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गोड्डा-दुमका से ट्रेन सेवा के बाद झारखंड के नेताओं की नजर भागलपुर से खुलने वाली रेल गाडि़यों पर

झारखंड के नेताओं की नजर अब भागलपुर से खुलने वाली ट्रेनों पर लग गई है। गोड्डा-दुमका से ट्रेन सेवा शुरू होने के बाद अन्‍य ट्रेनों पर भी नजर लग गई है। अन्‍य गाड़‍ियों का भी परिचालन वहां से कराने पर जोर दिया जा रहा है।

By Dilip Kumar ShuklaEdited By: Published: Mon, 04 Oct 2021 11:54 AM (IST)Updated: Mon, 04 Oct 2021 11:54 AM (IST)
गोड्डा-दुमका से ट्रेन सेवा के बाद झारखंड के नेताओं की नजर भागलपुर से खुलने वाली रेल गाडि़यों पर
ट्रेनों को लेकर राजनीतिक रस्साकशी शुरू, दबाव बनाने की मची होड़

जागरण संवाददाता, भागलपुर। ट्रेनों को लेकर राजनीतिक रस्साकशी शुरू हो गई है। गोड्डा-दुमका से ट्रेन सेवा शुरू होने के बाद झारखंड के नेताओं की नजर भागलपुर से खुलने वाली ट्रेनों पर लग गई है। भागलपुर-रांची एक्सप्रेस का परिचालन गोड्डा से शुरू होने के बाद झारखंड के नेताओं का मनोबल काफी ऊंचा हो गया है। अब भागलपुर से आनंद विहार के बीच चलने वाली विक्रमशिला एक्सप्रेस के गोड्डा-दुमका ले जाने की तैयारी चल रही है। इसको लेकर भाजपा के एक सांसद सदस्य लगातार रेलवे बोर्ड और मंत्रालय के संपर्क में हैं।

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भागलपुर से खुलने वाली विक्रमशिला एक्सप्रेस के अलावा अमरनाथ एक्सप्रेस, गरीब रथ, भागलपुर-यशवंतपुर, भागलपुर-सूरत, भागलपुर-दादर एक्सप्रेस जैसी ट्रेनों की भी मांग गोड्डा या दुमका से कराने की मांग की जा रही है। इधर, भागलपुर के सांसद सदस्य अजय कुमार मंडल से प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर भागलपुर रेलवे स्टेशन से खुलने वाली ट्रेनों का स्थानांतरण रोकने की मांग की है। उन्होंने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर कहा है कि भागलपुर बहुत पुराना कमिश्नरी है। यह बिहार का दूसरा सबसे बड़ा जिला है। इसे अंगप्रदेश के नाम से भी जाना जाता है। भागलपुर में कृषि विश्वविद्यालय, तिलकामांझी विश्वविद्यालय, सिल्क कालेज, सूचना प्रौद्योगिकी, श्री चंपापुर दिगंबर जैन मंदिर, विक्रमशिला विश्वविद्यालय जैसे महत्वपूर्ण स्थल होने से भागलपुर का क्षेत्र भारतीय रेल के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है। इस जिले की अर्थव्यवस्था कृषि, सिल्क, पर्यटन एवं छोटे व्यवसाय पर निर्भर है। हवाई सेवा नहीं रहने से जिले की पूरी अर्थव्यवस्था को राष्ट्रीय बाजार से जोडऩे के लिए एकमात्र साधन रेल ही है। हजारों की आबादी प्रतिदिन सामान्य एवं व्यवसायिक यात्रा के लिए रेल को ही प्राथमिकता देते हैं। हाल ही में कुछ प्रमुख रेलगाडिय़ों के प्रस्थान बिंदु को भागलपुर से अन्यत्र निर्धारित करने का दुखद एवं आश्चर्यचकित समाचार सामने आ रहा है।

यह जिला रेशम उद्योग के कारण पूरे भारत में प्रसिद्ध है। भागलपुर से रेलगाडिय़ों का विस्थापन जन-भावना एवं प्रदेश के शान से जुड़ाव का विषय है। एक ओर जहां 2019 से लगातार राजधानी जैसी सुपरफास्ट ट्रेनों के लिए मेरे द्वारा पत्राचार कर मांग की जा रही है, वहीं दूसरी ओर हमसफर एक्सप्रेस को गोड्डा ले जाया गया। 29 सितंबर 2021 को भागलपुर से रांची तक चलने वाली त्रीसप्ताहिक एक्सप्रेस को भी अंग प्रदेश की जनता से छीना ही नहीं गया, बल्कि उसका नाम भी परिवॢतत कर दिया गया है। अब भागलपुर की प्राचीन धरोहर, जो प्रतिदिन भागलपुर की जनता को भारत की राजधानी से जोड़े रखती है, उस विक्रमशिला एक्सप्रेस को दुमका से खोलने की तैयारी हो रही है, जो अंग प्रदेश की जनता के निरंतर हकमारी को दर्शाता है। इतना ही नहीं प्रमुख रेलगाडिया (यशवंतपुर, सूरत, दादर) जिन्हेंं स्थानांतरित करने की योजना रेलवे बोर्ड द्वारा बनाई जा रही है। अगर ऐसा होता है तो भागलपुर सहित निकटवर्ती क्षेत्रों को भी ढेरों समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। डनहोंने भागलपुर से संचालित होने वाली ट्रेनों का प्रस्थान बिंदु परिवर्तन नहीं कर जनता की झोली को ऐन-केन प्रकारेण सूना होने से बचाने की मांग की है।


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