कोरोना पर लोगों को जगाइए फिर स्थायी जमानत
वैश्रि्वक त्रासदी कोरोना से बचाव में लोगों को जागरूक करने की शर्त पर अस्थायी जमानत देने का अनोखा मामला भागलपुर में सामने आया है।
भागलपुर [कौशल किशोर मिश्र]। वैश्रि्वक त्रासदी कोरोना से बचाव में लोगों को जागरूक करने की शर्त पर अस्थायी जमानत देने का अनोखा मामला भागलपुर में सामने आया है। यहां के अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश (8) एमपी सिंह ने जेल में बंद एक आरोपित को सशर्त अस्थायी जमानत दी है। जमानत आदेश में न्यायाधीश ने कहा है कि अस्थायी जमानत स्थायी जमानत में तभी तब्दील होगी जब आरोपित जमानत की शर्त पूरी करते हुए उसका प्रमाण निचली अदालत को सौंप दे। न्यायाधीश ने आरोपित परीक्षित चौहान उर्फ परीक्षित कुमार को अस्थायी जमानत देते हुए जेल अधीक्षक को उसे मुक्त करने का आदेश जारी कर दिया है। दस हजार रुपये के दो निजी मुचलके के बंध पत्र दाखिल करने कहा है।
शर्त मुताबिक सबौर ब्लॉक गेट पर पांच दिनों तक करें जागरूक
जेल से निकलने के बाद शर्त के मुताबिक आरोपित परीक्षित को सबौर ब्लॉक गेट के सामने पांच दिन हाथ में तख्ती लेकर (प्ले कार्ड) लोगों को कोरोना वायरस से बचाव को लेकर जागरूक करना है। इसका प्रमाण पत्र सबौर ब्लॉक में तैनात किसी भी पदाधिकारी से लेकर न्यायालय में जमा कराना है। उसी प्रमाण पत्र के आधार पर न्यायालय उसे मिली अस्थायी जमानत को स्थायी जमानत में तब्दील करने का आदेश जारी करेगा। न्यायाधीश ने जमानत आदेश में जेल अधीक्षक को कहा है कि वह जमानत पर मुक्ति आदेश का अवलोकन करे। आरोपित को भी जांच ले कि वह कोरोना वायरस से संक्रमण मुक्त है या नहीं। जांच प्रक्रिया पूरी करने के बाद ही उसे मुक्त करे।
वाट्सएप पर अश्लील संगीत भेजने समेत लगे थे अन्य आरोप
जोगसर पुलिस चौकी, आदमपुर में 24 सितंबर 2019 को वाट्सएप के जरिये लड़कियों को अश्लील संगीत भेजने समेत अन्य गंभीर आरोप में केस दर्ज कराया गया था। दर्ज केस में सबौर थाना क्षेत्र के खानकिता गांव निवासी परीक्षित चौहान उर्फ परीक्षित कुमार को आरोपित बनाया गया था। आरोपित ने केस दर्ज होने के बाद अग्रिम जमानत अर्जी न्यायालय में दाखिल की थी। उसकी अग्रिम जमानत अर्जी भागलपुर न्यायालय और उच्च न्यायालय पटना में भी खारिज हो गई। उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति शिवाजी पांडेय की अदालत ने आरोपित की अग्रिम जमानत खारिज करते हुए उसे निचली अदालत में आत्मसमर्पण करने को कहा था। आरोपित ने आत्मसमर्पण किया। न्यायालय ने उसे जेल भेज दिया। आरोपित की अर्जी पर एडीजे अष्टम एमपी सिंह ने कोरोना जागरुकता की अनोखी शर्त रखी है। शर्त पूरी होने पर ही उसकी अस्थायी जमानत स्थायी जमानत में तब्दील हो सकेगी।