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प्राचीण भारत में नगरीकरण पर चर्चा

टीएनबी कॉलेज के इतिहास विभाग में शनिवार को वेबिनार का आयोजन किया गया। विभागाध्यक्ष प्रो. दयानंद राय ने विषय प्रवेश कराया। वेबिनार में प्राचीन भारत में पाषाण काल के अंत से लेकर सिंधु घाटी सभ्यता में ताबे के उत्पादन के फलस्वरूप प्रथम नगरीकरण पर चर्चा की हुई।

By JagranEdited By: Published: Sun, 31 May 2020 02:08 AM (IST)Updated: Sun, 31 May 2020 02:08 AM (IST)
प्राचीण भारत में नगरीकरण पर चर्चा
प्राचीण भारत में नगरीकरण पर चर्चा

भागलपुर। टीएनबी कॉलेज के इतिहास विभाग में शनिवार को वेबिनार का आयोजन किया गया। विभागाध्यक्ष प्रो. दयानंद राय ने विषय प्रवेश कराया। वेबिनार में प्राचीन भारत में पाषाण काल के अंत से लेकर सिंधु घाटी सभ्यता में ताबे के उत्पादन के फलस्वरूप प्रथम नगरीकरण पर चर्चा की हुई।

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विभाध्यक्ष ने कहा कि भारत में द्वितीय नगरीकरण छठी शताब्दी ईस्वी पूर्व में लौह तत्व की प्रचुरता के कारण हुई और 16 महाजनपद बसे। उन्होंने मौर्य काल से लेकर गुप्त काल तक के नगरीकरण और पूर्व मध्यकालीन भारत के नगरों पर प्रकाश डाला। वहीं, इलाहाबाद विश्वविद्यालय के प्रो. ओपी श्रीवास्तव ने 'अर्बनाइजेशन इन अर्ली मेडिवाल इंडिया' (600-1200 ई.) पर व्याख्यान दिया। उन्होंने गाव एवं शहर को परिभाषित किया। शिल्पियों और व्यापारियों के साथ जोड़कर शहरीकरण को समझाने का प्रयास किया। उन्होंने पूर्व मध्यकाल में नगरों के पतन पर भी चर्चा की।

वेबिनार में मुंगेर विश्वविद्यालय से डॉ.श्याम, एसएम कॉलेज से डॉ. हिमाशु शेखर एवं डा.प्रेमलता तथा टीएनबी से डॉ. शिवानी भारद्वाज ने भाग लिया।


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