Bhagalpur Corona News : जब जिंदगी का सताने लगा डर तो लौटे बच्चों के साथ घर, प्रवासियों की दर्द भरी दास्तान
कोरोना का असर सबसे ज्यादा प्रवासियों पर देखने को मिल रहा है। प्रवासी फिर घर लौटने लगे हैं। मुंबई की ट्रेन से ज्यादातर पहुंचे पैसेंजर फैक्ट्री सिलाई और कारपेंटर का काम करते थे। कोरोना के बढ़ते प्रकोप और लॉकडाउन में परिवार के साथ वापस आना पड़ा।
जागरण संवाददाता, भागलपुर। मुंबई सेंट्रल से भागलपुर पहुंची स्पेशल ट्रेन में यात्रियों की संख्या काफी कम थी। लेकिन, जितने भी यात्री उतरे थे वह लगभग सभी रोजगार करने वाले थे। कोई फैक्ट्री में काम छोड़कर आए थे तो कोई सिलाई और कारपेंटर का। कई लोग भागलपुर जिले के ही रहने वाले थे तो कई खगडिय़ा और पूर्णिया जिले के। पिछले वर्ष जब लॉकडाउन हटा था तब सभी रोजगार की तलाश में फिर से अक्टूबर माह में महाराष्ट्र चले गए। रोजगार मिलने के बाद ङ्क्षजदगी मजे में कट रही थी। इस बीच कोरोना की दूसरी लहर ने कहर दिखाना शुरू किया तो काम बंद हो गए, रोजगार छीन गए। बेरोजगार होने के बाद इन लोगों के समक्ष घर लौटने के सिवाय कोई दूसरा रास्ता नहीं दिखा।
ठीक थी आमद, अब नहीं जाएंगे परदेश
परबती के संजय कुमार, मीना देवी, राहुल, खगडिय़ा के रामसुंदर प्रसाद ने बताया कि वे लोग मुंबई के चैंबुर इलाके में किराए के एक कमरे में रहते थे। दोनों पास के एक फैक्ट्री में काम करते थे। ओवरटाइम मिलाकर महीने में ठीक ठाक आमदनी हो जाती थी। होली के बाद कोरोना का मामला बढ़ा तो पहले ओवरटाइम को बंद कर दिया गया, फिर बाद में पूरी तरह भी बंद हो गए। ऐसे में घर आने के सिवाय कोई दूसरा रास्ता नहीं दिखा। इन लोगों ने कहा कि घर पर ही रोजगार मिल जाएगा तो फिर से वापस नहीं जाएंगे।
पत्नी और बच्चे के साथ लौटा संजय
संजय पत्नी के साथ मुंबई काम करता था, पत्नी भी सिलाई का काम करती थी। घर पर ही बुटीक का काम करते थे। दोनों के तीन बेटे हैं। इसमें एक छोटा है। दोनों बच्चों की पढ़ाई भी मुंबई में ही चल रही थी। कोरोना के बढ़ते मामले को देखते हुए स्कूलों में पढ़ाई बंद हो गई। लॉकडाउन में समर स्पेशल से घर लौट गए। इन्होंने बताया कि मजे में ङ्क्षजदगी की गाड़ी चल रही थी, लेकिन कोरोना के एक झटके ने सभी कुछ बर्बाद कर दिया।