...और डेढ दर्जन आर्म्स लाइसेंस हो सकते हैं रद, जानिए लाइसेंस रद होने का कारण
कटिहार जिले में में हाल के दिनों में मापदंडों की अनदेखी कर लाइसेंस दिए जाने का का एक सनसनीखेज मामला प्रकाश में आया है। डीएम ने इस मामले पर संज्ञान लेते हुए एक जांच कमेटी गठित की है। अब तक तीन लाइसेंस रद हो चुके हैं। डेढ दर्जन रद होंगे।
जागरण संवाददाता, कटिहार । फर्जी पते पर दूसरे जिले के लोगों को स्थानीय स्तर से आम्र्स लाइसेंस निर्गत किए जाने के मामले में अब बैक टू पैवेलियन वाली स्थिति हो रही है। मापदंडों की अनदेखी कर लाइसेंस निर्गत किए जाने के मामले के तूल पकडऩे के बाद जिलाधिकारी की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय जांच टीम का गठन किया गया। जांच टीम में पुलिस अधीक्षक विकास कुमार एवं शस्त्र दंडाधिकारी को शामिल किया गया है।
फर्जी पते पर जारी किया गया है आर्म्स लाइसेंस
बताते चलें कि तीन दिन पूर्व जिलाधिकारी ने पूर्णिया के स्थाई निवासी के नाम जारी लाइसेंस को रद किए जाने का आदेश दिया था। बताया जा रहा है कि फर्जी पते पर निर्गत डेढ़ दर्जन आम्र्स लाइसेंस को रद किया जा सकता है। अब तक तीन लाइसेंस रद भी किए जा चुके हैं। आर्म्स लाइसेंस का मामला सुर्खियों में आने के बाद अब स्थानीय निवासी आवेदक को ही लाइसेंस निर्गत किया जाएगा। दूसरे जिले के स्थाई निवासी एवं संबंधित जिले में व्यवसाय होने का उल्लेख किए जाने पर उसी जिले के जिलाधिकारी के यहां आम्र्स लाइसेंस के लिए आवेदन किया जा सकेगा।
अस्थायी पते पर निर्गत लाइसेंस की हो रही जांच
डीएम की अध्यक्षता में गठित समिति द्वारा अस्थाई पते पर निर्गत किए गए लाइसेंस की गहन पड़ताल की जा रही है। समीक्षा पूरी होने के बाद कार्रवाई की गाज कुछ और थानाध्यक्ष व पुलिस पदाधिकारी पर गिर सकती है। अब तक इस मामले में सहायक थाना के थानाध्यक्ष राजेश कुमार को लाइन हाजिर किया जा चुका है। नियम के मुताबिक आर्म्स लाइसेंस के लिए आवेदक के पते का सत्यापन कर 30 दिनों के अंदर प्रतिवेदन अग्रसारित करना होता है। थानास्तर से सत्यापन के बाद पुलिस अधीक्षक के माध्यम से आवेदन को जिलाधिकारी को भेजा जाता है।
आर्म्स लाइसेंस के लिए लंबित है सात सौ आवेदन
60 दिनों के भीतर जिलाधिकारी को या तो लाइसेंस की स्वीकृति देनी होती है अथवा निरस्त करना होता है। आवेदन निरस्त करने की स्थिति में जिलाधिकारी को इसका कारण भी बताना होता है। बताया जा रहा है कि आम्र्स लाइसेंस के लिए करीब 700 आवेदन अब भी लंबित हॅ। इनमें भी कई अस्थाई फर्जी पते के आवेदक भी हो सकते हैं। अस्थाई पते के आवेदन को निरस्त कर अपने जिले मे अनुज्ञप्ति के लिए आवेदन करने को कहा जाएगा। जानकारी के मुताबिक फर्जी पते के सत्यापन के लिए कुछ ने तो अपना नाम वोटर लिस्ट तक में अंकित करा लिया था।
पुलिस महानिरीक्षक को दिए आवेदन से फर्जी पते का हुआ पर्दाफाश
फर्जी पते का खुलासा तब हुआ जब आफिसर्स कॉलोनी निवासी एक चिकित्स्क ने उनके घर के पते पर कुछ लोगों का लाइसेंस के लिए फर्जी तरीके से सत्यापन करने को लेकर पुलिस महानिरीक्षक को आवेदन दिया। बता दें कि अब तक जिन तीन लोगों के लाइसेंस रद हुए हैं, उनमें पूर्णिया निवासी मिंटू कुमार, मुकेश जयसवाल व आलोक कुमार के नाम शामिल हैं।