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टीएमबीयू के पीएचडी धारक असिस्टेंट प्रोफेसर को सशर्त मिलेगा इंक्रीमेंट, जानिए क्या है प्रावधान

टीएमबीयू के असिस्टेंट प्रोफेसर को सशर्त इंक्रीमेंट का लाभ दिया जाएगा। इस लेकर उच्च शिक्षा विभाग बिहार की निदेशक रेखा कुमारी ने सभी विश्वविद्यालय के कुलसचिव को निर्देश जारी किया है। इसको लेकर विवि में गहमागहमी शुरू हो गई है।

By Abhishek KumarEdited By: Published: Sat, 06 Feb 2021 12:59 PM (IST)Updated: Sat, 06 Feb 2021 12:59 PM (IST)
टीएमबीयू के पीएचडी धारक असिस्टेंट प्रोफेसर को सशर्त मिलेगा इंक्रीमेंट, जानिए क्या है प्रावधान
टीएमबीयू के असिस्टेंट प्रोफेसर को सशर्त इंक्रीमेंट का लाभ दिया जाएगा।

 जागरण संवाददाता, भागलपुर। तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय (टीएमबीयू) समेत राज्य के अन्य विश्वविद्यालय में कार्यरत पीएचडी धारक शिक्षकों को सर्शत इंक्रीमेंट का लाभ मिलेगा। उन्हें विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के नए रेगुलेशन में कही गई पांच अर्हताओं को पूरा करना अनिवार्य होगा। तभी वे इंक्रीमेंट के लिए योग्य होंगे। इस लेकर उच्च शिक्षा विभाग, बिहार की निदेशक रेखा कुमारी ने सभी विश्वविद्यालय के कुलसचिव को निर्देश जारी किया है।

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शिक्षा निदेशक ने अपने निर्देश में कहा है कि इस संबंध में विभाग की तरफ से 15 मई 2018 को संकल्प जारी किया गया था। जिसमें इस बात का जिक्र था कि केंद्र सरकार द्वारा जारी छठे वेतन पुनरीक्षण के तहत नियुक्ति से पहले प्राप्त की गई पीएचडी की उपाधि पर एक सितंबर 2008 की तिथि से पांच इंक्रीमेंट का प्रावधान है। वहीं नियुक्ति के बाद सेवा में रहते हुए पीएचडी करने पर तीन इंक्रीमेंट का प्रावधान है। इस दौरान ही यूजीसी ने सात दिसंबर 2018 को एक पब्लिक नोटिस जारी किया।

जिसमें कहा गया है कि 11 जुलाई 2009 से पहले जो शिक्षक पीएचडी के लिए रजिस्टर्ड हो चुके हैं, या जिन शिक्षकों ने पीएचडी की उपाधि ले ली है, उन्हें प्रोत्साहन भत्ता के रूप में पांच शर्तों को पूरा करने के बाद इंक्रीमेंट मिलेगा। इस संबंध में शिक्षा विभाग ने यूजीसी से भी दिशा-निर्देश मांगा है। जवाब में यूजीसी ने कहा है कि इस मामले को शिकायत निवारण समिति में रखकर देखा जाएगा।

वहीं उच्च शिक्षा निदेशक के पत्र में कहा गया है कि संकल्प संख्या 908 में किसी तरह का बदलाव नहीं किया गया है। इसका पालन करना अनिवार्य है। विश्वविद्यालय इंक्रीमेंट का भुगतान करेंगे, लेकिन इसमें किसी तरह की गड़बड़ी नहीं होनी चाहिए। अन्यथा गड़बड़ी का जिम्मेवार विश्वविद्यालय होगा।

उच्च शिक्षा विभाग ने जो निर्देश जारी किया है। वे काफी सख्त हैं। शर्त से जुड़े नियमों को शिथिल करने की जरूरत है। इसमें प्रावधान किया जाना चाहिए जो भी शिक्षक पीएचडी कर चुके हैं, उन सभी को लाभ देना चाहिए। -डॉ. दयानंद राय, अध्यक्ष भुस्टा  


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