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सब झगड़ा तो लहर गिनने का है साहेब

इन साहबों के आपसी झगड़े के चक्कर में शहर के लोग परेशान है। अपने काम के लिए उन्हें चप्पल घिसनी पड़ रही है। लेकिन साहब लोग जनता की कुछ सुन ही नहीं रहे हैं।

By Dilip ShuklaEdited By: Published: Thu, 17 Jan 2019 03:41 PM (IST)Updated: Thu, 17 Jan 2019 03:41 PM (IST)
सब झगड़ा तो लहर गिनने का है साहेब
सब झगड़ा तो लहर गिनने का है साहेब

भागलपुर [संजय कुमार]। पता नहीं क्यों...एक कहानी याद आ रही है। एक राजा था। उसे सूचना मिली की उसका सेनापति लोगों को परेशान करता है और उनसे अवैध तरीके से वसूली करता है। राजा सेनापति से नाराज हो गया। उसने सेनापति को दंड दिया और नदी किनारे बैठा दिया। हुक्म दिया कि सेनापति राज्य में आने वाले सभी पानी के जहाज की गिनती करेगा। सेनापति चतुर था, उसने वहां भी कमाई का रास्ता खोज लिया। जो भी जहाज आता था उससे नदी में उठने वाली लहरों का हिसाब गिनने के एवज में रुपये लेने लगा। राजा को सूचना मिली। सेनापति ने वहां भी धंधा शुरू कर दिया है। राजा ने सेनापति को फिर वहां से हटाया। खैर, वहां तो राजा और सेनापति का मामला है। यहां तो राजा से लेकर सेनापति तक सभी लहर गिनने के लिए परेशान हैं। परेशान इस कदर कि विद्रोह की नौबत आ गई है। म्यान से तलवारें खिच गई हैं।

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हाल में ही जिले के सबसे बड़े साहब के खिलाफ उनके मातहतों ने मोर्चा खोल दिया। मोर्चा खोलने के पीछे वजह तो कई है पर पर्दे के सामने कुछ और पीछे कुछ और। बड़के साहब ने पर्दे के पीछे से लहर गिनने की व्यवस्था लगाई। मातहतों को लगा कि साहब हमारी हकमारी करने में जुट गए हैं। फिर क्या था। बड़े साहब को पहले मातहतों ने समझाया कि पर्दे के पीछे चल रहा है, उसे चलने दे। वरना जब हमारी पोल खुलेगी तो हम आपकी भी खोल देंगे। बड़के साहब ने मातहतों की बात को गीदड़ भभकी समझा और अपने तेवर और तल्ख कर दिए। नतीजा, पर्दे के पीछे चलने वाले नाटक का मंचन सार्वजनिक हो गया। अब बड़के साहब को लगा बात बिगड़ जाएगी। पर उन्होंने अपने तेवर को कम नहीं किया।

बल्कि मातहतों को नदी के किनारे बैठने से मना कर दिया। इस पर मातहत और भड़क गए। उन्होंने साहब को चेताने के लिए झंडा उठा लिया और अपने संगठन के बड़के हाकिमों के सामने अपनी लाचारगी बताई। यहां तो नून रोटी खाने की नौबत आ गई है। बड़के हाकिमों को लगा उनके लोग कल तक मलाई खा रहे हैं एक आदमी के चलते नून रोटी खाएं यह नहीं चलेगा। वे लोग भी ताव में आकर बड़के साहब को हटाने की मांग करने लगे। पर ये सब इतना आसान है क्या। बड़के साहब भी कमजोर नहीं है। वो भी सरकारी है। कोई उनका क्या बिगाड़ लेगा। बड़के साहब ने नया पैतरा चला। उन्होंने फरमान जारी कर दिया बिना काम के लहर नहीं गिनने दूंगा। नून रोटी खाएंगे और सभी को नून रोटी खिलाएंगे।

इधर, इन साहबों के आपसी झगड़े के चक्कर में शहर के लोग परेशान है। अपने काम के लिए उन्हें चप्पल घिसनी पड़ रही है। लेकिन साहब लोग जनता की कुछ सुन ही नहीं रहे हैं। वे सभी अपनी व्यवस्था को दुरुस्त करने में लगे है। इधर, खबरची भाई भी परेशान है किन साहबों के गोद में बैठे। एक तरफ कुआं है तो दूसरी तरफ खाई। नागरिक भी उलझ गया है आखिर इन साहबों का पेट कब भरेगा। साहबों ने पहले ही सरकारी खजाने में सेंध लगाकर एक बड़े घोटाले को जन्म दे दिया है। कई लोग सलाखों के पीछे गए और कई जाने को तैयार है। बावजूद लहर गिनने का सिस्टम का धीमा नहीं पड़ रहा है। खैर, साहबों का झगड़ा अब सूबे के मुखिया के पास पहुंच गई है। मुखिया क्या फरमान देते हैं यह देखना होगा।


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