नौका से महानंदा नदी पार कर निभाया जा रहा बेटी रोटी का रिश्ता, अमदाबाद को पश्चिम बंगाल पुल से जोड़ने की उठी मांग
कटिहार का अमदाबाद प्रखंड पश्चिम बंगाल की सीमा से लगा हुआ है। यहां बेटी रोटी का रिश्ता सदियों से लोग महानंदा नदी पार कर निभा रहे हैं। शादी विवाह के कार्यक्रम भी होते हैं तो लोग नदी नाव से पार कर जाते हैं....
संवाद सूत्र, अमदाबाद (कटिहार): अमदाबाद प्रखंड अंतर्गत लंबे समय से महानंदा नदी पर पुल निर्माण की मांग लोग कर रहे हैं। पुल के अभाव में आज भी लोग महानंदा नदी पार करने के लिए नाव का सहारा लेते हैं। बताते चलें कि अमदाबाद प्रखंड की सीमा समीपवर्ती राज्य पश्चिम बंगाल से लगती है। पश्चिम बंगाल से प्रखंड के लोगों का बेटी-रोटी का रिश्ता है। एक तरफ जहां पश्चिम बंगाल के लोग भी अमदाबाद में अपने बच्चों की शादी करते हैं, वहीं अमदाबाद के लोग पश्चिम बंगाल के विभिन्न स्थानों पर अपने बेटे बेटियों की शादी करते हैं। दूसरी तरफ अमदाबाद प्रखंड के व्यवसायियों के लिए बंगाल का बाजार भी काफी महत्वपूर्ण है।
ऐसे में बड़ी संख्या में लोग आए दिन गोविंदपुर घाट, दिल्ली दीवानगंज घाट,लक्खी टोला घाट आदि पर नाव से महानंदा नदी पार करते हैं। कई बार नौका पर क्षमता से अधिक आदमी एवं मोटरसाइकिल चढ़ा लेने से महानंदा नदी पार करना लोगों के लिए जोखिम भरा भी होता है। ऐसे में महानंदा नदी पर एक पुल की मांग लंबे समय से यहां के लोग कर रहे हैं। ग्रामीण भोला चौधरी, मंटू चौधरी, कुद्दुस, जहांगीर, मुंशी सिंह इत्यादि लोगों ने कहा कि हमलोग नाव से पार पर पश्चिम बंगाल जाते हैं। अगर गोविंदपुर घाट के समीप महानंदा नदी पर एक पुल बन जाता तो सीधे बंगाल से जुड़ाव हो जाता एवं नाव से नदी पार करने का जोखिम नहीं उठाना पड़ेगा और समय की भी बचत होगी। आस-पास के लोगों को रोजी-रोजगार एवं शादी-विवाह को लेकर आने-जाने में सहूलितय होगी।
प्रखंड की तालाब के सौंदर्यीकरण से बढ़ी लोगों की चहल-पहल
संवाद सूत्र, फलका (कटिहार): सरकार के जल जीवन हरियाली के तहत जिले के फलका प्रखंड के तालाब का सौंदर्यीकरण कर इसे पार्क का रूप दिया गया। जिसके कारण यहां लोगों की चहल-पहल बढ़ी है। तालाब के चारों तरफ फेभर ब्लॉक से सड़क निर्माण किया गया है। साथ ही पार्क में घूमने आने वालों के लिए बैठने हेतु जगह-जगह पक्की चबूतरा का निर्माण और पौधरोपण के कारण तालाब और सुंदर बन गया है। प्रखंड और अंचल आने वाले सहित गांव एवं पड़ोस के लोग इस तालाब को देखने आते हैं। तालाब में मछली पालन भी किया जा रहा है। हालांकि अभी पानी कम है और बोरिंग से पानी दिया जा रहा है।
आजादी से पूर्व निर्मित इस पोखर का इतिहास काफी गौरवशाली रहा है। धर्म और आस्था से जुड़ा यह पोखर आज भी लोगों के दिलों में बसता है। बताया जाता है कि कभी यह पोखर प्रखंड का मुख्य पोखर हुआ करता था। क्योंकि इस पोखर में छठ पूजा पर मेला और छठ व्रती पूजा-अर्चना करते थे। नव निर्वाचित मुखिया निभा देवी ने बताया कि इस तालाब को और बेहतर ढंग से सजाना है। ताकि दूर दूर से लोग यहां धूमने-फिरने आएं।