रंग महोत्सव : सिल्क सिटी की सड़कों पर उतरा लघु भारत, गदगद हुए शहरवासी Bhagalpur News
भागलपुर में लघु भारत का दृश्य उस समय दिखाई दिया जब कई राज्यों से आए कलाकरों ने सड़कों में अपनी पारंपरिक शैली में नृत्य किया। वाद्ययंत्र के मधुर तानों से सभी आनंदित हो उठे।
भागलपुर [जेएनएन]। रंग रामजन सांस्कृतिक मंच द्वारा आयोजित भागलपुर रंग महोत्सव के तीसरे दिन रंग जुलूस के बाद शाम के सत्र में छह नाटकों का मंचन हुआ। कार्यक्रम का उद्घाटन डीएम प्रणव कुमार ने दीप प्रज्वलित कर किया। डीएवी पब्लिक स्कूल की छात्रा अदिजाश्री द्वारा शास्त्रीय गुरु वंदना से कार्यक्रम आरंभ हुआ।
विश्वरूपम कला मंच वाराणसी द्वारा अख्तर अली लिखित व रविकांत मिश्रा निर्देशित नाटक मर्डर ऑफ गॉड का मंचन हुआ। प्रस्तुत नाटक में एक अदालत में हत्या का केस चलता है और बहस के दौरान ठेकेदारों को दोषी ठहराया जाता है।
वहीं, काली का डांस एंड म्यूजिक एकेडमी ओडिसा द्वारा चिंतामणि जैना लिखित व मोहन मोहंती निर्देशित शहीद रानी जीनत बेगम का मंचन हुआ। इसका मंचन उडिय़ा भाषा में किया गया। मूल रूप से यह नाटक इतिहास की घटना पर आधारित था। जिसमें रानी जीनत बेगम द्वारा अपनी मुल्क की आजादी के लिए अंग्रेजों के साथ संघर्ष को दिखाया गया। प्रस्तुत नाटक का सेटअप एवं वस्त्र विन्यास दर्शकों को खूब भाया।
अंग मंच ने कब्रिस्तान का किया मंचन
अंग नाट्य मंच बरियारपुर द्वारा सलाउद्दीन ताज लिखित व संजय कुमार निर्देशित कब्रिस्तान की ओपनिंग का मंचन हुआ। हास्य व्यंग शैली में इस नाटक ने दर्शकों से खूब तालियां बटोरीं। इस नाटक में दिखाया गया कि एक नया कब्रिस्तान बनता है और उसके ओपनिंग के लिए एमपी साहब को बुलाया गया है, लेकिन मुर्दे का इंतजाम नहीं हो सका है। मुर्दे के लिए कब्रिस्तान कमेटी के लोग इधर-उधर भटकते हैं। लेकिन, मुर्दा नहीं मिला। इसी ताना-बाना पर हंसते हंसाते इस नाटक का समापन हुआ। जिसमें अभय कुमार, संजय कुमार, शत्रुघ्न पासवान आदि ने सराहनीय भूमिका निभाई।
सैंया भए कोतवाल का यूपी के कलाकारों ने किया मंचन
अस्मिता नाट्य संस्थान मुगलसराय उत्तर प्रदेश द्वारा वसंत सबनीस लिखित व विजय गुप्ता निर्देशित सैंया भए कोतवाल का मंचन हुआ। इस नाटक में भाई भतीजावाद को हास्य शैली में दिखाया गया। पांचवा नाटक कटिहार स्कूल ऑफ ड्रामा द्वारा शिव मूर्ति की कहानी कसाईबाड़ा पर आधारित शनिचरी का मंचन हुआ।
जिसका रूपांतरण केशव प्रसाद सिंह ने किया एवं निर्देशन दीपक पाठक ने किया। इस नाटक में नारी के संघर्ष गाथा को बखूबी दिखाया गया। छठा और अंतिम नाटक गौतम संस्था उत्तर प्रदेश द्वारा अजय रोशन निर्देशित बेवफा कौन का मंचन किया गया।
इसके अलावा श्रेया सिंह द्वारा सेमी क्लासिकल डांस एवं याचना पब्लिक स्कूल लैलख द्वारा श्री कृष्ण लीला नृत्य नाटिका भी प्रस्तुत किए गए। इसके पूर्व सबेरे रंग जुलूस निकाला गया। जुलूस शहर के विभिन्न इलाकों से गुजरा। कलाकारों ने देशभक्ति की गजब मिसाल पेश की।
कलाकारों ने बिखेरा जलवा, जीता सिल्क सिटी का दिल
