अब मोबाइल एप बताएगा कि आप अपने खेतों में कौन सी फसल लगाएं, जानिए Bhagalpur News
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंसी की मदद से डिजिटल पीओपी (पैकेज ऑफ प्रायक्टिस) तैयार किया जाएगा। विकसित मोबाइल एप किसानों को यह बताएगा कि उन्हें फसल में कितना पानी और कितनी उर्वरक डालनी है।
भागलपुर [ललन तिवारी]। बिहार कृषि विश्वविद्यालय (बीएयू) सबौर और वेस्टर्न सिडनी यूनिवर्सिटी, ऑस्ट्रेलिया के आपसी सहयोग से देश में पहली बार किसानों के लिए हाईटेक एप विकसित किया जा रहा है। इस एप के माध्यम से फसल संबंधी समस्याओं का समाधान किया जाएगा। इस एप से कई विशेषज्ञ भी जुड़े रहेंगे। ये किसानों की फसल को ऑनलाइन देखकर उसके बारे में जानकारी देंगे। अगले वर्ष एप लांच हो जाएगा। श्रीलंका, वियतनाम आदि देशों में ऐसा एप पर काम चल रहा है।
क्या करेगा एप : आर्टिफिशियल इंटेलिजेंसी की मदद से डिजिटल पीओपी (पैकेज ऑफ प्रायक्टिस ) तैयार किया जाएगा। विकसित मोबाइल एप किसानों को यह बताएगा कि उन्हें फसल में कितना पानी और कितनी उर्वरक डालनी है। कौन सी फसल लगानी है, मिट्टी में किस तत्व की कमी है, कीटों का प्रकोप और उनसे बचाव के अलावा एप मौसम के बारे में भी जानकारी देगा। एप किसानों को फसलों के बाजार के बारे में भी बताएगा।
20 जिलों से होगी शुरुआत : भागलपुर समेत पूर्वी बिहार, कोसी, सीमांचल आदि 20 जिलों के किसानों को एप से जोड़ा जाएगा। पिछले दिनों ऑस्ट्रेलिया से आए डॉ. अथुला गिन्नगे ने एप की कार्ययोजना को मूर्तरूप दिया था। बीएयू फसल से संबंधित जानकारी देगा, जबकि तकनीकी टीम इसे कम्प्यूटर में फीड करेगी।
परियोजना की मिली स्वीकृति : राष्ट्रीय कृषि विकास योजना रफ्तार से संचालित परियोजना के मुख्य अन्वेषक निवास राघवन कहते हैं कि विशिष्ट फसल कीट प्रबंधन, रोग निदान, मानव रहित हवाई वाहन और कृत्रिम बुद्धिमत्ता का उपयोग करते हुए प्रबंधन पर काम आरंभ हो गया है।
रिसर्च के लिए एक करोड़ 23 लाख स्वीकृत : प्रसार शिक्षा निदेशक डॉ. आरके सोहाने ने बताया कि प्रोजेक्ट के लिए सरकार ने एक करोड़ 23 लाख की राशि स्वीकृत की है। काम शुरू कर दिया गया है। नई से नई तकनीक ही किसानी में क्रांति ला सकती है। विश्वविद्यालय इसके लिए प्रयास कर रहा है।
विकसित होने वाला एप किसानों को उत्पादन से लेकर बाजार तक की जानकारी देगा। साथ ही फसलों से संबंधित सभी समस्याओं का इसके माध्यम से समाधान होगा। कृषि में डिजिटल तकनीक विकसित करना समय की मांग है। - डॉ. अजय कुमार सिंह, कुलपति, बीएयू, सबौर