Move to Jagran APP

सूखा या बाढ़ में भी ले सकेंगे सब्जी-चारे की 'किफायती' पैदावार, जानिए... क्या है BAU की सस्ती और कारगर पहल Bhagalpur News

पॉली हाउस (नियंत्रित ताप) आधारित इस विधि में ट्रे में फसल उत्पादन में किया जाता है। यह युक्ति नई नहीं है किंतु इसे सस्ता और सुलभ बनाने को शोध किया जा रहा है।

By Dilip ShuklaEdited By: Published: Sun, 15 Dec 2019 10:20 AM (IST)Updated: Sun, 15 Dec 2019 10:20 AM (IST)
सूखा या बाढ़ में भी ले सकेंगे सब्जी-चारे की 'किफायती' पैदावार, जानिए... क्या है BAU की सस्ती और कारगर पहल Bhagalpur News
सूखा या बाढ़ में भी ले सकेंगे सब्जी-चारे की 'किफायती' पैदावार, जानिए... क्या है BAU की सस्ती और कारगर पहल Bhagalpur News

भागलपुर [ललन तिवारी]। सूखे और बाढ़ से जूझने वाले क्षेत्रों के कम जोत वाले पशुपालक और किसानों को कम लागत, कम पानी, बिना जमीन और मिट्टी के भी सब्जी और चारा का उत्पादन मुहैया हो सके, इसके लिए बिहार कृषि विश्वविद्यालय पॉली हाउस आधारित सस्ती और कारगर कृषि तकनीक सुलभ कराने पर काम कर रहा है। बिहार कृषि विश्वविद्यालय का कहना है, सामयिक आवश्यकता की पूर्ति के क्रम में बिहार में इस तरह का अनुसंधान पहली बार हो रहा है।

loksabha election banner

सबौर, भागलपुर स्थित इस विश्वविद्यालय के जनसंपर्क पदाधिकारी डॉ. आर के सोहाने ने बताया, राज्य में 2.72 करोड़ पशु हैं, पर कुल कृषि क्षेत्र के 0.21 फीसद जमीन पर ही चारे का उत्पादन हो पाता है। राज्य का अधिकांश इलाका सूखा या बाढ़ से ग्रसित रहता है। ऐसे में इस तरह की युक्ति की यहां सख्त दरकार है, जिससे बिना जमीन या मिट्टी के भी पशु चारा उपलब्ध हो सके। हम जल्द ही इसे सुलभ कराने जा रहे हैं।

दरअसल, पॉली हाउस (नियंत्रित ताप) आधारित इस विधि में ट्रे में फसल उत्पादन में किया जाता है। यह युक्ति नई नहीं है किंतु इसे सस्ता और सुलभ बनाने को शोध किया जा रहा है। पॉली हाउस में स्थापित एक ट्रे में एक किलो अंकुरित बीज डालने पर सप्ताह भर में सात-आठ किलो हरा चारा मिल सकेगा। ट्रे में चारे के पौधे की ऊंचाई एक फीट की होगी। सभी पौधों की जड़ें एक दूसरे से गुच्छे के रूप में जुड़ी रहेंगी, ताकि फसल खड़ी रह सके। छोटे स्तर पर प्रतिदिन एक ट्रे से आठ-दस किलो चारा मिल सकेगा। पहली ट्रे खाली होते ही नई फसल होने तक दूसरी ट्रे तैयार हो जाएगी। रोटेशन प्रणाली से हर दिन चारा मिलता रहेगा। बड़े स्तर पर यह प्रतिदिन हजार किलो तक उत्पादन होगा।

सब्जी की फसल के लिए उच्चस्तरीय तकनीक से सस्ते और टिकाऊ पॉली हाउस और ट्रे का निर्माण किया जा रहा है। इसमें बेमौसम में भी मौसमी सब्जी का भी उत्पादन होगा, जो ज्यादा गुणवत्तापूर्ण होगी। इसमें भी मिट्टी की जरूरत नहीं होगी। एक जालीनुमा फ्लोर का निर्माण किया जाएगा। इसी में सब्जी की जड़ें लटकती रहेंगी। चारे और सब्जी दोनों ही फसलों के लिए विशेष घोल बनाए जाएंगे। इसी में वे सारे पोषक तत्व होंगे, जो मिट्टी में उपलब्ध होते हैं, ट्रे में घोल की नियंत्रित मात्रा पहुंचेगी।

डॉ. अजय कुमार सिंह (कुलपति बीएयू, सबौर, भागलपुर) ने कहा कि आबादी बढ़ रही है और जमीन कम हो रही है तो इस तरह के अनुसंधान किसानों के लिए काफी लाभदायक सिद्ध होंगे। विशेषकर बिहार में जहां, सूखा और बाढ़ बड़ी चुनौती रही हैं। विश्वविद्यालय इसी दिशा में प्रयास कर रहा है ताकि कम जोत वाले और कठिन हालात वाले क्षेत्र के पशुपालक और किसानों को सस्ता समाधान सुलभ कराया जा सके।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.