अपसंस्कृति के खिलाफ राष्ट्रीय एकता को समर्पित भागलपुर रंग महोत्सव के दूसरे दिन विविध राज्यों से आए कलाकारों ने अपनी प्रतिभा का जलवा बिखेरा। कार्यक्रम की शुरुआत सुबह साढ़े दस बजे से नुक्कड़ नाटक के साथ हुई। कलाकारों ने आदमपुर , मनिक सरकार, घंटाघर एवं कोतवाली चौक पर नुक्कड़ नाटक की आकर्षक प्रस्तुति देकर सबको मंत्रमुग्ध कर दिया। विभिन्न परिधानों में सजे इन कलाकारों की प्रतिभा देख सिल्क सिटी के लोग गदगद थे और तालियां बजा उनका उत्साह बढ़ा रहे थे।
दोपहर में दर्शकों ने लोक एवं शास्त्रीय नृत्य का आनंद उठाया और कलाकारों की प्रतिभा को सराहा। शाम में लोक नृत्य के साथ बांग्ला, ङ्क्षहदी और उडिय़ा भाषा में पांच नाटकों की मनमोहक प्रस्तुति हुई। सबसे पहले मनोज मित्रा लिखित व प्रदीप ठाकुर द्वारा निर्देशित बांग्ला नाटक हरि नो पार्टी का मंचन हुआ। दर्शकों ने कलाकार प्रदीप ठाकुर, ठाकुर शुचि दास एवं असंग दास गुप्ता अभिनय को खूब सराहा।
दूसरे नाटक में प्रबुद्ध फाउंडेशन इलाहाबाद के कलाकारों ने जीवन के रंग नाटक का मंचन कर सबका दिल जीत लिया और खूब तालियां बटोरीं। इस नाटक के माध्यम से कलाकारों ने दर्शकों को बताया कि शिक्षा जीवन का सबसे बड़ा हथियार है। अंधविश्वास में फंसने और उलझने से जीवन का रंग फीका हो जाता है। खुद की बुद्धि और विवेक से जीवन का रंग बदला जा सकता है। नाटक की एक पात्र गीता नाम की एक दलित परिवार की लड़की ने पति के शराबी होने के बाद भी सिलाई करके न सिर्फ परिवार को आर्थिक चक्रव्यूह से मुक्ति दिलाई बल्कि पूरे परिवार के जीवन का रंग ही बदल दी।
इसके उपरांत हास्य व्यंग पर आधारित नाटक चाणक्य का मंचन हुआ। चाणक्य की भूमिका निभा रहे हेमंत दास की बुद्धि कह बलिहारी का हर किसी ने तारीफ की। यह नाटक रविंद्र भारती कल्चरल एसोसिएशन अंगुल उड़ीसा द्वारा पेश किया गया था। जिसके लेखक शंकर त्रिपाठी थे।
चौथा नाटक सोनमोनी का मंचन किया गया। इसमें नारी के अंदर आत्मरक्षा के लिए पुरुषत्व का जागृत होने की कथा दर्शायी गई। जिसमें ब्रिटिश शासन के खिलाफ नारी की शौर्य शक्ति का जबरदस्त चित्रण किया गया था। दर्शक इस नाटक को देख गदगद हो गए। इस नाटक की प्रस्तुति रविंद्र नगर पश्चिम बंगाल के कलाकारों द्वारा किया गया था।
महोत्सव में अंतिम नाटक अंगना का मंचन किया गया है जिसका निर्देशन पूर्वांचल दासगुप्ता ने किया। जिसमें घर के अंदर के द्वंद्वात्मक विद्रोह को दिखाया गया है। जिसमें अजय चक्रवर्ती, पूर्वांचल दासगुप्ता, जयश्री चक्रवर्ती एवं इमली दास की भूमिका सराहनीय रही।
नाटक मंचन के अंतराल पर लोक नृत्य का भी प्रस्तुति हुई। इसमें काली का डांस एवं म्यूजिक एकाडमी उड़ीसा द्वारा संबलपुरी नृत्य एवं द लॉयन कल्चर सोसायटी मणिपुर द्वारा मणिपुरी लोक नृत्य की प्रस्तुति हुई। जिसका दर्शकों ने जमकर लुत्फ उठाया।
कार्यक्रम में डॉ. योगेन्द्र, दीपक कुमार कपिल देव, रानी तरूण घोष, उपेंद्र साह सङ्क्षहद्र प्रसाद साहू, जगत रामशरण पूरी सहित अन्य उपस्थित थे। इस कार्यक्रम का आयोजन कला केंद्र में रंगग्राम जन सांस्कृतिक मंच द्वारा किया जा रहा है।