एटीएस की जाल में फंसा एके-47 लाने वाला कैरियर
सेंट्रल आर्डिनेंस डिपो जबलपुर से गायब किए गए एके-47 की खेप लोक मान्य तिलक एक्सप्रेस से भागलपुर उतारने वाले दो वेंडरों के एटीएस की जाल में फंस जाने की चर्चा है।
भागलपुर [कौशल किशोर मिश्र]। सेंट्रल आर्डिनेंस डिपो जबलपुर से गायब किए गए एके-47 की खेप लोक मान्य तिलक एक्सप्रेस से भागलपुर उतारने वाले दो वेंडरों के एटीएस की जाल में फंस जाने की चर्चा है। कहा जा रहा है कि दोनों को एटीएस की टीम उठा कर अज्ञात स्थान पर पूछताछ कर रही है। दोनों के तार एके-47 आपूर्ति करने वाले गिरोह से हैं। सीओडी जबलपुर से गायब किए गए एके-47 की आपूर्ति करने वाले तस्कर इन्हीं दो वेंडरों के सहारे भागलपुर तक माल पहले भागलपुर लाते थे फिर यहां से सड़क मार्ग से मुंगेर ले जाया जाता था। भागलपुर से एंबुलेंस के जरिए तस्कर आसानी से हथियार अपने ठिकाने तक लेकर चले जाते थे। कहा जा रहा है कि दोनों वेंडर के जरिए 70 एके-47 मुंगेर मंगाई जा चुकी है। जहां से नक्सलियों को आपूर्ति की गई है। एके-47 की आपूर्ति को लेकर दोनों वेंडरों से की गई पूछताछ में जो चौंकाने वाली जानकारियां मिली है, उस आधार पर एटीएस और स्थानीय पुलिस उस नेटवर्क को खंगालने में लगी है जिसके जरिए नक्सलियों तक हथियार पहुंचे हैं। अत्याधुनिक हथियारों की आपूर्ति करने वाले नेटवर्क को ध्वस्त करने की दिशा में एटीएस सक्रिय हो गई है। अंडरवर्ल्ड को आपरेट करने वाले सफेदपोशों पर भी एटीएस की नजर
पूर्णिया, भागलपुर, नवगछिया, खगड़िया, सहरसा, मुंगेर, लखीसराय, मोकामा, बेगूसराय, मुजफ्फरपुर, सिवान आदि जिलों के अलावा राजधानी के अंडरवर्ल्ड को आपरेट करने वाले सफेदपोशों पर एटीएस नजर रख रही है। बड़े पैमाने पर अत्याधुनिक एके-47 की खेप बिहार के कई जिलों में आपूर्ति कराए जाने का खुलासा होने पर एटीएस ऐसे सफेदपोश पर नजर रखने लगी है। पुलिस मुख्यालय इस बात को लेकर गंभीर है कि अब यदि आपराधिक गिरोहों के बीच का गैंगवार सामने आता है तो उसकी तस्वीर इन अत्याधुनिक हथियारों की मौजूदगी से काफी भयावह हो सकती है। कहा जा रहा है कि तस्करी कर लाए गए एके-47 की बरामदगी के लिए चलाया जाने वाला अभियान सौ प्रतिशत बरामदगी तक चलेगा।
रूसी एके-47 के मुकाबले सस्ता है लोकल मेड
घातक एके-47 इजाद करने वाले रूसी इंजीनियर एलेन क्लाश्निकोव ने कभी सोचा भी नहीं होगा कि उनका इजाद किया गया हथियार इतना घातक होगा कि उसकी डिमांड दुनियां के अन्य देशों में भी इस तरह होगा। ऐसी चर्चा है कि रूस में बनी एके-47 की कीमत तस्करों की ओर से अपराधियों के ठिकानों तक पहुंचा कर 12 लाख रुपये हो जाती है जबकि उसके मुकाबले लोकल मेड एके-47 तीन से पांच लाख की कीमत में आ जाती है। जिससे गिरोह को आपरेट कर ठेकेदारी, प्रापर्टी खरीद बिक्री, रंगदारी, अपहरण, संगठित अपराध कराने और वर्चस्व बढ़ाने में लगे सफेदपोशों का काम आसान हो जाता है। विभागीय सूत्रों की माने तो अत्याधुनिक एके-47 की मौजूदगी सूबे के कई जिलों में पूर्व से हैं। जब पुरुलिया में ऐसे अत्याधुनिक हथियार वर्षो पूर्व हवाई मार्ग से गिराए गए थे। जिनमें मोतिहारी, बेतिया, गोपालगंज, चंपारण, सिवान, मोकामा, बड़हिया, किशनगंज, फारिबसगंज, जोगबनी आदि जिले शामिल हैं। इन इलाकों में कभी सतीश पांडेय, देवेंद्र दुबे, शहाबउद्दीन, बृज बिहारी, सूरज दा, छोटे सरकार, राजन तिवारी, नागा सिंह, नाटा सिंह, ललन सिंह, भुटकुन शुक्ला, छोटन शुक्ला, मुन्ना शुक्ला, दीपक सिंह, मुकेश-विकास, अमरेश सिंह, जाकिर, पप्पू, रणवीर, भरत, जैसे बाहुबलियों का दौर था। ऐसे घातक हथियारों की आपूर्ति हाल के महीनों में पूर्णिया, नवगछिया, खगड़िया, सहरसा, बेगूसराय, भागलपुर, कहलगांव, बांका में भी हुई है। जिससे अपराध बढ़ने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता। कहा जा रहा है कि एटीएस इसका खुलासा स्थानीय पुलिस के सहयोग से शीघ्र कर सकती है।