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Amazing Story: बनैली स्टेट की राजधानी चंपानगर की कहानी, क्‍यों चर्चा में रहती थीं यहां की रानी

बनैली स्टेट की राजधानी चंपानगर से जुड़ी हैं कई अद्भुत कहानियां। रानी भी यहां की हमेशा चर्चा में रहती थीं। उनकी ख्‍याति काफी फैली हुई है। सरकारी दस्तावेज में अब बनैली ही दर्ज है नाम मगर। चंपानगर में ही स्थापित हुआ था पूर्णिया का पहला डाकघर।

By Dilip Kumar ShuklaEdited By: Published: Sun, 06 Feb 2022 04:37 PM (IST)Updated: Sun, 06 Feb 2022 04:37 PM (IST)
Amazing Story: बनैली स्टेट की राजधानी चंपानगर की कहानी, क्‍यों चर्चा में रहती थीं यहां की रानी
चंपानगर ड्योढ़ी का मुख्य द्वार, जिसकी आज भी चर्चा होती है।

प्रकाश वत्स, पूर्णिया। कभी बनैली स्टेट की राजधानी चंपानगर अब बड़ा बाजार बन चुका है। स्टेट की व्यवस्था कल की बात हो गई है, लेकिन राजमहल की रौनक बरकरार है। स्टेट की वर्तमान पीढ़ी के लोग अब भी इसमें रह रहे हैं। लोग दूर-दूर से आज भी इस ड्योढ़ी को देखने आते हैं। एनएच 107 पर अवस्थित केनगर चौक से उत्तर की ओर निकलने वाली चमचमाती सड़क जो अररिया जिले के रानीगंज में एस एच 77 में जाकर मिलती है, इसी पथ पर यह खूबसूरत कस्बा अवस्थित है। चंपानगर का नाम अब भी सरकारी दस्तावेज में बनैली ही है।

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पूर्णिया जिले का पहला बनैली डाकघर अब भी इसका गवाह बना हुआ है। चंपानगर इसी स्टेट की एक रानी की दिलचस्प कहानी भी है। लगभग हजार से अधिक व्यवसायिक प्रतिष्ठान वाले चंपानगर को ड्योढ़ी की मां दुर्गा मंदिर ने अलग प्रसिद्धि दी है। महज सात साल पूर्व तक मां के विसर्जन यात्रा में हाथी व घोड़े साथ होते थे। पूर्व में राजा हाथी पर सवार होकर विसर्जन यात्रा में भाग लेते थे।

निसंतान थी रानी चंपावती, राजा लीलानंद सिंह को मान ली थी पुत्र

इस राज परिवार के विनोदानंद सिंह बताते हैं कि उनके परदादा राजा लीलानंद सिंह की मां बचपन में गुजर गई थी। इधर उनकी चाची रानी चंपावती को कोई संतान नहीं था। इस स्थिति में रानी चंपावती ने राजा लीलानंद सिंह को ही अपना पुत्र मान उनका लालन-पालन किया। राजा लीलानंद सिंह भी चंपावती को अपनी मां की तरह मानते थे।

उन्होंने इस परिक्षेत्र का नामांकरण अपनी मां चंपावती के नाम पर चंपानगर कर दिया। इधर स्टेट के नाम से यह स्थान बनैली के रुप में सरकारी दस्तावेज में दर्ज हो चुका था, लेकिन इसे प्रसिद्धि चंपानगर के रुप में मिल चुकी थी। ड्योढ़ी होने के कारण यहां वर्तमान पूर्णिया जिले का पहला डाकघर भी सन 1869 में बनैली के नाम से खुल चुका था।

राजा कृत्यानंद सिंह के नाम पर है केनगर प्रखंड का नाम

चंपानगर मूल रुप से कृत्यानंदनगर (केनगर) प्रखंड का ही हिस्सा है। यद्यपि वर्तमान में चंपानगर बाजार की दृष्टि से केनगर से काफी आगे निकल चुका है। केनगर व चंपानगर में महज पांच किलोमीटर का फासला है। केनगर भी इसी स्टेट के राजा कृत्यानंद सिंह के नाम पर है। राजा कृत्यानंद स‍िंह के नाम से ही सन 1920 में पूर्णिया-सहरसा रेल पथ पर कृत्यानंद स्टेशन का भी निर्माण हुआ था। आज भी यह स्टेशन है और और इस रुट की सभी ट्रेनों का ठहराव भी इस स्टेशन पर है।


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