महानंदा के तट पर बसे इस गांव में पल रही बंगाली संस्कृति, जानिए...
कटिहार के करोरी पंचायत में बंगाली संस्कृति की झलक देखने को मिलती है। यहां पर भाषा वेश भूषा से लेकर लोगों का रहन-सहन तक बंगाल की संस्कृति से पूरी तरह प्रभावित है। विकास के लिहाज से भी पंचायत की तस्वीर लगातार बदल रही है।
जागरण संवाददाता, कटिहार। बलरामपुर प्रखंड के सबसे अंतिम छोर पर पश्चिम बंगाल सीमा से सटे किरोरा पंचायत कई मायनों में अनूठा है। महानंदा नदी के तट पर बसे इस पंचायत में सदा से बंगाली संस्कृति पल रही है। यूं तो यह बिहार का हिस्सा है, लेकिन यहां पहुंचते ही लोगों को पश्चिम बंगाल में होने का एहसास होने लगता है। भाषा, वेश भूषा से लेकर लोगों का रहन-सहन तक बंगाल की संस्कृति से पूरी तरह प्रभावित है। विकास के लिहाज से भी पंचायत की तस्वीर लगातार बदल रही है। शिक्षा व खेल में भी इस पंचायत की अलग पहचा रही है।
इस पंचायत का एक स्याह पक्ष हर वर्ष आने वाली प्रलयकारी बाढ़ है। बाढ़ की विभीषिका झेलते हुए भी पंचायत विकास के पथ पर अग्रसर है। पंचायत की भौगोलिक स्थिति इसका दंश झेल रहा है। महानंदा के तट पर बसे किरोरा पंचायत हर वर्ष प्रलयंकारी बाढ़ से तबाह रहता है। हर वर्ष बाढ़ की वजह से पंचायत में सैकड़ों एकड़ मे लगी फसल बर्बाद हो जाती है। पंचायत के किसानों के लिए यह विषम स्थिति है। बाढ़ की वजह से लगभग हर वर्ष किसानों के अरमानों पर पानी फिर जाता है। पंचायत वासियों द्वारा कई दशकों से महानंदा नदी के तट पर बांध निर्माण की मांग की जा रही है, लेकिन विभागीय स्तर पर अब तक कोई पहल नहीं हो पाया।
प्राकृतिक आपदाओं के बावजूद मुखिया रेहाना के नेतृत्व में पंचायत के हर तबके को सरकारी योजनाओं का भरपूर लाभ मिल रहा है। पंचायत में सड़कों का जाल बिछ गया है। सड़क सुविधा की स्थिति पहले से काफी बेहतर हो गई है। अपने कार्यकाल में मुखिया रेहाना नाज द्वारा लगभग 105 पीसीसी सड़कों का निर्माण कराया गया है। पंचायत के हर गांव में सड़क का निर्माण होने से आवागमन सुगम हो गया है। वही लगभग 100 स्ट्रीट लाइट के द्वारा पंचायत में रोशनी की समस्या का भी समाधान हो गया है। पंचायत के 2200 परिवारों को शौचालय का लाभ दिया गया है। वही तीन सामुदायिक शौचालय का निर्माण मुखिया के कार्यकाल में हुआ है। पंचायत के बालूगंज गांव में जल निकासी की समस्या दशकों से विद्यमान थी। मुखिया द्वारा गांव में नाला का निर्माण कर जल निकासी की समस्या को भी दूर किया गया है। सरकारी स्वास्थ्य सुविधा के नाम पर पंचायत में कुछ भी नहीं है। दो स्वास्थ्य उप केंद्र तो हैं लेकिन चिकित्सक का पदस्थापन अब तक नहीं हो सका है। पंचायत के लोग आज भी स्वास्थ्य सुविधा के लिए पूर्णिया जिले के बायसी एवं पश्चिम बंगाल के अस्पतालों पर निर्भर है।
पंचायत की मुखिया रेहाना ने बताया कि उनके कार्यकाल में पंचायत के हर गांव एवं तबके के लोगों तक सरकारी योजनाओं का लाभ पहुंचाया गया है। सड़क सुविधा, बिजली, साफ सफाई, शौचालय सहित विभिन्न क्षेत्रों में अथक प्रयास कर पंचायत का कायाकल्प हुआ है। अगली बार मौका मिलने पर और बेहतर कार्य किया जाएगा। किरोरा पंचायत को मॉडल पंचायत बनाना उनका सपना है।
मुखिया प्रतिनिधि नसीब आलम ने बताया कि विगत पांच वर्षों में पंचायत का सर्वांगीण विकास हुआ है। मनरेगा, सात निश्चय योजना, प्रधानमंत्री आवास योजना सहित विभिन्न योजनाओं के माध्यम से पंचायत की कई समस्याओं का समाधान हुआ है। महानंदा नदी के तट पर बांध निर्माण को लेकर आगे भी प्रयास जारी रहेगा।
समाजसेवी अब्दुर रहमान का कहना है कि पिछले पांच वर्षों में पंचायत के चौक चौराहों में स्ट्रीट लाइट लगने से रोशनी की समुचित व्यवस्था हुई है। साथ ही हर घर बिजली पहुंच गई है।
ग्रामीण मु शराफत का कहना है कि पंचायत के सलेमपुर, कोल टोला, बालूगंज, बागडोगरा आदि गांव में बाढ़ की विभीषिका से हर वर्ष होने वाली क्षति के एवज में ग्रामीणों को सरकारी अनुदान नहीं मिल पाता है। इससे ग्रामीणों को परेशानी होती है।
स्थानीय निवासी मोजीबुर रहमान का कहना है कि पंचायत में पेयजल आपूर्ति की स्थिति दयनीय है। अब तक लोगों को शुद्ध पेयजल नसीब नहीं हुआ है। जल नल योजना का कार्य संतोषप्रद नहीं है।
स्थानीय युवा मु रजाउल्लाह का कहना है कि पंचायत में स्थित विभिन्न सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की कमी से बच्चों की पढ़ाई बाधित होती है। इस वजह से पंचायत में साक्षरता दर निम्न स्तर पर है।
पंचायत एक नजर
पंचायत का नाम- किरोरा
कुल आबादी - 25000
मतदाता- 10500
साक्षरता- 45 प्रतिशत
प्रधानमंत्री आवास योजना- 250
शौचालय-2200
सामुदायिक शौचालय-03
उच्च विद्यालय-01
मध्य विद्यालय-03
प्राथमिक विद्यालय-06
सड़क निर्माण-105
स्ट्रीट लाइट-100