Amazing story of MUKHIYA: जमुई के एक मुखिया जी बन गए डाक्टर, बोले-नहीं रहने देंगे किसी को भी बीमार
जमुई के महादेव सिमरिया पंचायत से मुखिया विनोद यादव लोगों की सेवा में लगे हैं। समाजसेवा के साथ-साथ उनका संकल्प है कि वे ग्रामीणों की सेवा करते रहें। इस कारण उन्होंने किसी को भी बीमार नहीं होने देने की ठान ली है।
विधु शेखर, सिकंदरा (जमुई)। समाज में कुछ कर गुजरने की चाहत हो तो मन की चंचलता बाधक नहीं बनती। कुछ इसी तरह की कहानी लोगों की जुबानी बनी है। दरअसल, महादेव सिमरिया पंचायत से नवनिर्वाचित मुखिया विनोद यादव समाजसेवा के साथ-साथ स्वास्थ्य सेवा का मन में संकल्प लेकर ग्रामीणों की सेवा में दिन रात लगे रहते हैं। पिछले दस वर्षों से ये एक ग्रामीण चिकित्सक के रूप में ग्रामीणों के बीच स्वास्थ्य सेवा दे रहे थे। हालांकि स्वास्थ्य सेवा में ग्रामीणों के बीच इनकी अच्छी छवि ने इन्हें मुखिया बना दिया। मुखिया बनने के बाद भी वह स्वास्थ्य सेवा से अपने आप को अलग नहीं किया बल्कि समाजसेवा के साथ स्वास्थ्य सेवा में बढ़-चढ़कर योगदान देना भी इनकी दिनचर्या में शामिल हो गया। मन में सेवा की भावना को समेटे विनोद जीत दर्ज करने के बाद आज भी बीमार पडऩे पर ग्रामीणों के घरों पर दस्तक देने में पीछे नहीं हट रहे हैं।
नि:स्वार्थ भाव से लोगों की स्वास्थ्य सेवा में पहुंच जाते हैं। पंचायत चुनाव जीतने के बाद सेवा भाव रखने वाले पंचायत प्रतिनिधियों की कई कहानियां जेहन में उभरने लगती है। वहीं बदलते वक्त के साथ आज के दौर में मुखिया जी की ठसक के बीच कई रंग-ढंग देखने को मिलते हैं। शान-शौकत भी देखते ही बनती है, पर कई ऐसे पंचायत प्रतिनिधि हुए हैं, जो अपनी ठसक व शान-शौकत दिखाने से दूर सादगी भरा जीवन बिताना लाजिमी समझते हैं। ऐसे प्रतिनिधि आज भी अपना ज्यादातर समय समाज सेवा में व्यतीत कर रहे हैं। इन्हीं कहानियों में से एक महादेव सिमरिया के नवनिर्वाचित मुखिया विनोद यादव शामिल हैं।
ग्रामीण चिकित्सक से मुखिया बनने तक सफर
ग्रामीण चिकित्सक से मुखिया बने विनोद यादव का सफर काफी रोचक है। मुखिया बनने के बाद भी ग्रामीणों की सेवा में तल्लीन विनोद यादव बताते हैं कि वे स्नातक की पढ़ाई पूरी करने के बाद मन में स्वास्थ्य सेवा का संकल्प लेकर वर्ष 2000 में वे पटना के मखिनयां कुआं स्थित कुमार नरसिंग होम में बतौर कंपाउंडर के रूप में चार सालों तक कार्य किया। वहीं वर्ष 2005 में ग्रामीणों के बीच स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने को लेकर महादेव सिमरिया में दवा की छोटी सी दुकान खोलकर ग्रामीण चिकित्सक के रूप में लोगों की सेवा भाव में जुट गए। कुछ वर्ष बाद समाजसेवक के रूप में मुखिया बनने की चाहत भी इनके जेहन में दौडऩे लगी। इसी बीच वर्ष 2016 के पंचायत चुनाव में महादेव सिमरिया से वे मुखिया पद के चुनाव में खड़े हो गए। हालांकि पहली दफा चुनाव का अनुभव नहीं होने कारण वे चुनाव हार गए। परंतु वे ग्रामीणों की स्वास्थ्य सेवा में दिन रात लगे रहे। नतीजा यह हुआ कि इस बार हुए पंचायत चुनाव में जीत हासिल कर डाक्टर से मुखिया बन गए। इनका कहना है कि गरीबों, असहायों की मदद को लेकर मुफ्त स्वास्थ्य सेवा देते रहेगें। साथ अपने पंचायत में स्वास्थ्य के साथ-साथ शिक्षा से जूझ रहे लोगों की पूर्ण रूप से सेवा करेगें।
शान-शौकत नहीं, समाजसेवा में दिलचस्पी
ग्रामीण बताते हैं कि आज के समय में जब मुखिया का रंग और अब कुछ और ही होता है। ऐसे में विनोद यादव ने मुखिया बनने के पूर्व में बनने के बाद भी कोई ज्यादा चकाचौंध नहीं दिखाई है। सादगी भरा जीवन बिताते रहे। गांव के बुजुर्ग कहते हैं कि आज के समय में लोग मुखिया दो चीजों के लिए बनते हैं, एक प्रसिद्धि पाने के लिए और दूसरा पैसे कमाने के लिए। लेकिन विनोद की चाहत हमेशा समाजसेवा की रही है। सेवा भावना व कर्तव्यनिष्ठता के कारण उनकी हर ओर पहचान बन गई है। इसी पहचान और अच्छी छवि के कारण आज वे मखिया बने हैं।