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अजब-गजब: "यूरिया लेनी है तो मच्‍छरदानी भी खरीदनी होगी", पूर्णिया के खाद दुकादारों की शर्त जान कर आप भी रह जाएंगे दंग

Ajab-Gajab बिहार में इन दिनों किसान यूरिया की किल्‍लत से परेशान हैं। जिन दुकादारों के पास यूरिया उपलब्‍ध है वे किसानों से ज्‍यादा कीमत ले रहे हैं। ऐसे में अधिकारियों की सख्‍ती के बाद खाद दुकानदारों ने कालाबाजारी के लिए अजब-गजब...

By Abhishek KumarEdited By: Published: Sun, 23 Jan 2022 12:41 PM (IST)Updated: Sun, 23 Jan 2022 12:41 PM (IST)
अजब-गजब: "यूरिया लेनी है तो मच्‍छरदानी भी खरीदनी होगी", पूर्णिया के खाद दुकादारों की शर्त जान कर आप भी रह जाएंगे दंग
Ajab-Gajab: पूर्णिया में खाद के साथ मिले मच्‍छरदानी को दिखाते किसान।

पूर्णिया [प्रकाश वत्स]। Ajab-Gajab:पूर्णिया-धमदाहा एस एच पर जिला मुख्यालय से ठीक बीसवें किलोमीटर पर मीरंगज चौक है। इसी चौक से उत्तर व दक्षिण एसएच 77 गुजरती है। उत्तर की ओर बढ़ने पर तीन किलोमीटर पर दमैली चौक व आगे चंपावती चौक है। चंपावती चौक पर एक खाद दुकान के आगे लंबी कतार लगी थी। कोई बाइक तो कोई साइकिल लिए अपनी बारी के इंतजार में था। सड़क किनारे कुछ आटो व टोटो के साथ एक दो टैक्टर भी लगा था। पता चला सभी लोग यूरिया लेने यहां जमा हुए हैं।

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कई लोगों ने बताया कि वे चार दिनों से दौड़ रहे हैं लेकिन यूरिया नहीं मिला है। गेहूं में पटवन हो गया है और यूरिया बिना अब खेत सूखने लगा है। उसी भीड़ से आगे एक व्यक्ति साइकिल पर एक बोरा यूरिया लिए जंग जीतने के अंदाज में बढ़ा जा रहा था। साइकिल की हेंडिल पर एक झोला भी लटक रहा था। बातचीत में पता चला साइकिल वाला व्यक्ति किशोर यादव बगल के ही चिकनी गांव का रहने वाला है। वह पारममणि से खाद लेकर आ रहा था। खाद के बाबत किशोर का जवाब चौकाने वाला रहा। किशोर ने अपनी भाषा में बस इतना कहा- मत पूछो, एक बोरा यूरिया पर एक मच्छरदानी भी लैल पड़लय...।

बात अटपटा लगा...। मगर साथ चल रहे कई व्प्यक्ति ने किशोर का समर्थन किया। दरअसल यूरिया की कालाबाजारी व इसके सहारे किसानों के दोहन की कई कहानी चौकाने वाली है। दमैली-चंपावती का यह इलाका मक्का व गेहूं उत्पादन में अव्वल स्थान रखता है। फिलहाल इस पूरे इलाके में यूरिया की काफी किल्लत है। जिन दुकानदारों के पास यूरिया है, वे अपनी शर्त व तय कीमत पर किसानों को यूरिया दे रहे हैं। इसी में पारसमणि के एक दुकानदार ने यह शर्त रख दी है कि अगर किसी को दो बोरा यूरिया लेना है तो तीन सौ रुपये का एक मवेशी के उपयोग वाला मच्छरदानी भी उन्हें खरीदना पड़ेगा।

मच्छरदानी लेने पर साढ़े तीन सौ बैग के हिसाब से वे यूरिया देंगे। मरता क्या नहीं करता की तर्ज पर किसान उनकी बात को मानने को विवश हैं। इसी तरह चंपावती में दुकानदार ने यूरिया तभी देने की बात कहते हैं जब यूरिया के साथ कोई कीटनाशक या फिर अन्य खाद वे लेंगे। इस शर्त पर भी खाद खरीदनी पड़ रही है। यही हाल मीरगंज, सरसी व स्थानीय अन्य बाजारों में भी है। चंपावती के श्रीधर यादव कहते हैं कि इस बार यूरिया के लिए जिस तरह चक्कर लगाना पड़ा है, शायद ताउब्र इसे भूल नहीं पाएंगे।

कार्रवाई तो हो रही मगर थम नहीं रहा किसानों का शोषण

खाद की उपलब्धता के बारे में जिला कृषि पदाधिकारी ने बताया कि रबी के विभिन्न फसलों के लिए अक्टूबर से जनवरी 22 तक यूरिया की जितनी आवश्यकता थी ,उसकी 60 फीसद खाद ही मिल पाया है। डीएपी की आवश्यकता के आलोक में 74 फीसद, एनपीके 127 फीसद, एमओपी 43 फीसद तथा एसएसपी 116 फीसद प्राप्त हुआ है। कहा कि उचित मूल्य पर खाद बेचने के लिए भी लगातार मानिटरिंग की जा रही है। बताया कि रबी मौसम में अभी तक कुल 56 उर्वरक प्रतिष्ठानों पर छापेमारी की गई है। दो थोक उर्वरक विक्रेताओं के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज कराई गई है, जबकि चार खुदरा उर्वरक विक्रेताओं की अनुज्ञप्ति रद की गई है। 13 खुदरा उर्वरक विक्रेताओं की अनुज्ञप्ति निलंबित की गई है। बहरहाल कार्रवाई तो हो रही है मगर किसानों का शोषण थम नहीं रहा है।


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