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BAU नियुक्ति घोटाला : हनक ऐसी थी कि बहाली में मेवालाल करते रहे हेराफेरी, शिक्षा मंत्री से देना पड़ा इस्‍तीफा

BAU नियुक्ति घोटाला बिहार कृषि विवि में सहायक प्राध्यापकों की नियुक्ति घोटाले में आरोपी मेवालाल हैं। इस मामले में कुलाधिपति ने अवकाश प्राप्त न्यायमूर्ति एसएमएम आलम से जांच कराई थी। 9 जून 2011 को निकाली गई थी रिक्तियां 1311 अभ्यर्थियों ने दिया था साक्षात्कार 161 हुए थे सफल घोषित।

By Dilip Kumar ShuklaEdited By: Published: Tue, 24 Nov 2020 09:10 AM (IST)Updated: Tue, 24 Nov 2020 09:10 AM (IST)
BAU नियुक्ति घोटाला : हनक ऐसी थी कि बहाली में मेवालाल करते रहे हेराफेरी, शिक्षा मंत्री से देना पड़ा इस्‍तीफा
BAU नियुक्ति घोटाला : यहां के पूर्व कुलपति डॉ मेवालाल चौधरी इस मामले के मुख्‍य आरोपी है।

भागलपुर [कौशल किशोर मिश्र]। बिहार कृषि विश्वविद्यालय सबौर के कुलपति रहते हुए मुंगेर के तारापुर के जदयू विधायक मेवालाल चौधरी ने नियमों को ताक पर रखकर बहाली की थी। 9 जून 2012 को बहाली के लिए रिक्तियां निकाली थी। 25 जुलाई 2012 की शाम पांच बजे तक का मौका दिया गया था। कृषि विज्ञान से संबंधित कुल 21 विषयों में कुल 2,400 अभ्यर्थियों को साक्षात्कार के लिए जून से सितंबर 2012 तक के दौरान बुलाया गया था। 1311 अभ्यर्थी साक्षात्कार में शामिल हुए तथा 1089 अनुपस्थित रहे थे। 14 सितंबर 2012 को बिहार कृषि विश्वविद्यालय सबौर की आधिकारिक वेबसाइट पर परिणाम प्रकाशित किया गया था, जिसमें 161 अभ्यर्थी सफल घोषित किये गए थे।

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तत्कालीन राज्यपाल सह कुलाधिपति ने बहाली में अनियमितता की जानकारी पर जांच के लिए कमेटी गठित कर दी थी। रिटायर्ड न्यायमूर्ति एसएमएम आलम ने मामले की जांच की और अपनी रिपोर्ट राज्यपाल को सौंप दी थी। उसी रिपोर्ट के आधार पर मेवालाल चौधरी समेत अन्य के विरुद्ध सबौर थाने में केस दर्ज कराया गया था। तत्कालीन कुलसचिव केस के वादी बने थे।

रिटायर्ड न्यायमूर्ति ने अपनी रिपोर्ट में बहाली में मेवालाल की तरफ से की गई हेराफेरी को स्पष्ट कर दिया था। मेधा सूची के आधार पर सभी अभ्यर्थियों को दिये गए अंकों का एक माइक्रोसॉफ्ट एक्सल शीट तैयार किया गया था, जिसके आधार पर कुल 161 उत्तीर्ण अभ्यर्थियों की शैक्षणिक योग्यता का अध्ययन रिटायर्ड न्यायमूर्ति ने किया था। अध्ययन से पता चला कि 47 ऐसे सफल अभ्यर्थी हैं जिन्होंने नेट की परीक्षा पास ही नहीं की थी। 97 ऐसे सफल अभ्यर्थी थे, जो पीएचडी उत्तीर्ण नहीं थे। 25 ऐसे सफल अभ्यर्थी थे, जो नेट और पीएचडी पास नहीं किए थे। रिटायर्ड न्यायमूर्ति ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि ऐसा प्रतीत होता है कि जानबूझकर अयोग्य अभ्यर्थियों को पावर प्वाइंट प्रेजेंटेशन एवं साक्षात्कार में मनमाने ढंग से अत्यधिक अंक देकर पास घोषित किया गया है। न्यायमूर्ति ने गलत तरीके से बहाल ऐसे अभ्यर्थियों की बाकायदा चार्ट बनाई थी।

लाभ पाए अभ्यर्थी

मनीभूषण, प्रेम प्रकाश, राकेश पासवान, अभिजीत घटक, कस्तूरी किशन बेउरा, सोवन देवनाथ, विनीत कुमार कमल, दीपक कुमार वर्णवाल, अकरम अहमद, मनोहर लाल, सुधीर कुमार, मुहम्मद अरशद अनवर, अनुपम दास, धीरज कुमार, विजय कुमार, कामिनी कुमारी, राजीव पदभूषण, रोशन कुमार रमण, शशि कांत, शिवशंकर आचार्य के नाम शामिल हैं।

रिपोर्ट के मुताबिक असफल अभ्यर्थियों में 464 ऐसे अभ्यर्थी हैं, जो राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा यानी नेट पास थे। 331 ऐसे अभ्यर्थी हैं, जिन्होंने पीएचडी की डिग्री प्राप्त की है। असफल अभ्यर्थियों में 146 अभ्यर्थी वैसे हैं जो नेट और पीएचडी दोनों में पास हैं। उनकी शैक्षणिक योग्यता भी अधिकांश उत्तीर्ण अभ्यर्थियों से अच्छी है। किंतु साक्षात्कार में बहुत कम अंक देकर उन्हें अनुत्तीर्ण घोषित कर दिया गया। रिटायर्ड न्यायमूर्ति ने अपनी रिपोर्ट में ऐसे अभ्यर्थियों की भी चार्ट बनाई थी।

योग्यता रहते हुए वंचित अभ्यर्थियों के नाम

सुनील कुमार सिंह, संतोष कुमार सिंह, डॉ. सीमा कुमारी, जितेंद्र कुमार, मुहम्मद साजिद हुसैन, डॉ. अशोक सिंह समेत 36 अभ्यर्थियों के नाम शामिल हैं।


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