Basant Panchami 2022: बसंत पंचमी कब है? जानिए शुभ मुहूर्त, मंत्र और पूजा विधि, बिहार में सरस्वती पूजा की तैयारियां
बिहार में सरस्वती पूजा का विशेष महत्व है। इस बार बसंत पंचमी कब है पूजा की विधि मंत्र और बिहार में इसको लेकर क्या क्या तैयारियां हैं। आदि के बारे में विस्तार से जानें। पढ़ें पंचमी के शुभ मुहूर्त के बारे में भी....
जागरण टीम, मुंगेर: सरस्वती पूजा- माघ महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि बसंत पंचमी के रूप में मनाई जाती है। विद्या और कला की देवी मां सरस्वती जी की पूजा का विधान है। Basant Panchami 2022 इस बार 5 फरवरी को है। बसंत पंचमी से वसंतोत्सव की शुरुआत हो जाती है, जो होली तक चलता है। वसंतोत्सव को मदनोत्सव के रूप में भी मनाया जाता है, जिसकी शुरूआत रतिकाम महोत्सव से होती है।
- बसंत पंचमी शुभ मुहूर्त प्रारंभ : सुबह तीन बजकर 45 मिनट से
- समाप्ति: 6 फरवरी सुबह तीन बजकर 48 मिनट तक
इस दिन होते हैं मांगलिक कार्य
बसंत पंचमी के दिन नई विद्या आरंभ करना, बच्चों का स्कूल में दाखिला, कोई नया काम शुरू करना, बच्चों का मुंडन संस्कार, अन्नप्राशन संस्कार, गृह प्रवेश या अन्य कोई शुभ काम करना बड़ा ही फलदायक माना जाता है।
सरस्वती पूजा कैसे करें
- मां सरस्वती की पूजा करने के लिए सबसे पहले एक जगह को साफ कर लें।
- यहां मां सरस्वती की प्रतिमा रखें।
- कलश स्थापित कर सबसे पहले भगवान गणेश का नाम लेकर पूजा करें।
- सरस्वती माता की पूजा करते समय सबसे पहले उन्हें आमचन और स्नान कराएं।
- माता को पीले रंग के फूल अर्पित करें, माला और सफेद वस्त्र पहनाएं फिर मां सरस्वती का पूरा श्रृंगार करें।
- माता के चरणों पर गुलाल अर्पित करें।
- सरस्वती मां पीले फल या फिर मौसमी फलों के साथ-साथ मिठाई में बूंदी चढ़ाएं।
- माता को मालपुए और खीर का भोग लगाएं। सरस्वती ज्ञान और वाणी की देवी हैं।
- पूजा के समय पुस्तकें या फिर वाद्ययंत्रों का भी पूजन करें।
मंत्र
यदि आप मां सरस्वती के पूजन के दौरान हवन करते हैं तो 'ओम श्री सरस्वत्यै नम: स्वहा" का जाप करें। ये जाप 108 बार करना चाहिए।
बिहार में सरस्वती पूजा- मां की प्रतिमाओं को अंतिम रूप देने की तैयारी में कलाकार जुटे हैं। कोरोना गाइड लाइन के बाद भी जिले के हर प्रखंडों में पूजा की तैयारी चल रही है। शिक्षण और कोचिंग संस्थानों में माता की पूजा होती है। सरस्वती पूजा को लेकर विद्यार्थियों में उत्साह है। शहर से लेकर गांव तक में मूर्तिकार मां की प्रतिमा को अंतिम रूप देने में लगे हैं। कोई मूर्ति का ढांचा बनाने में व्यस्त है तो कोई बने हुए ढांचे में मिट्टी से आकृति को अंतिम रूप देने में लगे हैं। पूजा की तैयारी लगभग दो माह पहले से शुरू हो जाती है, क्योंकि उस समय मूर्ति की इतनी ज्यादा डिमांड होती है कि लोगों को कलाकार मूर्ति दे नहीं पाते हैं।
इस कारण कलाकार महीनों पहले से मूर्ति बनाना चालू कर देते हैं ताकि उस समय कोई भी खाली हाथ ना लौट पाए। 38 सालों से मूर्ति के बना रहे उमेश पंडित ने बताया कि इस वर्ष नए-नए डिजाइन की मूर्तियां बना रहे हैं। इन मूर्तियों में मां हंस, कमल, शंख, चक्र, रथ, वीणा, पुस्तक आदि पर विराजमान हैं, मां का रूप भव्य लग रहा है। कुछ साल से लोगों की डिमांड नटराज मूर्ति की काफी ज्यादा है। इसकी फिनीसिंग काफी अच्छी होती है। मूर्तियों की बुकिंग शुरू हो गई है, पिछले साल की तुलना में एक सौ से ज्यादा बुकिंग हुई है। मां की मूर्तियों की कीमत एक हजार सौ से पांच हजार तक है।