Move to Jagran APP

Bhagalpur Corona News: सदर अस्पताल के आइसीयू का मरीजों को नहीं मिल रहा लाभ, वेंटिलेटर ऑपरेट करने के लिए नहीं है टेक्निसियन

कोरोना काल में भी भागलपुर के अस्पतालों में संसाधनों की कमी को दूर नहीं किया जा सका। इससे मरीजों को इलाज कराने के लिए इधर-उधर भटकना पड़ रहा है। सदर अस्पताल में आइसीयू रहते मरीजों को लाभ नहीं मिल रहा है।

By Abhishek KumarEdited By: Published: Wed, 26 May 2021 05:13 PM (IST)Updated: Wed, 26 May 2021 05:13 PM (IST)
Bhagalpur Corona News:  सदर अस्पताल के आइसीयू का मरीजों को नहीं मिल रहा लाभ, वेंटिलेटर ऑपरेट करने के लिए नहीं है टेक्निसियन
कोरोना काल में भी भागलपुर के अस्पतालों में संसाधनों की कमी को दूर नहीं किया जा सका।

जागरण सवांददाता, भागलपुर।  जिले के अस्पतालों में चिकित्सकीय सुविधा रहती तो कोरोना मरीजो की मौत का आंकड़ा कम होता। कोरोना की पहली लहर के बाद भी अस्पतालों की सुविधा में जरा भी इजाफा नही किया गया। यही कारण है कि मेडिकल कॉलेज अस्पताल में कोरोना मरीजों के इलाज का भार पूरी तरह है। सदर अस्पताल में से लेकर जिले के अन्य पीएचसी तक केवल आउटडोर मरीजों को ही भर्ती किया जाता रहा है। या फिर प्रसव करवाया जाता है। अस्पताल में आईसीयू केवल शो पीस बनकर रह गया है। वही वेन्टीलेटर हैंडिल करने वाला भी नही है। यह स्थिति बरसों से बनी हुई है।

loksabha election banner

सात माह पहले आईसीयू बना

सदर अस्पताल को जिला अस्पताल भी कहा जाता है, यानी इलाज की लगभग सारी सुविधाएं रहती हैं। लेकिन केवल सदर अस्पताल में ही सात माह पूर्व जब कोरोना की पहली लहर थी, 6 बेड का आईसीयू बनाया गया, वेन्टीलेटर भी लगाए गए लेकिन न तो विशेषज्ञ डॉक्टर की नियुक्ति आईसीयू में की गई और न ही वेन्टीलेटर चलाने वाले टेक्नीशियन की ही। स्थिति यह है कि निजी अस्पताल को जब वेन्टीलेटर की जरूरत पड़ी तो सदर अस्पताल से दी गयी। कोबिड सेंटर भी बनाये गए। जिसमे आयुष डॉक्टर को ही कोरोना मरीजो के इलाज की जिम्मेवारी दी गयी। हालात यह है कि मरीज को अगर ऑक्सीजन की जरूरत है तो आयुष डॉक्टर को ऑक्सीजन भी लगाना नहीं आता। डॉक्टर कहते हैं इसके लिए प्रशिक्षण भी नही दिया गया है।

कोविड सेंटर में जरा भी मरीज की सास तेज चलने लगती है तो उन्हें मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया जाता है। एक डॉक्टर की मौत भी कोरोना से सदर अस्पताल में हो चुकी है। भगालपुर जिले में 60 से ज्यादा मरीजों की मौत हुई है। अगर अस्पतालों में विशेषज्ञ रहते और चिकित्सीय सुविधाएं रहती तो मौत की संख्या पर काबू पाया जा सकता था।

केस स्टडी 1

घोघा निवासी अरङ्क्षवद कुमार को ऑक्सीजन की जरूरत पड़ी तो आयुष डॉक्टर अनिल कुमार शर्मा ने ऑक्सीजन लगाने का प्रयास किया तो अचानक नट के टूटने से उन्हें चोट लग गयी।

केस स्टडी 2

सदर अस्पताल के स्वास्थ्य प्रबन्धक जावेद मंजूरी भी नाथनगर निवासी राधा देवी को ऑक्सीजन लगाने के दौरान चोट लगी।

टेक्नीशियन एवम विशेषज्ञ डॉक्टर की मांग सरकार से की गई है। डॉक्टरों की नियक्ति भी की जा रही है।-डॉ उमेश शर्मा, सिविल सर्जन  


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.