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भागलपुर कहलगांव बिजलीघर: एनटीपीसी लिमिटेड के कोयला लदे रैक के चार वैगन पटरी से उतरे

कहलगांव बिजलीघर का कोयला लेकर आ रहे कोयला रैक के चार वैगन पटरी पर से उतर गए। घटना सुबह चार बजे की है। चारों वैगन रैक के साथ खिंचते हुये बिजलीघर में प्रवेश कर गये। जिससे कई स्लीपर क्षतिग्रस्त हो गये।

By Dilip Kumar ShuklaEdited By: Published: Tue, 22 Jun 2021 11:57 AM (IST)Updated: Tue, 22 Jun 2021 11:57 AM (IST)
भागलपुर कहलगांव बिजलीघर: एनटीपीसी लिमिटेड के कोयला लदे रैक के चार वैगन पटरी से उतरे
बिजलीघर के रेल प्रवेश द्वार पर टूटी पटरियां

संवाद सूत्र, कहलगांव (भागलपुर)। सोमवार के अहले सुबह लगभग चार बजे कहलगांव बिजलीघर का कोयला लेकर आ रहे कोयला रैक के चार वैगन महेशामुण्डा गांव के पास पटरी पर से उतर गए। घटना सुबह लगभग चार बजे की है। आश्चर्यजनक यह है रैक की पटरी से उतरे चारों वैगन रैक के साथ खिंचते हुये बिजलीघर में प्रवेश कर गये। जिससे सैकड़ों की संख्या में स्लीपर क्षतिग्रस्त हो गये। हाल के दिनों में लगातार हो रही बारिश से महेशामुण्डा गांव के निकट रेल पटरियां जलमग्न हो गई थी। सोमवार को बिजलीघर प्रबंधन द्वारा आनन फानन पानी निकासी करवाया। अभी भी पटरियों के बगल के नाले भरे हुए हैं।

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पटरी से उतरे चारों वैगन के पीछे के चौबीस वैगनों को वापस कहलगांव रेलवे स्टेशन लाया गया है। जबकि आगे के वैगनों को खींच कर अनलोडिंग प्वाइंट पर ले जाया गया। पटरी से उतरे वैगनों को पटरी पर चढ़ाने एवं रेल मार्ग को सुचारू करने का काम जोर शोर से चल रहा है। इधर दूसरा कोयला लदा रैक पटरियों के ठीक होने के इंतजार में कहलगांव स्टेशन में खड़ा है। प्रबंधकीय सूत्रों ने घटना की पुष्टि की है। बताते चलें कि कहलगांव बिजलीघर को ललमटिया कोयला खदान एवं रेलवे के माध्यम से होती है।यह घटना रेलवे से आपूर्ति होने वाले मार्ग पर यह घटना हुई है।इसलिए ललमटिया कोयला खदान से कोयला आपूर्ति बहाल रहेगी।

कहलगांव बिजलीघर में तीन चार वर्ष पूर्व कोयला रैकों के दुर्घटनाग्रस्त होना आम बात हो गई थी। हाल के वर्षों में इसमें काफी कमी आई है। कहलगांव बिजलीघर को कोयले की आपूर्ति दो माध्यमों से होती है।पहला ललमटिया कोयला खदान से। दूसरा रेलवे के माध्यम से। ललमटिया कोयला खदान और रेलवे के माध्यम से आपूर्ति के लिए अलग अलग लाइन है। रेलवे के माध्यम से होने वाली आपूर्ति का जुड़ाव कहलगांव रेलवे स्टेशन से है। इस तरफ से झारखंड के दूरस्थ स्थित और बंगाल के कोयला खदानों से आपूर्ति होती है। साथ ही इम्पोर्टेड कोयले की आपूर्ति भी इसी मार्ग से होती है। छोटा मार्ग होने के कारण इस तरफ दुर्घटना कम ही होती थी।लेकिन जिस तरह का जलजमाव सोमवार को पटरियों पर था और रेल रैक गुजर रहे थे।यह बिजलीघर प्रबंधन द्वारा मेंटेनेंस की चूक ही कही जाएगी। पटरियों के दोनों तरफ के नाले सोमवार को भी पूरी तरह भरे पड़े नजर आये। वैसे प्रबंधन द्वारा चेहरा छिपाने के लिए आनन फानन में जल निकासी की व्यवस्था कर दोपहर तक ट्रैक पर से भरा पानी निकाल दिया था।


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