऊ की नहीं कराई जाती मरम्मत

शहर में जलापूर्ति व्यवस्था दुरुस्त करने के लिए लाखों रुपये खर्च कर प्याऊ बनाए गए, लेकिन रखरखाव के अभाव में उनमें से ज्यादातर दम तोड़ रहे हैं। 21 प्याऊ पूर्णत: खराब हो चुके हैं।

कई जगह प्याऊ ही सहारा

जिन इलाकों में पाइप लाइन से पानी की आपूर्ति नहीं हो रही है, वहां प्याऊ ही एकमात्र सहारा है। पर लोगों की इस सबसे बड़ी परेशानी से निगम को कोई लेना देना नहीं। जानकारी मिलने के बाद भी कर्मी इसकी मरम्मत करने की जहमत नहीं उठाते।

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पांच लाख खर्च कर बना प्याऊ पड़ा हुआ है बेकार

तिलकामांझी चौक पर पांच लाख की लागत से प्याऊ का निर्माण चार वर्ष पूर्व कराया गया था। उस वक्त कहा गया था कि इस प्याऊ के बन जाने से राहगीरों को पेयजल के लिए भटकना नहीं पड़ेगा। पर ज्यादा दिनों तक ऐसा हो नहीं पाया। कुछ दिनों बाद ही प्याऊ का मोटर खराब हो गया। चार साल बाद भी उसकी मरम्मत नहीं कराई गई है।

इशाकचक में भी जल संकट

इशाकचक थाने में बना प्याऊ

पिछले तीन वर्षो से खराब है। पार्षद हंसल सिंह ने कहा कि इसके बोरवेल में पाइप बढ़ाने और मोटर पंप बदलने की दरकार है। शिकायत दर्ज कराने के बाद भी मरम्मत को लेकर निगम प्रशासन उदासीन बना हुआ है।

पार्षद ने बताया प्याऊ निर्माण से पहले मिट्टी जांच नहीं की जाती है। बोरवेल में ग्रेबुल भी कम दिया जाता है। घटिया मोटर पंप लगाए जाने के कारण कुछ दिनों में ही वह खराब हो जाता है। ऐसे में संवेदक पर कार्रवाई होनी चाहिए।

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इन जगहों के प्याऊ हैं खराब

- नाथनगर में वार्ड चार स्थित अनाथालय परिसर में निर्मित

- बरारी के वार्ड 28 में छह प्याऊ है, लेकिन राय हरि मोहन लेन में एक माह से प्याऊ खराब पड़ा हुआ है।

- वार्ड 25 में दो प्याऊ का निर्माण दो वर्ष पहले हुआ। पर इसमें अब तक बिजली कनेक्शन नहीं हुआ है।

- वार्ड 29 के बरारी पुल घाट पर का प्याऊ भी खराब पड़ा है।

- वार्ड 27 के मुसहरी घाट पर एक माह से प्याऊ खराब है। दूसरे प्याऊ में बिजली कनेक्शन नहीं है।

- वार्ड 18 के गोलाघाट मार्ग में छह माह से प्याऊ अ‌र्द्धनिर्मित है। यहां बोरिग से कनेक्शन नहीं जोड़ा गया है।

- वार्ड 35 के महादलित बस्ती में एक माह से प्याऊ खराब है।

- वार्ड 43 में पांच प्याऊ है, लेकिन एक माह से दो प्याऊ खराब पड़ा है। पार्षद अर्शदी बेगम के आवेदन देने के बाद भी निदान नहीं हुआ।

- वार्ड 21 में आठ प्याऊ है लेकिन एक छह माह तो दूसरा डेढ़ माह से खराब पड़ा हुआ है।


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