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अररिया: मासूम से दुष्कर्म के दोषी को फांसी की सजा, 56 दिनों में आया अदालत का यह ऐतिहासिक फैसला

अररिया कोर्ट ने दुष्‍कर्म के दोषी को फांसी की सजा सुनाई है। अररिया के युवक मेजर ने दो माह पूर्व एक छह साल की बच्‍ची के साथ दुष्‍कर्म किया था। मात्र 56 दिनों में ही अदालत ने यह फैसला सुना दिया।

By Abhishek KumarEdited By: Published: Thu, 27 Jan 2022 02:24 PM (IST)Updated: Thu, 27 Jan 2022 02:24 PM (IST)
अररिया: मासूम से दुष्कर्म के दोषी को फांसी की सजा, 56 दिनों में आया अदालत का यह ऐतिहासिक फैसला
अररिया कोर्ट ने दुष्‍कर्म के दोषी को फांसी की सजा सुनाई है।

जागरण संवाददाता, अररिया।  एक अति संवेदनशील मामले में छह वर्षीया बच्ची के साथ दुष्कर्म करने वाले अभियुक्त मु. मेजर (48) को गुरुवार को फांसी की सजा सुना दी गई। यह फैसला पाक्सो कोर्ट के विशेष न्यायाधीश शशिकांत राय की अदालत ने दिया है। आरोप गठन के बाद अदालत ने छह दिनों में ही सुनवाई की प्रक्रिया पूरी करते हुए अभियुक्त को सजा दे दी। केस दर्ज होने के 56वें दिन पीडि़ता को न्याय मिल गया। इस सजा में पीडि़ता को 10 लाख रुपये की आर्थिक सहायता देने का भी निर्देश दिया गया है।

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पिछले साल एक दिसंबर को हुई घटना को लेकर अगले दिन दो दिसंबर को पीडि़ता की मां ने केस दर्ज कराया था। भरगामा थाना क्षेत्र स्थित एक गांव में बच्ची अपने घर के दरवाजे पर खेल रही थी। बीरनगर पश्चिम निवासी मु. मेजर ने उससे शौच जाने के लिए डिब्बे में पानी मांगा। पानी देने आई बच्ची का मुंह दबाकर मु. मेजर उसे खेत में ले गया और उसके साथ दुष्कर्म किया। बच्ची की हालत गंभीर हो गई और वह खेत में ही पड़ी रही। इधर, बच्ची की मां व दादा ने उसकी काफी खोजबीन की। रात में करीब 10 बजे लहूलुहान पीडि़ता किसी तरह घर पहुंची और मां को आपबीती सुनाई।

इस मामले में पीडि़ता, पीडि़ता की मां व दादा, चिकित्सक सीमा कुमारी व जांचकर्ता थानाध्यक्ष रीता कुमारी की गवाही स्पेशल पीपी श्यामलाल यादव के माध्यम से कोर्ट में कराई गई। शशिकांत राय की अदालत में गुरुवार को सजा बिंदु पर सुनवाई पूरी की गई। सभी सुबूतों व गवाहों के मद्देनजर कोर्ट ने मु. मेजर को जीवन समाप्ति तक फांसी पर लटकाने की सजा मुकर्रर की। साथ ही विक्टिम कंपन्सेशन फंड से पीडि़ता को 10 लाख रुपये की सहायता राशि देने को लेकर अररिया के डीएलएसए सचिव को निर्देश दिया है। साथ ही कोर्ट ने दुष्कर्मी को एसटी/एसटी अधिनियम में आजीवन सश्रम कैद की सजा सहित दस हजार रुपये का जुर्माना लगाया है। जुर्माना नहीं देने पर 10 दिनों के साधारण कारावास की सजा और भुगतनी होगी। सभी सजाएं साथ-साथ चलेंगी।


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