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बांग्लादेशी सजायाफ्ता बंदी की मौत, तौफिक के शव को दफनाने में उच्चायोग के निर्देश का इंतजार

केंद्रीय कारा पूर्णिया के अधीक्षक के पत्राचार बाद जेल आइजी गृह विभाग और विदेश मंत्रालय ने बांग्लादेशी उच्चायोग से साध चुके हैं संपर्क अबतक नहीं मिला निर्देश। तौफिक का शव भागलपुर मेडिकल कॉलेज के डीप फ्रीजर में पड़ा हुआ है।

By Dilip Kumar shuklaEdited By: Published: Wed, 20 Jan 2021 08:13 AM (IST)Updated: Wed, 20 Jan 2021 08:13 AM (IST)
बांग्लादेशी सजायाफ्ता बंदी की मौत, तौफिक के शव को दफनाने में उच्चायोग के निर्देश का इंतजार
पूर्णिया कारा से उपचार को बांग्लादेशी सजायाफ्ता बंदी तौफिक के शव को दफनाने में उच्चायोग के निर्देश का इंतजार है।

जागरण संवाददाता, भागलपुर। पूर्णिया केंद्रीय कारा से उपचार को भागलपुर लाए गए बांग्लादेशी सजायाफ्ता बंदी मुहम्मद तौफिक के शव को दफनाने में उच्चायोग के निर्देश का इंतजार है। बांग्लादेशी उच्चायोग से इस संबंध में पूर्णिया केंद्रीय कारा के अधीक्षक इंजीनियर जितेंद्र कुमार के पत्र पर विदेश विभाग ने 28 दिसंबर 2020 को संपर्क साधा था। बांग्लादेशी उच्चायोग से तौफिक के शव को ले जाने या दफनाने के संबंध में कोई दिशा-निर्देश विदेश विभाग को नहीं मिल सका है। विदेश विभाग की तरफ से एक जनवरी 2021 को भी एक पत्र लिखकर उच्चायोग से दिशा-निर्देश मांगा लेकिन अबतक 26 दिन बीत चुके हैं। तौफिक का शव भागलपुर मेडिकल कॉलेज के डीप फ्रीजर में पड़ा हुआ है। विदेश मंत्रालय ने अपने पत्र में सर्वोच्च प्राथमिकता देने की बात कह तौफिक के शव को ले जाने का अनुरोध कर चुका है। वहां के उच्चायोग ने तौफिक के बांग्लादेश के बताए पते तक का सत्यापन नहीं कर सकी है। ना ही इस संबंध में कोई दिशा-निर्देश ही दिया है। लेकिन अबतक इस संबंध में बांग्लादेश उच्चायोग का जवाब नहीं आया है। तौफिक की मौत 25 दिसंबर 2020 को जवाहर लाल नेहरू अस्पताल, भागलपुर में उपचार के दौरान हो गई थी। उसे पूर्णिया जेल से उपचार के लिए लाया गया था।

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बांग्लादेशी बंदी फारूक के शव का कराया जा चुका अंतिम संस्कार

पूर्णिया केंद्रीय कारा के अधीक्षक ने मधुबनी मंडल कारा में बंद बांग्लादेशी बंदी 25 वर्षीय मुहम्मद फारूक की मौत बाद भारत में संस्कार किये जाने का हवाला दिया है। फारूक की मौत बाद बांग्लादेशी उच्चायोग ने उसका अंतिम संस्कार भारत में ही करा दिये जाने का अनुरोध विदेश मंत्रालय से किया था। उसके बाद मधुबनी जिला प्रशासन ने 2012 में उसके शव को सिपुर्द-ए-खाक कर दिया था। फारूक बांग्लादेश के नरसिंहडीह जिला के छोटावन शिवपुर का रहने वाला था। उसके पते का भी सत्यापन बांग्लादेशी उच्चायोग नहीं कर सकी थी। जिला प्रशासन भागलपुर के निर्देश पर 26 दिनों से तौफिक का शव डीप फ्रीजर में रखा गया है। जिसका खर्च सरकारी सरकार के खाते में जा रहा है। मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य की माने तो डीप फ्रीजर में शव को रखने के लिए जिलाधिकारी का निर्देश जरूरी होता है। उसके लिए कोई शुल्क तय नहीं है। 72 घंटे बाद बिना शिनाख्त वाले शव का अंतिम संस्कार करा दिया जाता है। चुकी तौफिक का मामला गैर मुल्क से जुड़ा है इसलिए बिना उस देश के उच्चायोग की सहमति के प्रशासन उसके शव का अंतिम संस्कार नहीं करा सकता।

भागलपुर की जेल में बंद शहादत हुसैन मामले में भी फंसा है पेंच

24 नवंबर 2018 को भागलपुर रेलवे स्टेशन से स्मैक समेत अन्य नशीली टिकिया के साथ किन्नर के वेश में गिरफ्तार बांग्लादेशी नागरिक शहादत हुसैन उर्फ पायल मामले में भी पेंच फंसा हुआ है। बीते दो सालों से वह यहां के शहीद जुब्बा सहनी केंद्रीय कारा में बंद है। रेल पुलिस अबतक उसके पते का सत्यापन नहीं करा सकी है। इसके लिए विदेश विभाग तक को रेल एसपी लिख चुके हैं। लेकिन विदेश विभाग के पत्राचार के बाद भी बांग्लादेशी उच्चायोग उसके पते का सत्यापन नहीं कर सकी है। वह बांग्लादेश की राजधानी ढाका के सोनिया एकरा गांव का रहने वाला है। उसे बिना पासपोर्ट वीजा के रेलवे स्टेशन से गिरफ्तार किया गया था।


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