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ओडिशा से हुए विमान हादसे में पायलट की मौत, बांका का रहने वाला था पायलट, छह माह पूर्व आया था घर

ओडिया में हुए विमान हादसे में एक पायलट की मौत हो गई। पायलट कैप्‍टन संजीव कुमार झा बांका के बेलहर का रहने वाला था। वह छह माह पूर्व घर आया था। बांका जिले में शोक है।

By Dilip ShuklaEdited By: Published: Tue, 09 Jun 2020 07:58 AM (IST)Updated: Tue, 09 Jun 2020 07:58 AM (IST)
ओडिशा से हुए विमान हादसे में पायलट की मौत, बांका का रहने वाला था पायलट, छह माह पूर्व आया था घर
ओडिशा से हुए विमान हादसे में पायलट की मौत, बांका का रहने वाला था पायलट, छह माह पूर्व आया था घर

बांका, जेएनएन। जिले के बेलहर प्रखंड अंतर्गत राजपुर गांव निवासी सदानंद झा के 48 वर्षीय पुत्र कैप्टन संजीव कुमार झा की मौत सोमवार की सुबह ओडिशा के ढेनकेनाल जिले के विरासल एयर स्ट्रिप, कनकनाहड़ पुलिस स्टेशन समीप विमान दुर्घटना में हो गई। वह गति गर्वमेंट इंस्टीट्यूट में प्रशिक्षक पायलट के रूप में कार्यरत थे।

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इंजन फेल होने से घटी घटना

घटना के समय वह तमिलनाडु की प्रशिक्षु अनिशा फातिमा को प्रशिक्षण देकर एयरबेस पर उतर रहे थे। इसी दौरान विमान का इंजन फेल हो गया। इस घटना में एक प्रशिक्षु की भी मौत हो गई। हादसा इतना जबरदस्त था कि दुर्घटनाग्रस्त विमान 20 फीट नीचे जमीन में धंस गया।

बांका में मातमी सन्नाटा

संजीव की मौत की खबर राजपुर में मिलते ही मातमी सन्नाटा पसर गया। संजीव के स्वजन धनबाद के पॉलिटेक्निक रोड में रहते हैं। उनकी पत्नी ऋतु झा जमशेदपुर सिविल कोर्ट में अधिवक्ता हैं। बड़ा पुत्र शौर्य कुमार ऑस्ट्रेलिया में पायलट का प्रशिक्षण प्राप्त कर रहा है। छोटा पुत्र अमन कुमार झा 12वीं का छात्र है। संजीव के पिता धनबाद में कोयला कारोबारी हैं।

दिसंबर 2019 में आया था घर

वह प्रतिवर्ष दुर्गापूजा में गांव आते थे। दिसंबर में अपनी मां सुनैना देवी के वार्षिक श्राद्ध में संजीव गांव आए थे। घटना के समय उनके पिता राजपुर में ही थे। राजपुर से सभी स्वजन धनबाद के लिए निकल पड़े हैं। उनका शव एयर एंबुलेंस से धनबाद लाया जा रहा है। पिता ने बताया कि संजीव करीब 19 वर्षों से प्रशिक्षक पायलट के पद पर कार्यरत थे। उन्होंने पटियाला, जमशेदपुर और दिल्ली से प्रशिक्षण प्राप्त किया था।

लोगों ने जताया दुख, दी श्रद्धांजलि

पूर्व मुखिया बासुदेव झा, अधिवक्ता त्रिपुरारी चरण झा, अनुरंजन झा, विशेश्वर झा, कन्हैया झा, संजय कुमार झा आदि ने बताया पायलट के पद पर कार्यरत रहने बाद भी गांव की मिट्टी से उन्हें बेहद प्रेम था। प्रतिवर्ष दुर्गापूजा में वह गांव आते थे। सरल स्वभाव के कारण सभी लोग उसके कायल थे। आज एक होनहार लाल को हमने खो दिया है।


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