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Corona effect on weavers: रेशमी उद्योग पर फैला संक्रमण, आर्थिक तंगी से बुनकर हुए परेशान

Corona effect on weavers भागलपुर में 80 हजार बुनकर बरोजगार हो गए हैं। 30 हजार लूम ठप पड़ गया है। तीन माह पहले लौटी थी रौनक अब 250 करोड़ रुपये का लगा झटका। आर्थिक संकट से जूझ रहे बुनकरों ने अपनी व्‍यथा सुनाई।

By Dilip Kumar ShuklaEdited By: Published: Sat, 24 Apr 2021 01:44 PM (IST)Updated: Sat, 24 Apr 2021 01:44 PM (IST)
Corona effect on weavers: रेशमी उद्योग पर फैला संक्रमण, आर्थिक तंगी से बुनकर हुए परेशान
Corona effect on weavers: भागलपुर में बुनकर की स्थिति काफी खराब है।

जागरण संवाददाता भागलपुर। Corona effect on weavers: दुनिया भर में रेशमी कपड़ों के बल पर पहचाने जाने वाले रेशमी नगर भागलपुर के कपड़ा उत्पादन को कोरोना संक्रमण काल अब लील रहा है। यहां के करीब 80 हजार बुनकरों का करीब 30हजार पावरलूम ठप पड़ा है। यूं कहें वेंटिलेटर पर पहुंच गया है। कब इसकी सांस निकल जाए कहा नहीं जा सकता। लॉकडाउन से गत वर्ष बदहाल कपड़ा उत्पादन का कारोबार तीन महीने पहले ही अभी गुलजार हुआ था। कोरोना संक्रमण को लेकर कई राज्यों में लॉकडाउन जैसे हालात से भागलपुर के रेशमी कपड़ा उत्पादन को करीब 250 करोड़ रुपए का झटका लगा है। पिछले कुछ वर्षों से इस उद्योग पर छाई मंदी से उत्पादन लगभग बैठ गया है।अब तो यह उद्योग लगभग मृत्यु शैया पर आ चुका है।

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पालवलूम उद्योग का सालाना 600 करोड़ रुपए का टर्नओरव है। भागलपुर में तकरीबन दो करोड़़ मीटर कपड़े का प्रति माह उत्पादन होता है। जो अब घटकर 20 फीसद ही रह गई है।

शहर का एकमात्र काम पावरलूम होने के कारण हर छोटे-मोटे कारोबार सहित शहर की सारी आर्थिक गतिविधियां इस उद्योग से गर्भनाल की तरह जुड़ी हैं।

पावरलूम से चलता है शहर

जब पावरलूम चलता है, तो शहर चलता है। जब पावरलूम की धड़कन बंद होती है, तो इस शहर के धमनियों में खून की रफ्तार भी सुस्त पड़ जाती है। पावरलूम बंद होने के कारण बुनकरों के बीच रोजी-रोटी की समस्या उत्पन्न हो चुकी है। बुनकर संघर्ष समिति के नेता ने चाहत अंसारी ने बताया कि अब तो रोजी रोटी के साथ परिवार चलाने की चिंता सता रही है। संक्रमण के चलते पावरलूम उद्योग का कपड़ा उत्पादन, बिक्री भी ठप हो गया है।

जगी उम्मीद फिर बिखर गई

कपड़ा उद्योग को थोड़ी उम्मीद जगी थी, लेकिन कच्चे माल की कमी ने भागलपुर के व्यवसायी व बुनकरों की कमर तोड़ दी है। वहीं दूसरी ओर मांग में भी कमी आ गई है। सिल्क सिटी भागलपुर का कारोबार प्रभावित हुआ है। इससे जुड़े बुनकरों की हालत खराब है। यहां से मुंबई, दिल्ली व कोलकाता की मंडियों में कपड़े निर्यात किए जाते हैं। इन शहरों से भी आर्डर नहीं मिलने के कारण तैयार माल डंप है। बुनकरों का करीब तीन 250 करोड़ का तैयार माल फंसा हुआ है।

विदेशों को एक्सपोटर के पास फंसी पूंजी

सिल्क सिटी के बुनकरों का अभी विदेशों में भी कपड़े का निर्यात नही हो रहा। भागलपुर का सिल्क व्यवसाय अमेरिका, रूस, जापान, मलेशिया, आस्ट्रेलिया जैसे विदेशी बाजारों पर भी निर्भर है। एक्सपोर्टर अब ऑर्डर नहीं देना चाह रहे हैं क्योंकि इनका बाजार मंदा पड़ गया है। जो भी ऑर्डर थे उसे रोक दिया गया है। बुनकरों को आर्डर राशि का भुगतान भी नहीं किया जा रहा है।

बुनकर और महाजन की फंस गई है पूंजी

इस संक्रमण काल में करीब 250 करोड़ रुपये का कारोबार प्रभावित हुआ है। क्षत्रिय बुनकर हथकरघा सहयोग समिति लिमिटेड के पूर्व चेयरमैन इमरान अंसारी ने बताया कि पूंजी फंस गई। बुनकरों को मजदूरी देने की समस्या है। दिल्ली व मुंबई का बाजार खुला नहीं है। महाजन राशि नहीं देना चाहते हैं। इससे बुनकर माल तैयार करने व भेजने से डर रहे हैं।

बाजार मिले तो बनेगी बात

बाजार में उपलब्ध नहीं है। इससे कपड़ा उत्पादन प्रभावित हुआ है। यहां से कपड़ा पटना, मुंबई, दिल्ली आदि भेजते थे। अलीम अंसारी, सदस्य, बिहार बुनकर कल्याण समिति ने बताया कि व्यवसायी लेने को तैयार नहीं है। ऐसे में सरकार के स्तर से मास्क व गमछा आदि की खरीदारी की जाए तो कुछ राहत मिलेगी। गत वर्ष करीब 50हजार मास्क बनाकर दिया गया था जिससे बुनकरों को कपड़ा उत्पादन और दर्जी से मास्क बनाने का कार्य किया गया था। इससे काफी हद तक रोजगार मिला था। सिल्क उद्योग को राहत मिलेगी। अभी तैयार कपड़े के खरीदार नहीं हैं। धागे की आपूर्ति बंद है। विदेशी बाजार पर भी असर पड़ा है। तैयार कपड़े के खरीदार नहीं मिल रहे। इस बार कोरोना संक्रमण के कारण ईद के बाजार पर असर पड़ा है। सिल्क के कपड़े का आर्डर भी नहीं मिल पाया।


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