तारापुर विधानसभा: RJD का मास्टर स्ट्रोक हुआ फेल, अगड़ी जाति JDU के साथ, कांग्रेस और चिराग नहीं कर सके कुछ खास
बिहार के तारापुर विधानसभा में हुए उपचुनाव का रिजल्ट आए 14 दिन हो गए लेकिन जीत हार की समीक्षा यहां जारी है। जदयू को अगड़ी जाति का साथ मिल गया है। विपक्षी दल राजद का इस चुनाव में मास्टर माइंड फेल हो गया है।
आनलाइन डेस्क, भागलपुर। बिहार विधानसभा उपचुनाव 2021 में शहीदों की धरती तारापुर में चुनाव हुए और उसका परिणाम भी आ चुका है। रिजल्ट आए आज 14 दिन हो चुके हैं लेकिन जीत हार की समीक्षा एनडीए और विपक्षी दल राजद के कार्यकर्ताओं में अभी भी जारी है। कशमकश ऐसी है कि रिजल्ट पर जोरों पर गुणा-जोड़ घटाव का गणित चल रहा है।
किसने किसको धोखा दिया, कौन दल में रहकर भीतरघात कर बैठा, इसपर मंथन तो जारी ही है। साथ-ही साथ जातिगत समीकरण पर भी मंथन चल रहा है कि किस जाति ने किसे अपना वोट दे दिया? चर्चाओं का ये दौर हर रोज जारी है। चर्चा ऐसी भी है कि इस उपचुनाव में तारापुर की धरती पर जदयू का गढ़ अगड़ी जातियों ने बचाए रखा।
चर्चा है कि इस क्षेत्र में जदयू से जहां पहले शकुनी चौधरी, पार्वती देवी, नीता चौधरी, मेवालाल चौधरी विधायक को जीत जरूर मिली थी लेकिन अगड़ी जाति के मतों का महत्व कभी यहां पार्टी ने समझा नहीं। यही कारण रहा कि न तो अगड़ी जाति के नेताओं को सम्मान मिला और न ही कार्यकर्ताओं को। चर्चा के दौर पर ये भी बात सामने आती है कि इसी के चलते अगड़ी जाति बाहुल्य गांवो का समुचित विकास भी नहीं हो पाया।
राजद ने लगाया मास्टर माइंड लेकिन
राजद ने वैश्य जाति से आने वाले अरुण साह को मैदान में इसलिए उतारा की एमवाई समीकरण के साथ-साथ वैश्य मत शामिल होकर जदयू का गढ़ जीत लेंगे। ऐसा हुआ भी, रिजल्ट वाले दिन शुरूआती कई राउंड की गिनती में पार्टी लीड लेती रही। वोटों की गिनती के दौरान ऐसा देखा गया कि वैश्यों का थोक मत अपनी परंपरागत भाजपा पार्टी से अलग हटकर अपनी जाति के उम्मीदवार के पक्ष में गया। लेकिन उसी अगड़ी जातियों ने भी जदयू प्रत्याशी के पक्ष में विगत चुनावों की भांति इस चुनाव में अपनी पूरी ताकत झोंक दी और काफी बढ़-चढ़कर मतदान किया।
अन्य पार्टियों की बात करें तो कांग्रेस ने अगड़ी जाति से ब्राह्मण उम्मीदवार राजेश कुमार मिश्रा को, तो लोजपा ने चंदन कुमार सिंह राजपूत को मैदान में उतारा। लेकिन यहां अगड़ी जातियों के मत विभाजित नहीं हो सके। अगड़ी जातियों के मत को एकत्रित रखने के लिए जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुंगेर सांसद ललन सिंह स्वयं अपनी भूमिहार जाति पर कमान कसे रहे।
वहीं भारत सरकार हाउसिंग कोऑपरेटिव सोसाइटी बोर्ड के अध्यक्ष विजय कुमार सिंह अपनी राजपूत जाति पर पकड़ बनाए हुए थे, तो वहीं सूबे के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पाण्डेय, भवन निर्माण मंत्री अशोक कुमार चौधरी एवं हाउसिंग कोऑपरेटिव फाइनेंस बोर्ड के चेयरमैन विजय कुमार सिंह के दिशा निर्देश पर यहां के एक पूर्व जिला पार्षद जो ब्राह्मण जाति से आते हैं, वो ब्राह्मणों के बिखराव को एकत्रित करते रहे। जिसका परिणाम एनडीए को मिला।
हालांकि, भीतरघात वालों की कमी नहीं रही। चाहे वो एनडीए हो या सबसे बड़ी पार्टी के रूप में चुनावी मैदान में उतरी राजद। कुल मिलाकर, तारापुर ने ये बात साबित कर दी कि यहां अगड़ी जाति का बोलबाला है।