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Atmanirbhar Bharat: आत्मनिर्भरता के पथ पर चल रहीं भागलपुर की महिलाएं, लोन और मार्केट की दरकार

Atmanirbhar Bharatभागलपुर की महिलाएं अपने घरेलु उत्पादों से अच्छा मुनाफा कमा रहीं हैं। हालांकि उन्होंने पूंजी और बाजार की मांग की है। सहायता समूह से जुड़ी महिलाएं अपने उत्पादों की बिक्री सीमित बाजार तक ही कर पा रहीं हैं।

By Dilip Kumar ShuklaEdited By: Published: Sun, 27 Jun 2021 04:24 PM (IST)Updated: Sun, 27 Jun 2021 04:24 PM (IST)
Atmanirbhar Bharat: आत्मनिर्भरता के पथ पर चल रहीं भागलपुर की महिलाएं, लोन और मार्केट की दरकार
आत्मनिर्भर भारत को साकार कर रहीं भागलपुर की महिलाएं।

जागरण संवाददाता, भागलपुर। केंद्र सरकार ने कोरोना काल में 'आत्मनिर्भर भारत (Atmanirbhar Bharat)' का नारा दिया, भागलपुर की महिलाएं इसे चरितार्थ कर रहीं हैं। दरअसल, गृहणियां पहले जहां घरों में खानपान के लिए पापड़, आचार और मसाले आदि तैयार करती थीं। वहीं, अब आत्मनिर्भर होने के संकल्प के साथ महिलाओं ने बाजार की ओर कदम बढ़ा दिए हैं। अब वे समूह के माध्यम से घरों में खानपान से संबंधित उत्पाद करने के साथ अब बाजार को भी उपलब्ध करा रही हैं। इस घरेलू उत्पादों को लोग भी खूब पसंद कर रहे हैं। पापड़, अचार, मुरब्बा, सत्तू, मखाना व बरी की बाजार में काफी मांग भी है।

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घरेलु उत्पादों में इन सामग्रियों को महिलाएं नाथनगर, तिलकामांझी व हड़िया पट्टी के राशन की दुकानों में उपलब्ध करा रही हैं। इससे आमदनी के साथ आर्थिक उत्थान भी हो रहा है। साथ ही 1200 से अधिक महिलाएं रोजगार की दिशा में आत्मनिर्भर हो रही हैं।

  • घरेलू उत्पाद के सहारे महिलाओं ने ढूंढी आत्मनिर्भरता की राह
  • पापड़, मुरब्बा, सत्तू, मखाना व बरी की बाजार में मांग, 1200 महिलाओं को मिला लाभ
  • समूह को प्रतिमाह से 20 से 30 हजार रुपये का मिल रहा लाभ, अधिक पूंजी की आस

महिलाओं ने कहा, 'मिले ऋण व बाजार' 

साहेबगंज में पापड़ तैयार करने वाली मक्का अजमेरी स्वयं सहायता समूह की अख्तरी ने बताया कि 50 से अधिक महिलाएं रोज पापड़ तैयार कर रही हैं। इसके बदले पारिश्रमिक भी मिल रहा है। चना, मूंग अरहर दाल से तैयार उत्पादों की मांग अधिक हैं। बड़े स्तर पर रोजगार करने के लिए बड़े स्तर पर पूंजी की आवश्यकता है।

नसरतखानी और मोहद्दीनगर में पापड़ तैयार किया जा रहा है। इससे महिला समूह प्रतिमाह 20 से 30 हजार रुपये की आमदनी कर रहा है। नरगा की दुर्गा स्वयं सहायता समूह व गणेश समूह खंजरपुर से जुड़ी महिलाएं सत्तू तैयार कर रही हैं। वे इसकी पैकिंग कर फुटपाथ व दुकानों में उपलब्ध करा रही हैं। वहीं, मोरब्बा तैयार करने वाली समूह के सदस्य सोनिया देवी ने कहा इसका मांग बढ़ी है। बाजार के जरुरत के अनुरूप उत्पाद तैयार करने के लिए पूंजी का अभाव है, जिससे बाजार के डिमांड को पूरा नहीं कर पा रहा है। जितना तैयार करते उतना बेच देते हैं। सरकार अगर पांच लाख तक पूंजी उपलब्ध करा दे तो राज्य और इससे बाहर भी रोजगार कर सकते हैं।

इन योजना से जुड़ी महिलाएं, मिल रहा लाभ

केंद्र सरकार द्वारा रोजगार को बढ़ावा देने को लेकर सरकार की पं. दीन दयाल उपाध्याय राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन से सहयोग मिल रहा है। सिटी समन्वयक अमरेंद्र कुमार व मृत्युंजय सिन्हा ने बताया कि शहर में 691 स्वयं सहायता समूह से 6500 महिलाएं जुड़ी हैं लेकिन वर्तमान में 550 के करीब समूह ही कार्यशील अवस्था में हैं।

इन समूहों को बैंक से करीब 50 हजार रुपये से एक लाख रुपये का ऋण उपलब्ध कराया गया है। इसके लिए पहले समूह बनाया। बाजार में उत्पादों को तैयार कर बेच रहीं है। इससे आर्थिक लाभ भी पहुंच रहा है। उत्पाद को लोकल बाजार से अन्य राज्यों में बिक्री के लिए पैकेटिंग और बाजार उपलब्ध कराने का भी प्रयास चल रहा है। इसका भी प्रशिक्षण दिया जाएगा।


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