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Amazing Story: जब मजिस्ट्रेट ने चोरी के आरोपितों को माफ कर दे दिया गेंद और बल्ला

Amazing Story अनजाने में चोरी की रिम बेचने के मामले में किशोर न्याय परिषद में हुई थी सुनवाई। महज दो दिनों में हुआ था मामले का निष्पादन मजिस्ट्रेट ने सुनाई कहानी। इसकी चर्चा हर जगह हो रही है। दोनों आरोपी क्रिकेट खेलना चाहता था।

By Dilip Kumar ShuklaEdited By: Published: Wed, 19 Jan 2022 09:32 PM (IST)Updated: Wed, 19 Jan 2022 09:32 PM (IST)
Amazing Story: जब मजिस्ट्रेट ने चोरी के आरोपितों को माफ कर दे दिया गेंद और बल्ला
सुपौल में मजिस्ट्रेट ने दो आरोपितों को दिया गेंद बल्‍ला।

जागरण संवाददाता, सुपौल। किशोर न्याय परिषद के प्रधान मजिस्ट्रेट के स्थानांतरण पर आयोजित विदाई समारोह में उनका एक पुराना फैसला फिर से ताजा हो उठा। तब उन्होंने एक अहम फैसले में विधि विवादित दो किशोरों को काउंसेलिंग के बाद गेंद और बल्ला खरीदकर दिया था। फैसला इस लिहाज से महत्वपूर्ण है, क्योंकि दोनों किशोरों को न्याय पाने के लिए अधिक दिनों का इंतजार नहीं करना पड़ा। महज दो दिनों में मामले का निष्पादन कर लिया गया।

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दोनों किशोरों को किशोर न्याय परिषद के प्रधान मजिस्ट्रेट विवेक कुमार मिश्रा व सदस्य भगवान पाठक समेत अन्य सदस्यों के समक्ष उपस्थित किया गया। पूछताछ में पता चला कि आठवीं कक्षा के दोनों छात्र क्रिकेट खेलने गए थे। यहां इन्हें एक जीप की टूटी हुई रिम मिली। इसे दोनों ने 300 रुपये में कबाड़ी को बेच दिया।

दोनों ने बताया कि उन्हें यह बात मालूम नहीं थी कि रिम चोरी की थी। किशोरों को सुनने के बाद परिषद द्वारा इनकी काउंसेल‍िंंग करवाई गई। यह पाया गया कि बच्चों द्वारा किया गया यह अपराध उनका बचपना है। इसके बाद प्रधान मजिस्ट्रेट विवेक कुमार मिश्रा ने किशोरों के सर्वोत्तम हित का ध्यान रखते हुए उन्हें उनके स्वजनों को सौंप दिया। परिषद द्वारा दोनों बच्चों को क्रिकेट खेलने के लिए बल्ला और गेंद भी दी गई।

चर्चा में रहा यह फैसला

प्रधान मजिस्ट्रेट विवेक कुमार मिश्रा ने कहा कि निर्णय सुनाने के पूर्व सभी बिंंदुओं पर विचार करने की जरुरत है। कभी-कभी नासमझी में भी अपराध होता है। इसलिए सही न्‍याय उसे ही माना जाता है जो समस्‍त बिंदुओं पर चर्चा के बाद सुनाया जाता है। इस बीच उनके विदाई के दौरान भी उनके इस निर्णय की सराहना की गई। कहा कि बच्‍चों की भावनाओं को समझने की जरुरत है। बच्‍चों से अगर कोई गुनाह हो गई हो तो उसे सुधारने का मौका दिया जाए। तभी वह सभ्‍य नागरिक बनेगा। कठोर सजा दे देने से बच्‍चे और गुनाह के रास्‍ते पर चले जाते हैं।  


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