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पूर्णिया में लगेगा बंबू ट्रीटमेंट प्लांट, बढ़ेगी बांस की उम्र, लाभान्वित होंगे इलाके के किसान

15 लाख की लागत से तैयार हो रहा बांबू ट्रीटमेंट प्लांट। बांस का औसत उम्र होगा 50 साल होगा। इससे बांस की गुणवत्‍ता बढ़ेगी और इलाके किसान लाभान्वित होंगे। बांस टि्टमेंट प्‍लांट का निर्माण वन पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के डीपो में बनाया जा रहा है।

By Amrendra kumar TiwariEdited By: Published: Tue, 29 Dec 2020 11:43 AM (IST)Updated: Tue, 29 Dec 2020 11:43 AM (IST)
पूर्णिया में लगेगा बंबू ट्रीटमेंट प्लांट, बढ़ेगी बांस की उम्र, लाभान्वित होंगे इलाके के किसान
पूर्णिया के वन विभाग में लगेगा बंबो ट्रीटमेंट प्‍लांट, जिले के किसान होंगे लाभान्वित

पूर्णिया, [शैलेश] । सीमांचल के किसानों की आमदनी फिर बांस के सहारे बढ़ेगी, इसके लिए वन विभाग ने राष्ट्रीय बांस मिशन के तहत क्षेत्र में बांस उत्पादन बढ़ाकर इसे किसानों के आमदनी का मुख्य स्त्रोत बनाने की तैयारी में जुटा हुआ है। योजना के तहत बांस का पौधा लगाने के साथ बांस का उपचार कर इसकी उपयोगिता बढ़ाने के लिए बंबू ट्रीटमेट प्लांट स्थापित किया जा रहा है। वन विभाग के प्रमंडलीय डीपो में 15 लाख की लागत से यह प्लांट स्थापित किया जा रहा है। प्लांट बनाने के लिए सभी उपकरण पहुंच चुका है और काम अंतिम चरण में है। नए साल प्लांट का संचालन शुरू होने से क्षेत्र के बांस किसान लाभान्वित होंगे।

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इस ट्रीटमेंट प्लांट की मदद से बांस का उपचार कर उसकी औसत उम्र क्षमता को बढ़ाई जाएगी। नई तकनीक से बनाए जा रहे प्लांट में उपचार के बाद बांस की औसत उम्र क्षमता करीब 50 वर्ष तक होगी। उपचार से औसत उम्र के दौरान बांस के सडऩे एवं खराब होने की समस्या दूर होगी ताकि लोग अपने काम-काज में इस्तेमाल कर रहे लोहा और स्टील की जगह बांस का उपयोग करें और किसानों की आमदनी बढ़ सके।

ट्रीटमेट प्लांट से बांस उद्योग को मिलेगा बढ़ावा 

ट्रीटमेट प्लांट में बांस के उपचार से क्षेत्र में बांस उद्योग को बढ़ावा मिलेगा। बांस को काटने के बाद प्लांट में डालकर तकनीक के सहारे उपचार किया जाएगा। प्लांट में उपचार के बाद ऐसे पांच से सात साल तक क्षमता वाला बांस 50 साल तक के लिए टिकाऊ होगा। इससे लोग उसके इस्तेमाल को बढ़ाएंगे तो बांस के उद्योग बढ़ेगा।

कभी सभी काम में होता रहा है बांस का उपयोग 

बांस बाहुल्य इस क्षेत्र में लोग कभी हर काम में बांस का इस्तेमाल करते थे। घर बनाने, सजाने, दरवाजा और खिड़की तैयार करने, कुर्सी, टेबल, बर्तन, सोफा, चटाई, खिलौना सहित सोने के लिए बांस से तैयार मचान और खटिया का उपयोग करते थे। कम टिकाऊ होने के कारण लोग समय के साथ-साथ बांस को छोड़कर लोहा और स्टील एवं फर्नीचर का उपयोग करने लगे। इससे बांस की मांग कम हो गई और किसान भी बांस की खेती से मुंह मोडऩे लगे।

छह प्रजाति के लगाए जा रहे बांस के पौधे 

वन विभाग राष्ट्रीय बांस मिशन के तहत पूर्णिया वन प्रमंडल क्षेत्र में छह प्रजाति के एक लाख बांस के पौधे लगाए जा रहे हैं। इसमें पूर्णिया के महेंद्रपुर और चंपानगर वन क्षेत्र में 80 हजार बांस और कटिहार के वन विकास केंद्र और चेथरियापीड़ स्थित वन क्षेत्र में भी बांस का पौधा लगाने का काम जारी है।

सुनिए क्‍या कहते है डीएफओ

डीएफओ भास्‍कर चंद भारती ने कहा कि वन विभाग के डीपो में लगाया जा रहा है। प्लांट का सारा उपकरण पहुंच चुका है, एजेंसी को जल्द काम पूरा करने को कहा गया है ताकि नए साल में प्लांट चालू हो सके। इस प्लांट में बांस का उपचार कर औसत उम्र बढ़ाया जाएगा। प्लांट के सहयोग से क्षेत्र के बांस किसान लाभान्वित होंगे।


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