भागलपुर-साहिबगंज-जमालपुर रेलखंड पर परिचालन बाधित कर रहा आवारा जानवर, लगातार हो रही घटनाएं
भागलपुर-साहिबगंज-जमालपुर रेलखंड पर लगातार घटनाएं हो रही है। आवारा पशुओं के ट्रैक के आगे आ जाने से परिचालन बाधित हो रही है। इस रेलखंड की रेल लाइनें लगभग 240 किलोमीटर की लंबाई में हैं। रेल अधिकारियों का कहना है कि पहले की...
जागरण संवाददाता, भागलपुर। साहिबगंज, भागलपुर और जमालपुर होकर राजधानी और जन शताब्दी एक्सप्रेस चलाने की तैयारी चल रही है। ट्रेनों की स्पीड 90 से बढ़ाकर 100 और 110 किलोमीटर प्रतिघंटा चलाने की योजना के तहत 140 व 145 किलोमीटर प्रतिघंटा की स्पीड से ट्रेंन चलकर ट्रैकों के क्षमता की जांच कराई गई। लेकिन मालदा मंडल के साहिबगंज-भागलपुर-जमालपुर-किऊल रेलखंड में चलनेवाली ट्रेनों के लिए छुट्टा जानवर मुसीबत बन रहे हैं।
ट्रेनों की स्पीड पर ब्रेक लगा रहे हैं। इस रेलखंड पर पिछले एक साल में 30-35 बार इसके कारण ट्रेनें रुकी है। जहां रेलवे ट्रेनों की गति बढ़ाने के लिए ट्रैकों की क्षमता बढ़ा रहा है पर यात्री संरक्षा के लिए चिंतित करने वाली घटनाएं 'रन ओवर' को लेकर रेलवे का संजीदा नहीं होना है। हर साल रेलवे ट्रैक पर मवेशियों के कारण न केवल रेल संरक्षा प्रभावित हो रही है, बल्कि उनकी जान भी जा रही है।
हालांकि मवेशियों के कारण बड़ा हादसा तो नहीं हुआ है, लेकिन संरक्षा की श्रेणी में इसे खतरनाक माना जा रहा है। इस रेलखंड पर विभिन्न स्टेशनों के पास अबतक दस से अधिक हादसे हुए, जिसमें बेजुबानों की जान जाने के साथ ट्रेनें प्रभावित हुई हैं। सितंबर 2021 से अबतक आधा दर्जन हादसे हो चुके हैं। दो दिन पहले शनिवार को भागलपुर और कहलगांव के बीच एकचारी स्टेशन के पास भैस मंगलवार को ही भागलपुर और कहलगांव के बीच कटकर इंजन में फंसने अप वर्धमान पैसेंजर दुर्घटनाग्रस्त होने से बाल-बाल बची थी।
इसकी वजह से भागलपुर-साहिबगंज रेलमार्ग पर एक घंटे परिचालन प्रभावित हुआ था। पिछले साल नवंबर में इसी रेलखंड पर ही भागलपुर और कहलगांव के बीच लैलख-ममलखा स्टेशन के पास भैंस कटकर इंजन में फंस गया था। जिससे डाउन वनांचल एक्सप्रेस दुर्घटनाग्रस्त होने से बाल-बाल बची थी। इसकी वजह से इस रेलखंड पर दो घंटे ट्रेनों का परिचालन प्रभावित हुआ। इससे पहले सितंबर में इसी स्टेशन के पास ही डाउन गया-हावड़ा एक्सप्रेस से भैंस कटकर इंजन में फंस गई थी।
जबकि सात अक्टूबर 2021 को जमालपुर-भागलपुर रेलमार्ग पर अकबरनगर और नाथनगर स्टेशनों के बीच मालगाड़ी की चपेट में आने से भैंस कट गई। भैंस के चपेट आने से खाली मालगाड़ी दुर्घटनाग्रस्त होने से बाल-बाल बची थी। इस घटना की वजह से एक घंटे तक इस रेलमार्ग पर परिचालन बाधित हुआ था। इससे पहले जमालपुर और सुल्तानगंज स्टेशन के बीच ट्रेन की चपेट में आने से मवेशी की मौत होने परिचालन प्रभावित हुआ था। इसके बावजूद छुट्टा जानवरों के प्रतिबंधित क्षेत्रों में भी रोक नहीं लगा पा रहा है। इसका अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि प्रतिबंधित क्षेत्र कोचिंग यार्ड परिसर में लोग अपने मवेशियों को चराते हैं। यार्ड परिसर में मवेशियों का चरना सुरक्षित ट्रेंन परिचालन और यात्रियों की सुरक्षा पर सवाल खड़े करते हैं।
सप्ताह समाप्त होते ही जागरूकता अभियान पर लग जाता है विराम हालांकि रेलवे की ओर से संरक्षा सप्ताह के दौरान सजगता बरतने के लिए जागरुकता अभियान चलाया जाता है। इस दौरान रेलवे क्रासिंग और घनी आबादी वाले इलाकों में पेंपलेट वितरित किए जाते हैं। लोगों से मवेशियों को लेकर रेलवे ट्रैक पर नहीं ले जाने की अपील भी करते हैं, लेकिन संरक्षा जागरुकता सप्ताह के समाप्त होते ही अभियान पर विराम लग जाता है। इसके बाद न कोई जागरुकता और ना ही कोई कार्रवाई की जाती है।
इसी का नतीजा है कि हर बार इस तरह के हादसे होते रहते हैं। इस रेलखंड की रेल लाइनें लगभग 240 किलोमीटर की लंबाई में हैं। रेल अधिकारियों का कहना है कि पहले की तुलना में हादसे घटे हैं। हालांकि फिर भी यह चिंता की बात है। यात्रियों की संरक्षा को लेकर यह आकड़ा भी डराने वाला है।
रेलवे बोर्ड के आदेश के बाद भी कई जगहों में खुले हैं ट्रैक
इधर, रेलवे बोर्ड ने आदेश जारी किया है कि रन ओवर जैसे हादसे रोकने के लिए और यात्रियों की संरक्षा के उद्देश्य से घनी आबादी वाले इलाकों में रेलवे ट्रैक किनारे चहारदीवारी बनाई जाए या जाली लगाई जाए, ताकि हादसे न हों। रेलवे बोर्ड के निर्देशानुसार न केवल भागलपुर रेलवे स्टेशन से लेकर सबौर और नाथनगर के बीच चहारदीवार बनाई गई है। लेकिन कई और जगह ट्रैक खुले हैं। पूर्व रेलवे के मालदा मंडल के किऊल-साहिबगंज-भागलपुर-जमालपुर रेलखंड पर पिछले एक साल में छुट्टा जानवरों के कारण कई बार ट्रेनें रुकी है।