बच्चों की सेहत को लेकर हो जाएं सतर्क, पढि़ए कटिहार के डा. गाजी की सलाह
कोरोना संक्रमण की चपेट में तेजी से लोग आ रहे हैं। ऐसे में हमें बच्चों की सेहत को लेकर विशेष सावधानियां बरतने की जरूरत है। जरा सा भी परेशानी होने पर तुरंत डाक्टर की सलाह लें। साथ ही...
जागरण संवाददाता, कटिहार। देश में कोरोना संक्रमण का मामला तेजी से बढ़ रहा है। डेल्टा वेङ्क्षरट की तुलना में ओमिक्रान संक्रमण गंभीर नहीं है। लेकिन इसके संक्रमण की गति पिछले वेरिएंट के मुकाबले अधिक है। कोरोना की तीसरी लहर में सभी आयुवर्ग के लोग संक्रमण की चपेट में आ रहे हैं।
शिशु रोग विशेषज्ञ डा. गाजी शारिक अहमद ने बताया कि नए वेरिएंट का फेफड़ों पर असर कम होने के कारण मरीज के गंभीर स्थिति में होने की नौबत नहीं आती है। लेकिन लोगों को सतर्कता और मास्क का उपयोग अनिवार्य रूप से करना चाहिए। बच्चों में लक्षण और बिना लक्षण के संक्रमण के मामले भी सामने आ रहो हैं। देश में अब तक संक्रमित जिन मरीजों को आक्सीजन की जरूरत है, उनमें 96 प्रतिशत के कोरोना टीका से वंचित होने की बात सर्वे में सामने आई है।
डा. गाजी कहते हैं कि कोरोना की तीसरी लहर में लक्षण में भी बदलाव देखने को मिल रहा है। खासकर छोटे बच्चों पर विशेष नजर रखे जाने की जरूरत है। बिना सर्दी, खांसी व बुखार हुए भी बच्चा सुस्त रहे, रात में पसीना आए तथा पीठ के निचले हिस्से में दर्द होने की शिकायत करे तो तुरंत चिकित्सक से सलाह लेना चाहिए। कम उम्र के बोलने में असमर्थ बच्चों के अभिभवक या परिवार का कोई सदस्य कोरोना संक्रमण की चपेट में आए तो बच्चे की भी कोरोना जांच कराए जाने की जरूरत है।
बचों में रहे सुस्ती, रात में आए पसीना तो डाक्टर की लें सलाह
डा. गाजी ने बताया कि कोरोना में सर्दी खांसी व बुखार सामान्य लक्षण है। लेकिन तीसरी लहर में एक दो दिन बुखार रहने के बाद उतर जाता है। तीन बाद खांसी शुरू हो जाती है। बच्चों में इस तरह का लक्षण सामने नहीं आने की बात भी सामने आई है। अगर बच्चे सुस्त रहे तथा रात में पसीना आए तो तुरंत चिकित्सक से संपर्क करें। बच्चों के शरीर व सिर में दर्द तथा पीठ के निचले हिस्से में दर्द रहना भी कोरोना का लक्षण हो सकता है।
अधिक से अधिक कराएं तरल पदार्थ का सेवन
बच्चों में प्रतिरोधक क्षमता अधिक होती है। लेकिन कम उम्र के बच्चे भी तीसरी लहर में कोरोना संक्रमण की चपेट में आ रहे हैं। सर्दी, खांसी, बुखार होने पर डाक्टर की सलाह पर पारासिटामाल खिलाने के साथ ही संक्रमण से बचाव के लिए अधिक से अधिक तरल पदार्थ का सेवन कराएं। हल्का गर्म पानी, जूस, का सेवन बच्चों को कराएं।